बलिया के एनएच-31 की बदहाली कोई नई नहीं है। पिछले सात वर्षों से ये बदहाल हालत में है। बातें और घोषणाएं तो बहुत हुईं, लेकिन नागिरक इस पर हिचकोले खाने को विवश रहे। जिले में कोटवां नारायनपुर से लेकर मांझी घाट तक करीब 90 किमी लंबी सड़क 90 से सौ फीसदी तक ध्वस्त है। हालांकि एक बार फिर इसकी मरम्मत के लिए टेंडर हो चुका है।
चुनाव की घोषणा से पहले ही एनएचएआई ने 117 करोड़ के टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर तीन पैकेज में तीन कार्यदायी संस्थाओं को आवंटित करने का काम पूरा कर लिया था। आचार संहिता लगने से पहले आनन फानन शिलान्यास भी किया गया। तीन अलग-अलग एजेंसियों की ओर कार्य शुरू कराया जाएगा। ठेकेदारों की ओर से मिक्सिंग प्लांट लगाए जा रहे हैं, लेकिन निर्माण के लिए घटिया सामग्री गिराने से एक बार भी लोगों के मन इसकी मरम्मत के प्रति संदेह पैदा होने लगा है।
पिछले सात वर्षों से एनएच-31 की दशा बेहाल है, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जून 2020 में गाजीपुर से मांझी तक इसकी मरम्मत के लिए 102 करोड़ का टेंडर हुआ। इसे जयपुर की कंपनी कृष्णा इंफ्रास्ट्रक्चर को आंवटित किया गया था। कार्य पूर्ण करने की अवधि एक साल थी। स्वीकृति के एक साल बाद बैरिया से मांझी घाट तक के लिए कार्य शुरू किया गया, लेकिन अधूरा छोड़ दिया गया।
बैरिया में करीब 20 किमी की दूरी में मरम्मत कार्य कराया गया, लेकिन वह भी मानक पर खरा नहीं उतरा। इसके बाद एनएचएआई के अधिकारियों ने एजेंसी को टर्मिनेट कर नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया पूरी की। सवाल ये उठता है कि लगभग दो साल का इतजार क्यों किया गया? इस बार विभाग ने गाजीपुर से मांझी घाट तक की दूरी को तीन भाग में बांटा है।
गाजीपुर से फेफना तक 60 किमी का कार्य एसआरएससी इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, फेफना से चिरैया मोड़ तक 45 किलोमीटर महादेव कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और चिरैया मोड़ से मांझी घाट के जयप्रभा सेतु तक 16 किलोमीटर जगदंबा इंटरप्राइजेज को कार्य आवंटित किया है। एनएचएआई के पीडी के अनुसार, ठेकेदारों की ओर से कार्य प्रारंभ किया गया है, साथ ही मिक्सिंग प्लांट आदि भी लग रहे हैं। कुछ ही दिनों में सड़क पर कार्य दिखने लगेगा। तीनों एजेंसियों को कार्य पूरा करने की समय सीमा छह माह निर्धारित की गई है।
चार वर्ष पहले 7.75 करोड़ से हुई थी मरम्मत
चार साल पहले यह सड़क 20 से 40 फीसद खराब थी। वर्ष 2018 में 7.75 करोड़ का टेंडर हुआ और मरम्मत के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा किया गया। फेफना पुल के पास तो इस कदर मरम्मत कार्य किया गया कि एक सप्ताह में सड़क की लेपन सरक कर दूर गड्ढे में चली गई और पुरानी स्थिति बन गई। उस समय से ही बैरिया क्षेत्र के लोग मरम्मत की मांग को लेकर कई बार आंदोलन कर चुके हैं।
कई बार एनएचएआई के अधिकारियों ने लोगों को आश्वस्त किया कि सड़क बहुत जल्द बन जाएगी, लेकिन नतीजा शून्य पर ही टिका रहा। अब तो पूरी सड़क खराब हो चुकी है। गड़ढ़ायुक्त सड़क पर धूल की गुबार के बीच लाखों लोग यात्रा करने को विवश हैं। सागरपाली, फेफना, चितबड़ागांव, नरही, भरौली आदि स्थानों पर तो सड़क का नामोनिशान नहीं है और जानलेवा गड्ढे बन चुके हैं।
सात वर्षों में तीन बार कई जगह डूबा एनएच
एनएच 19 के नाम से कायम था और प्रावधान के अनुसार हर पांच साल बाद मरम्मत भी होती था। वर्ष 2015 में इस सड़क को एनएच-31 किया गया। दावा किया गया कि सड़क का चौड़ीकरण किया जाएगा। इसके अलावा तरह-तरह के दावे किए गए लेकिन धरातल पर कोई नया कार्य नहीं हुआ। न ही दूर-दूर तक इस पर बने गड्ढों की मरम्मत नहीं हो सकी।
बीते सात सालों में तीन बार गंगा में आई बाढ़ के दौरान सागरपाली से लेकर सोहांव तक कई जगह एनएच डूबा तो कई जगह एनएच पर पानी का दबाव रहा। जिसके चलते सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। लेकिन इसके बावजूद मरम्मत कार्य नहीं हुआ।
पूवोत्तर राज्यों से कारोबार का है प्रमुख मार्ग
एनएच-31 गाजीपुर-हाजीपुर मार्ग के नाम से जाना जाता है। यह मार्ग जनपद के लिए जहां लाइफ लाइन है, वहीं इस मार्ग से पूर्वांचल से बिहार ही नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर का आसाम भी जाना आसान होता है। इन सभी राज्यों से कारोबार इसी रास्ते से होता है।
एक साल में सौ से ज्यादा घायल, कई की जान गई
दो माह पहले बैरिया से पटना जा रहा युवक जीन बाबा कर्ण छपरा के पास दुर्घटना का शिकार हो गया था। इस हादसे में दो की मौत भी हो गई थी। इससे पहले तो सौ से भी ज्यादा लोग खराब सड़क के चलते ही घायल हो चुके हैं। उधर, बीते सात जनवरी को एनएच 31 पर ई-रिक्शा पलटने के कारण चौबेपुर निवासी पवन चौबे की मौत हो गई थी। यह सिलसिला अभी भी नहीं थमा है।
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बलिया के एनएच-31 की बदहाली कोई नई नहीं है। पिछले सात वर्षों से ये बदहाल हालत में है। बातें और घोषणाएं तो बहुत हुईं, लेकिन नागिरक इस पर हिचकोले खाने को विवश रहे। जिले में कोटवां नारायनपुर से लेकर मांझी घाट तक करीब 90 किमी लंबी सड़क 90 से सौ फीसदी तक ध्वस्त है। हालांकि एक बार फिर इसकी मरम्मत के लिए टेंडर हो चुका है।
चुनाव की घोषणा से पहले ही एनएचएआई ने 117 करोड़ के टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर तीन पैकेज में तीन कार्यदायी संस्थाओं को आवंटित करने का काम पूरा कर लिया था। आचार संहिता लगने से पहले आनन फानन शिलान्यास भी किया गया। तीन अलग-अलग एजेंसियों की ओर कार्य शुरू कराया जाएगा। ठेकेदारों की ओर से मिक्सिंग प्लांट लगाए जा रहे हैं, लेकिन निर्माण के लिए घटिया सामग्री गिराने से एक बार भी लोगों के मन इसकी मरम्मत के प्रति संदेह पैदा होने लगा है।
पिछले सात वर्षों से एनएच-31 की दशा बेहाल है, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जून 2020 में गाजीपुर से मांझी तक इसकी मरम्मत के लिए 102 करोड़ का टेंडर हुआ। इसे जयपुर की कंपनी कृष्णा इंफ्रास्ट्रक्चर को आंवटित किया गया था। कार्य पूर्ण करने की अवधि एक साल थी। स्वीकृति के एक साल बाद बैरिया से मांझी घाट तक के लिए कार्य शुरू किया गया, लेकिन अधूरा छोड़ दिया गया।