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Union Minister Santosh Gangwar wrote a letter to Chief Minister Yogi Adityanath Says Health Department officials do not pick up phone
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दर्द: केंद्रीय मंत्री ने खोली यूपी की कलई, सीएम योगी को लिखा- फोन भी नहीं उठाते स्वास्थ्य विभाग के अफसर
अमर उजाला नेटवर्क, बरेली
Published by: शाहरुख खान
Updated Mon, 10 May 2021 12:47 AM IST
सार
केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा है कि स्वास्थ्य विभाग के कुछ महत्वपूर्ण अधिकारी फोन तक नहीं उठाते हैं और रेफरल के नाम पर मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटकते रहते हैं।
संतोष गंगवार, केंद्रीय मंत्री
- फोटो : पीटीआई
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बरेली जिले के अफसर कोविड को लेकर व्यवस्था बेहतर बता रहे हैं लेकिन केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने मुख्यमंत्री को दिए पत्र में इसकी कलई खोल दी है। अपने पत्र में केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट लिखा है कि स्वास्थ्य विभाग के कुछ महत्वपूर्ण अधिकारी फोन तक नहीं उठाते हैं और रेफरल के नाम पर मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटकते रहते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि मध्य प्रदेश में एमएसएमई के अंतर्गत ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए अस्पतालों को सरकार द्वारा पचास प्रतिशत छूट दी जाती है। उन्होंने सुझाव दिया कि बरेली में भी कुछ निजी और सरकारी अस्पतालों को इस छूट के साथ जल्द से जल्द ऑक्सीजन प्लांट मुहैया कराया जाए ताकि ऑक्सीजन की कमी दूर हो सके।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी अवगत कराया कि अस्पतालों में उपयोग होने वाले मल्टीपैरा मॉनीटर, बायोपैक मशीन, वेंटिलेटर समेत अन्य जरूरी उपकरणों की कालाबाजारी कर डेढ़ गुनी कीमत पर बेचा जा रहा है। इसलिए इनकी कीमतें निर्धारित की जाएं और एमएसएमई से रजिस्टर्ड निजी अस्पतालों को छूट दिलाई जाए।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा है कि रेफर होने के बाद एक अस्पताल में बेड न मिलने पर मरीज जब दूसरे अस्पताल जाता है तो कहा जाता है कि जिला अस्पताल से दोबारा रेफर कराकर लाओ। इधर-उधर भटकने के दौरान ही मरीज की ऑक्सीजन लगातार कम होती रहती है। ऐसे में मरीज को जब पहली बार रेफर किया जाए, तभी उसके पर्चे पर सभी रेफरल सरकारी अस्पतालों को अंकित किया जाए ताकि उसे भटकना न पड़े।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की शिकायत करते हुए केंद्रीय मंत्री ने पत्र में लिखा है कि जिम्मेदार होने के बावजूद वे लोग फोन नहीं उठाते हैं, जिससे मरीजों को असुविधा हो रही है। बेवजह घरों में ऑक्सीजन सिलिंडर छिपाकर बैठे और कालाबाजारी कर रहे लोगों को भी उन्होंने चिह्नित करके कार्रवाई कराने को कहा है।
उन्होंने बरेली में कोविड के मरीजों को सभी प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती कराने की सुविधा उपलब्ध कराने को भी लिखा है। साथ ही सुझाव दिया है कि आयुष्मान भारत से जुड़े सभी अस्पतालों में वैक्सीन की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
पांच दिन में मिल रही आरटीपीसीआर की जांच रिपोर्ट
नगर विधायक डॉ. अरुण कुमार ने भी मुख्यमंत्री को एक पत्र सौंपा है। उन्होंने लिखा है कि बरेली को प्रतिदिन 30 मीट्रिक ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाए और वेंटिलेटर, आईसीयू बेड, ऑक्सीजन बेड, बाईपैप आदि की कमी दूर कराई जाए। साथ ही आरटीपीसीआर की रिपोर्ट आने में पांच दिन लग रहे हैं तब तक संक्रमित व्यक्ति कई अन्य को संक्रमित कर देता है।
स्ट्रिप न होने से बेकार पड़ी ट्रू नॉट मशीन
फरीदपुर विधायक प्रो. श्याम बिहारी लाल ने मुख्यमंत्री को बताया कि सीएचसी पर ट्रू नॉट मशीन उपलब्ध है लेकिन उसकी स्ट्रिप खत्म हो गई हैं। इसके कारण वह निष्प्रयोज्य पड़ी है। उन्होंने कहा कि अगर स्ट्रिप उपलब्ध करा दी जाएं तो कोरोना की जांच में तेजी आ जाएगी।
बिथरी विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल ने मुख्यमंत्री को दिए पत्र में कहा है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमेटी बनने से पहले ही उसकी खूब कालाबाजारी हुई। उसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाए और मरीजों के लिए इसकी समुचित व्यवस्था की जाए।
विस्तार
बरेली जिले के अफसर कोविड को लेकर व्यवस्था बेहतर बता रहे हैं लेकिन केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने मुख्यमंत्री को दिए पत्र में इसकी कलई खोल दी है। अपने पत्र में केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट लिखा है कि स्वास्थ्य विभाग के कुछ महत्वपूर्ण अधिकारी फोन तक नहीं उठाते हैं और रेफरल के नाम पर मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटकते रहते हैं।
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केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि मध्य प्रदेश में एमएसएमई के अंतर्गत ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए अस्पतालों को सरकार द्वारा पचास प्रतिशत छूट दी जाती है। उन्होंने सुझाव दिया कि बरेली में भी कुछ निजी और सरकारी अस्पतालों को इस छूट के साथ जल्द से जल्द ऑक्सीजन प्लांट मुहैया कराया जाए ताकि ऑक्सीजन की कमी दूर हो सके।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी अवगत कराया कि अस्पतालों में उपयोग होने वाले मल्टीपैरा मॉनीटर, बायोपैक मशीन, वेंटिलेटर समेत अन्य जरूरी उपकरणों की कालाबाजारी कर डेढ़ गुनी कीमत पर बेचा जा रहा है। इसलिए इनकी कीमतें निर्धारित की जाएं और एमएसएमई से रजिस्टर्ड निजी अस्पतालों को छूट दिलाई जाए।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा है कि रेफर होने के बाद एक अस्पताल में बेड न मिलने पर मरीज जब दूसरे अस्पताल जाता है तो कहा जाता है कि जिला अस्पताल से दोबारा रेफर कराकर लाओ। इधर-उधर भटकने के दौरान ही मरीज की ऑक्सीजन लगातार कम होती रहती है। ऐसे में मरीज को जब पहली बार रेफर किया जाए, तभी उसके पर्चे पर सभी रेफरल सरकारी अस्पतालों को अंकित किया जाए ताकि उसे भटकना न पड़े।
रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने वालों पर हो कार्रवाई
बिथरी विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल ने मुख्यमंत्री को दिए पत्र में कहा है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमेटी बनने से पहले ही उसकी खूब कालाबाजारी हुई। उसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाए और मरीजों के लिए इसकी समुचित व्यवस्था की जाए।
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