बरेली। दूसरे प्रदेशों में बैठकर खातों से रकम उड़ा रहे साइबर ठगों के पैंतरे लोगों को कंगाल बना रहे हैं। मशक्कत करके पुलिस लक्ष्य तक पहुंचती भी है तो ऐसे पेंच फंसते हैं कि गिरफ्तारी और रिकवरी मुश्किल हो जाती है। एक लाख से कम रकम की ठगी के मामलों में पीड़ित को राहत मिलना ज्यादा कठिन होता है, इसलिए सावधानी ही सुरक्षा का बेहतर विकल्प है। ठगी हो भी जाए तो तत्काल टोल फ्री नंबर 1930 डायल करना चाहिए।
साइबर ठगी के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। सामान्य लोगों से लेकर प्रबुद्ध वर्ग तक इसकी चपेट में है। बड़ी रकम की साइबर ठगी के मामले तो रेंज स्तरीय थाने में दर्ज हो जाते हैं पर एक लाख से कम रकम की ठगी के मामलों में पेंच फंसता है। ऐसे मामलों में थानों पर रिपोर्ट दर्ज भी हो जाती है तो ठगी गई रकम की रिकवरी मुश्किल होती है। अफसरों की अनुमति से लेकर स्टाफ की रवानगी तक में दिन गुजरते हैं। हाल ही में बारादरी पुलिस की टीम साइबर ठगी के आरोपियों को पकड़ने राजस्थान गई थी। वहां के खाते से रकम चार अलग प्रदेशों के खातों में ट्रांसफर की गई थी। टीम इस दिशा में काम करती हुई उड़ीसा पहुंची। वहां जिस महिला के खाते में रकम डालकर निकाली गई उसे पुलिस ने ट्रेस किया तो वह मजदूरपेशा निकली और खेत में बकरी चराती मिली। टीम ने वीडियो कॉल पर विवेचक को यह स्थिति दिखाई तो वह हैरान रह गए।
समाजसेवी के दो खातों से उड़ी रकम, एक की मिल सकी
शहर निवासी जयप्रकाश शाक्य व उनकी पत्नी समाजसेवी संस्थाएं चलाते हैं। उनके बेटे ने मोबाइल पर एक गेम डाउनलोड किया था। उसी से लिंक डाटा हैक कर साइबर ठगों ने जयप्रकाश के खाते से करीब 75हजार व पत्नी के खाते से करीब एक लाख रुपये कई ट्रांजेक्शन करके उड़ा लिए। दोनों मामलों में बारादरी थाने में रिपोर्ट लिखी गई है। पुलिस की लंबी परेड के बाद जयप्रकाश के खाते के करीब 70हजार रुपये मिल सके हैं पर एक लाख की रकम के मामले में सफलता नहीं मिली है। पुलिस को अधिकारियों से अनुमति लेकर दूसरे प्रदेशों में जाना है, फिलहाल जिन खातों में रकम गई है उनके मालिकों पर चार्जशीट लगाना ही विकल्प है।
पेंशन योजना का लाभ दिलाने के बहाने भी ठगी
नवाबगंज। पचपेड़ा गांव के किसान गेंदनलाल से 25 नवंबर को वृद्धा पेंशन योजना का लाभ दिलाने का झांसा देकर पॉश मशीन पर अंगूठा लगवाकर दस हजार रुपये की ठगी कर ली थी। अगले दिन मोबाइल पर मेसेज आने पर किसान ने थाने में तहरीर दी पर अब तक उसकी रिपोर्ट नहीं दर्ज की गई है। संवाद
ओटीपी बताया था तो मामला खारिज हो गया
आंवला। किला बजरिया निवासी वसीम अहमद से 75000 रुपये की ठगी कर ली गई थी। वसीम ने इस मामले में रिपोर्ट कराई थी। विवेचना में स्पष्ट हुआ कि वसीम ने ही ठग को ओटीपी समेत जरूरी जानकारी दी थी। इस आधार पर मामला खारिज कर दिया गया और रुपये वापसी की उम्मीद ही खत्म हो गई।
भट्ठा व्यवसायी से ठगी में नहीं मिल पा रही रकम
दुनका। स्थानी ईट भट्ठा संचालक आफाक के पास पांच नवंबर को कॉल आई थी कि साढ़े सात हजार अव्वल ईट कैंट क्षेत्र के एक स्कूल पर भेज दें। कॉल करने वालों ने खुद को फौजी बताया और सात हजार रुपये प्रति हजार के हिसाब से सौदा किया। आफाक ने स्कूल पर ईट भरी ट्राली पहुंचाकर कॉल की तो कहा गया कि उसके खाते में कुछ रुपये डालें तभी पेमेंट भेजा जाएगा। इस पर पहले एक रुपया भेजा गया। फिर कहा गया कि 47500 रुपये भेजो, सारा पैसा कैश में लौटा दिया जाएगा। तब यह रकम भी दे दी गई। उधर से ओटीपी भेजकर पूछा गया तो खाते से फिर 33300 रुपये उड़ गए। कुल एक लाख नौ हजार की ठगी हो गई। आफाक ने एसएसपी से शिकायत की तो शाही थाना पुलिस ने रिपोर्ट लिख ली पर आज तक रकम वापसी का जुगाड़ नहीं हो सका।
अधिकांश लोग असावधानी में खुद ही साइबर ठगों को अपने खाते से जुड़ी अहम जानकारी दे बैठते हैं। इससे बचना चाहिए। फोन पर किसी से ऐसी जानकारी शेयर न करें। बैंक भी कभी ऐसी जानकारी फोन पर नहीं लेते। ठगी हो भी जाए तो तत्काल 1930 टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज कराएं। - मुकेश प्रताप सिंह, एसपी क्राइम