मुहम्मदाबाद। जिले की सबसे चर्चित विधानसभा मुहम्मदाबाद में बहुजन समाज पार्टी का अब तक खाता नहीं खुल पाया है। जबकि दो बार उसके प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे हैं। यहां के चुनाव परिणाम पर पूरे पूर्वांचल की निगाहें लगी रहती हैं। भूमिहार बाहुल्य इस विधानसभा क्षेत्र में भूमिहार और मुसलमान बिरादरी का ही कब्जा रहा है। क्षेत्र से छह बार कांग्रेस के टिकट पर विजयशंकर सिंह और चार बार भाकपा और एक बार सपा से अफजाल अंसारी विधायक रहे हैं। सीट पर अधिकांश मुकाबला भाजपा और अंसारी बंधुओं के बीच रहा है। बसपा का इस विधानसभा क्षेत्र में अभी खाता नहीं खुल पाया है जबकि दो बार वह मुख्य लड़ाई में रही। लेकिन उसे दूसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा। क्रमश: छह बार विधायक रह चुके विजयशंकर सिंह और पांच बार रहे अफजाल अंसारी के परिवार के सदस्य भी बसपा से किस्मत आजमा चुके हैं लेकिन उनका करिश्मा भी हाथी को विधानसभा तक नहीं पहुंचा पाया। 1996 में सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी और बसपा प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री कल्पनाथ राय के भांजे विरेंद्र राय के बीच कांटे की टक्कर हुई थी लेकिन बसपा दूसरे स्थान पर ही रही।
2002 के चुनाव में बसपा ने अपना प्रत्याशी बदला और विजयशंकर सिंह के परिवार के सदस्य संजय सिंह को प्रत्याशी बना जो तीसरे स्थान पर रहा। 2017 में बसपा ने पांच बार तक लगातार विधायक रहे अफजाल अंसारी के बड़े भाई दो बार विधायक रहे सिबगतुल्लाह अंसारी को प्रत्याशी बनाया लेकिन सिबगतुल्लाह भाजपा की अलका राय से 32727 मतों से पराजित हो गए। बसपा को दूसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ गया। इस बार बसपा ने 1996 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे स्व. विरेंद्र राय के पुत्र माधवेंद्र राय को प्रत्याशी बनाया है। अब लोगों में इस बात की चर्चा है कि बसपा प्रत्याशी किस नंबर पर होगा।
मुहम्मदाबाद। जिले की सबसे चर्चित विधानसभा मुहम्मदाबाद में बहुजन समाज पार्टी का अब तक खाता नहीं खुल पाया है। जबकि दो बार उसके प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे हैं। यहां के चुनाव परिणाम पर पूरे पूर्वांचल की निगाहें लगी रहती हैं। भूमिहार बाहुल्य इस विधानसभा क्षेत्र में भूमिहार और मुसलमान बिरादरी का ही कब्जा रहा है। क्षेत्र से छह बार कांग्रेस के टिकट पर विजयशंकर सिंह और चार बार भाकपा और एक बार सपा से अफजाल अंसारी विधायक रहे हैं। सीट पर अधिकांश मुकाबला भाजपा और अंसारी बंधुओं के बीच रहा है। बसपा का इस विधानसभा क्षेत्र में अभी खाता नहीं खुल पाया है जबकि दो बार वह मुख्य लड़ाई में रही। लेकिन उसे दूसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा। क्रमश: छह बार विधायक रह चुके विजयशंकर सिंह और पांच बार रहे अफजाल अंसारी के परिवार के सदस्य भी बसपा से किस्मत आजमा चुके हैं लेकिन उनका करिश्मा भी हाथी को विधानसभा तक नहीं पहुंचा पाया। 1996 में सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी और बसपा प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री कल्पनाथ राय के भांजे विरेंद्र राय के बीच कांटे की टक्कर हुई थी लेकिन बसपा दूसरे स्थान पर ही रही।
2002 के चुनाव में बसपा ने अपना प्रत्याशी बदला और विजयशंकर सिंह के परिवार के सदस्य संजय सिंह को प्रत्याशी बना जो तीसरे स्थान पर रहा। 2017 में बसपा ने पांच बार तक लगातार विधायक रहे अफजाल अंसारी के बड़े भाई दो बार विधायक रहे सिबगतुल्लाह अंसारी को प्रत्याशी बनाया लेकिन सिबगतुल्लाह भाजपा की अलका राय से 32727 मतों से पराजित हो गए। बसपा को दूसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ गया। इस बार बसपा ने 1996 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे स्व. विरेंद्र राय के पुत्र माधवेंद्र राय को प्रत्याशी बनाया है। अब लोगों में इस बात की चर्चा है कि बसपा प्रत्याशी किस नंबर पर होगा।