बाघंबरी मठ के महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार आनंद गिरि, आद्या प्रसाद व उसके बेटे संदीप तिवारी को सीबीआई ने मंगलवार को रिमांड अवधि पूरी होने के बाद अदालत में पेश किया।
तीनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है। सीबीआई की अर्जी पर सीजेएम ने तीनों की 14 दिनों की न्यायिक अभिरक्षा अवधि बढ़ा दी है। अब इनको 18 अक्तूबर को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जेल से ही अदालत में पेश किया जाएगा।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरेंद्रनाथ ने सीबीआई की अर्जी पर अभियोजन अधिकारी अतुल्य कुमार द्विवेदी, प्रदीप कुमार व आरोपितों के अधिवक्ता सुधीर श्रीवास्तव एवं विजय द्विवेदी के तर्कों को सुनकर 14 दिनों के लिए न्यायिक अभिरक्षा बढ़ा दी। अदालत ने कहा कि सीबीआई ने अर्जी में कहा है कि मामले की विवेचना अभी प्रारंभिक स्तर पर है, पूरी नहीं हो सकी है।
इसलिए आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा की अवधि बढ़ाई जाए। सीबीआई ने अब तक की गई विवेचना की केस डायरी सीजेएम के सामने पेश की। अदालत ने कहा कि उपलब्ध कागजातों को और मामले की परिस्थितियों को देखते हुए न्यायिक अभिरक्षा की अवधि स्वीकार किए जाने का पर्याप्त आधार है।
अदालत ने केंद्रीय कारागार नैनी के अधीक्षक को आदेश दिया है कि आरोपितों को अभिरक्षा में रखें और नियत तिथि पर पर अदालत द्वारा तलब किए जाने पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आरोपितों को प्रस्तुत करें।
आरोपितों की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने मामले की सुनवाई के दौरान क्षेत्राधिकार को लेकर प्रश्न उठाया। जिस पर अदालत ने कहा इस न्यायालय के अंतर्गत घटना घटित हुई है। जो अधिकार स्थानीय पुलिस के विवेचक को मिलते हैं, वही अधिकार सीबीआई के विवेचक को भी प्राप्त हैं।
बाघंबरी मठ के महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार आनंद गिरि, आद्या प्रसाद व उसके बेटे संदीप तिवारी को सीबीआई ने मंगलवार को रिमांड अवधि पूरी होने के बाद अदालत में पेश किया।
तीनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है। सीबीआई की अर्जी पर सीजेएम ने तीनों की 14 दिनों की न्यायिक अभिरक्षा अवधि बढ़ा दी है। अब इनको 18 अक्तूबर को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जेल से ही अदालत में पेश किया जाएगा।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरेंद्रनाथ ने सीबीआई की अर्जी पर अभियोजन अधिकारी अतुल्य कुमार द्विवेदी, प्रदीप कुमार व आरोपितों के अधिवक्ता सुधीर श्रीवास्तव एवं विजय द्विवेदी के तर्कों को सुनकर 14 दिनों के लिए न्यायिक अभिरक्षा बढ़ा दी। अदालत ने कहा कि सीबीआई ने अर्जी में कहा है कि मामले की विवेचना अभी प्रारंभिक स्तर पर है, पूरी नहीं हो सकी है।
इसलिए आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा की अवधि बढ़ाई जाए। सीबीआई ने अब तक की गई विवेचना की केस डायरी सीजेएम के सामने पेश की। अदालत ने कहा कि उपलब्ध कागजातों को और मामले की परिस्थितियों को देखते हुए न्यायिक अभिरक्षा की अवधि स्वीकार किए जाने का पर्याप्त आधार है।
अदालत ने केंद्रीय कारागार नैनी के अधीक्षक को आदेश दिया है कि आरोपितों को अभिरक्षा में रखें और नियत तिथि पर पर अदालत द्वारा तलब किए जाने पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आरोपितों को प्रस्तुत करें।
आरोपितों की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने मामले की सुनवाई के दौरान क्षेत्राधिकार को लेकर प्रश्न उठाया। जिस पर अदालत ने कहा इस न्यायालय के अंतर्गत घटना घटित हुई है। जो अधिकार स्थानीय पुलिस के विवेचक को मिलते हैं, वही अधिकार सीबीआई के विवेचक को भी प्राप्त हैं।