बहेड़ी। प्रसव के बाद प्रसूता की हालत बिगड़ने पर भी एक निजी अस्पताल में इलाज किया जाता रहा। आरोप है कि जब प्रसूता ने दम तोड़ दिया तो परिवार को मौत की जानकारी दिए बिना बरेली रेफर कर दिया। हकीकत पता लगने पर गुस्साए परिजनों ने डॉक्टरों और अस्पताल संचालक के खिलाफ तहरीर दी जिस पर जांच शुरू हो गई है।
गांव नदेली के प्रेमप्रकाश के मुताबिक उनकी पत्नी बबली को आशा कार्यकर्ता प्रसव पीड़ा होने पर सरकारी अस्पताल ले गई थी। आशा कार्यकर्ता ने ही बाद में लोधीपुर चौराहे के पास एक नर्सिंग होम में भर्ती करा दिया। वहां प्रसव के बाद पत्नी की हालत बिगड़ती चली गई। उन्होंने बरेली रेफर करने की बात कही पर डॉक्टरों ने छुट्टी नहीं की।
प्रेमप्रकाश ने बताया कि दो दिसंबर को उनकी पत्नी की मौत हो गई। इसके बाद डॉक्टरों ने मौत की जानकारी न देकर उसे बरेली लेे जाने को कहा। यहां तक कि बबलू को खुद उठाकर गाड़ी में लिटा दिया। जब वह पत्नी को दूसरे अस्पताल लेे गए तो वहां डॉक्टरों ने बताया कि बबली की कम से कम तीन घंटे पहले मौत हो चुकी है। पीड़ित ने नर्सिंग होम संचालक और डॉक्टरों के खिलाफ बहेड़ी थाने में तहरीर दी है।
लालच में आशा कार्यकर्ता निजी अस्पताल ले जाती हैं मरीज
निजी अस्पताल संचालकों की इलाके की आशा कार्यकर्ताओं से सांठगांठ है। प्रलोभन के चलते आशा कार्यकर्ता गर्भवती महिलाओं के परिजनों को बहलाकर निजी अस्पताल ले जाती हैं। वहां प्रति प्रसव आशा को पांच हजार रुपये तक कमीशन मिल जाता है। वहीं अप्रशिक्षित लोगों के अस्पताल में आधे-आधे का सौदा रहता है। यह आरोप मृतक के परिजनों ने सीएम को पत्र भेजकर लगाए हैं।
मृतक के परिजनों ने तहरीर दी है। इस मामले में सीएचसी प्रभारी को जांच का मेमो भेजा गया है। - श्रवण कुमार सिंह, इंस्पेक्टर बहेड़ी
कस्बे में अभियान चलाकर अवैध रूप से संचालित अस्पतालों को सील कर रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी। वहीं प्राइवेट अस्पतालों के मानक पूरे नहीं मिले तो वहां भी तालाबंदी की जाएगी। - डॉ. राजेश कुमार, सीएचसी प्रभारी बहेड़ी