धूमनगंज के प्रीतनगर में प्रधानाचार्य प्रमोद चौधरी व उनकी लिव इन पार्टनर की मौत के मामले का राज रविवार को भी नहीं खुल सका। उधर सीसीटीवी फुटेज से यह गुत्थी और उलझ गई है। दरअसल फुटेज में घटना के वक्त कोई बाहरी व्यक्ति घर में प्रवेश करता नहीं दिखा है। बेटी व मंगेतर आधे घंटे पहले घर से निकलते जरूर दिखे हैं। पुलिस का कहना है कि जांच पड़ताल की जा रही है।
कौशाम्बी के लालबहादुर शास्त्री इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रमोद चौधरी प्रीतमनगर में रहते थे। 24 मई को संदिग्ध हाल में उनकी व उनकी लिव इन पार्टनर राखी की गोली लगने से मौत हो गई थी। पुलिस का मानना था कि राखी को गोली मारने के बाद प्रधानाचार्य ने खुद को गोली मार ली। हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मामला उलझ गया। दरसअल दोनों के सिर मेें गहरे जख्म के निशान मिले। इससे एक आशंका यह भी जताई गई कि पहले दोनों पर हमला किया गया हो और फिर उनकी हत्या कर दी गई हो। रविवार को पुलिस प्रधानाचार्य के घर के पास स्थित एक मकान में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगालने पहुंची।
हालांकि फुटेज देखने के बाद मामला और उलझ गया। सूत्रों ने बताया कि घटना के अनुमानित वक्त 12 से 12.30 के बीच का बताया गया है। जिस पर पुलिस ने आधे धंटे पहले और आधे घंटे बाद का फुटेज देखा। हालांकि इस दौरान कोई बाहरी व्यक्ति घर में दाखिल होते नहीं दिखा। करीब आधे घंटे पहले प्रधानाचार्य की बेटी गोल्डी अपने मंगेतर के साथ घर से निकलते दिखी है। इसके बाद की फुटेज में सिर्फ इतना दिखा है कि अचानक घर के बाहर मोहल्ले के लोग जुटने लगते हैं। पुलिस का कहना है कि फिलहाल फुटेज देखने से कुछ स्पष्ट नहीं हो सका है। जांच की जा रही है।
प्रधानाचार्य ने नहीं बताई थी हमले की बात
पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद भले ही दोनों की हत्या की आशंका जताई जा रही हो। लेकिन एक और खास बात यह है कि दम तोड़ने से पहले प्रधानाचार्य ने ऐसी कोई भी बात पुलिस को नहीं बताई थी। दरअसल घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस को प्रधानाचार्य जख्मी पड़े मिले थे। हालांकि वह अस्पताल जाने को तैयार नहीं थे। एक बार तो वह स्ट्रेचर से भी नीचे कूद गए थे। ऐसे में पुलिस का यह भी कहना है कि तीसरे व्यक्ति के हमले जैसी कोई बात होती तो वह जरूर पुलिस को बताते।
फुटेज में कोई बाहरी व्यक्ति घर में प्रवेश करता नहीं दिखा है। फिलहाल अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। जांच पड़ताल की जा रही है।
वृजनारायण सिंह, सीओ सिविल लाइंस
धूमनगंज के प्रीतनगर में प्रधानाचार्य प्रमोद चौधरी व उनकी लिव इन पार्टनर की मौत के मामले का राज रविवार को भी नहीं खुल सका। उधर सीसीटीवी फुटेज से यह गुत्थी और उलझ गई है। दरअसल फुटेज में घटना के वक्त कोई बाहरी व्यक्ति घर में प्रवेश करता नहीं दिखा है। बेटी व मंगेतर आधे घंटे पहले घर से निकलते जरूर दिखे हैं। पुलिस का कहना है कि जांच पड़ताल की जा रही है।
कौशाम्बी के लालबहादुर शास्त्री इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रमोद चौधरी प्रीतमनगर में रहते थे। 24 मई को संदिग्ध हाल में उनकी व उनकी लिव इन पार्टनर राखी की गोली लगने से मौत हो गई थी। पुलिस का मानना था कि राखी को गोली मारने के बाद प्रधानाचार्य ने खुद को गोली मार ली। हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मामला उलझ गया। दरसअल दोनों के सिर मेें गहरे जख्म के निशान मिले। इससे एक आशंका यह भी जताई गई कि पहले दोनों पर हमला किया गया हो और फिर उनकी हत्या कर दी गई हो। रविवार को पुलिस प्रधानाचार्य के घर के पास स्थित एक मकान में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगालने पहुंची।
हालांकि फुटेज देखने के बाद मामला और उलझ गया। सूत्रों ने बताया कि घटना के अनुमानित वक्त 12 से 12.30 के बीच का बताया गया है। जिस पर पुलिस ने आधे धंटे पहले और आधे घंटे बाद का फुटेज देखा। हालांकि इस दौरान कोई बाहरी व्यक्ति घर में दाखिल होते नहीं दिखा। करीब आधे घंटे पहले प्रधानाचार्य की बेटी गोल्डी अपने मंगेतर के साथ घर से निकलते दिखी है। इसके बाद की फुटेज में सिर्फ इतना दिखा है कि अचानक घर के बाहर मोहल्ले के लोग जुटने लगते हैं। पुलिस का कहना है कि फिलहाल फुटेज देखने से कुछ स्पष्ट नहीं हो सका है। जांच की जा रही है।
प्रधानाचार्य ने नहीं बताई थी हमले की बात
पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद भले ही दोनों की हत्या की आशंका जताई जा रही हो। लेकिन एक और खास बात यह है कि दम तोड़ने से पहले प्रधानाचार्य ने ऐसी कोई भी बात पुलिस को नहीं बताई थी। दरअसल घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस को प्रधानाचार्य जख्मी पड़े मिले थे। हालांकि वह अस्पताल जाने को तैयार नहीं थे। एक बार तो वह स्ट्रेचर से भी नीचे कूद गए थे। ऐसे में पुलिस का यह भी कहना है कि तीसरे व्यक्ति के हमले जैसी कोई बात होती तो वह जरूर पुलिस को बताते।
फुटेज में कोई बाहरी व्यक्ति घर में प्रवेश करता नहीं दिखा है। फिलहाल अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। जांच पड़ताल की जा रही है।
वृजनारायण सिंह, सीओ सिविल लाइंस