बलिया। बसंतपुर में करोड़ों की लागत से बन रहे जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की इमारत पर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की नजरें टेढ़ी हो गई हैं। शिकायत पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने विवि को नोटिस जारी कर दो माह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके साथ ही भौतिक सत्यापन के लिए छह सदस्यीय कमेटी बना दी है। इसकी रिपोर्ट भी तलब की है। शिकायतकर्ता ने जेएनसीयू के भवन निर्माण को पक्षी विहार की परिधि में बताया था। इसके साथ ही इसे प्रवासी पक्षियों के लिए खतरनाक भी बताया था।
बसंतपुर में बन रहे जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के भवन का निर्माण पहले फेज में 92.39 करोड़ रुपये की धनराशि से किया जा रहा है। इसके लिए 35 करोड़ रुपये की धनराशि भी जारी हो चुकी है। इसमें 15 करोड़ रुपये की पहली किस्त का प्रयोग किया जा चुका है और दूसरी किस्त से निर्माण कार्य चल रहा है। पहले फेज में प्रशासनिक भवन, एकेडमिक भवन और लाइब्रेरी का निर्माण किया जा रहा है।
जनपद के सिकंदरपुर थाना क्षेत्र के सरनी निवासी धर्मेंद्र सिंह ने एनजीटी के न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल को शिकायती पत्र भेजकर विश्वविद्यालय में हो रहे निर्माण कार्यों को एनजीटी की गाइड लाइन के विपरीत बताया था। कहा था कि सुरहाताल जयप्रकाश नारायण पक्षी विहार घोषित है। इसके अनुसार, सुरहाताल के चारों तरफ का एक किमी का क्षेत्र संरक्षित है। जेएनसीयू के निर्माणाधीन भवन को इस परिधि के भीतर बताया है। इस निर्माण को पक्षी विहार के लिए खतरनाक बताया गया है। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और न्यायिक सदस्य डॉ. अफरोज अहमद ने विवि की कुलपति को नोटिस जारी कर दो माह के भीतर जवाब मांगा है। सत्यापन के लिए गठित समिति में अपर मुख्य सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, प्रमुख सचिव गृह, प्रमुख मुख्य कंजर्वेटर वन (वाइल्ड लाइफ), उप्र राज्य वेटलैंड अथॉरिटी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिलाधिकारी बलिया शामिल हैं। कमेटी को भौतिक निरीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा है। प्रकरण की अगली सुनवाई चार जनवरी 2023 रखी गई है।
एनजीटी का नोटिस मिला है, लेकिन इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। - एसएल पाल, कुलसचिव, जेएनसीयू