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प्रयागराज नगर निगम : मेयर आरक्षण पर टिकी निगाहें प्रत्याशियों की बढ़ी बेचैनी
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Mon, 05 Dec 2022 06:33 AM IST
सार
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इस बार चक्रानुक्रम में आरक्षण तय हो सकता है। इसी वजह से अटकलें लगाई जा रही थीं कि प्रयागराज नगर निगम की सीट अनुसूचित जाति महिला को दी जा सकती है, लेकिन सत्तारूढ़ दल में इसे लेकर सहमति नहीं बन पा रही है।
महापौर पद पर संभावित आरक्षण की तस्वीर साफ न होने से भाजपा समेत सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ने लगी है। उम्मीद थी कि तीन-चार दिसंबर तक प्रदेश के सभी नगर निगमों के मेयर पद का आरक्षण जारी हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आरक्षण घोषित न होने की वजह से तमाम सियासी धुरंधरों ने भी चुप्पी साध ली है। प्रमुख दल के नेताओं को इसी बात का इंतजार है कि सरकार पहले सभी 17 निगमों का आरक्षण जारी करे, ताकि उसके बाद ही आगे की रणनीति बनाई जा सके।
दरअसल इस बार चक्रानुक्रम में आरक्षण तय हो सकता है। इसी वजह से अटकलें लगाई जा रही थीं कि प्रयागराज नगर निगम की सीट अनुसूचित जाति महिला को दी जा सकती है, लेकिन सत्तारूढ़ दल में इसे लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। शायद इसी वजह से शनिवार को नगर विकास मंत्री की प्रस्तावित प्रेस कांफ्रेंस स्थगित हो गई। अब इस बात की चर्चा है कि सोमवार को कैबिनेेट की बैठक और गुजरात विधानसभा चुनाव का मतदान होने के बाद सरकार चुनाव के लिए आरक्षण कर सकती है।
भाजपा की बात करें तो मेयर पद के सर्वाधिक प्रत्याशी इसी दल के पास हैं। अब तक 40 से ज्यादा ने इसके लिए आवेदन भी कर दिया है, लेकिन पिछले दिनों मेयर सीट एससी महिला होने की खबर से टिकट के दावेदार परेशान हैं। कुछ ने लखनऊ दरबार का चक्कर भी काटना शुरू कर दिया है। भाजपा एमएलसी निर्मला पासवान कहती हैं, मुझे नहीं लगता कि मेयर सीट एसी महिला के खाते में आएगी। क्योंकि नगर निगम में एससी की उस हिसाब से आबादी नहीं है। फिलहाल अब आरक्षण सूची का इंतजार है। इसके बाद ही आगे कुछ कहा जा सकता है।
वहीं सपा के वरिष्ठ नेता केके श्रीवास्तव का कहना है कि अगर प्रयागराज की सीट एससी महिला हो गई तो बदले समीकरण से तमाम सियासी धुरंधरों के सपनों पर पानी फिर जाएगा। सपा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यह ऐसा दल है जिसके पास हर जाति के सुयोग्य नेता हैं। उन्होंने बताया कि ऐसी सूचना मिली है कि नगर विकास विभाग द्वारा आरक्षण की जो सूची तैयार की गई थी, उससे भाजपा को मेयर चुनाव हारने का डर था। हो सकता है कि इसी वजह अब नई आरक्षण सूची शासन स्तर से तैयार की जा रही हो।
- भाजपा के पास हर जाति के मजबूत उम्मीदवार हैं। आरक्षण कोई भी हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार के विकास कार्यों की वजह से मेयर भाजपा का ही जीतेगा। - अवधेश चंद्र गुप्ता, उपाध्यक्ष, भाजपा काशी क्षेत्र
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