भरुआसुमेरपुर। आरक्षण आते ही दावेदारों के नए चेहरे सामने आने लगे हैं। भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस, आप से टिकट मांगने वालों की पार्टी कार्यालयों में लंबी लाइन लगने लगी हैं।
वर्ष 1997 में जब आरक्षण व्यवस्था लागू हुई, तब यह सीट अनुसूचित जाति महिला के लिए रिजर्व हुई थी। उस समय भाजपा की मीरा सोनकर विजयी हुई थी। इसके बाद अगले चुनाव में अनुसूचित जाति के सपा दावेदार डॉ. दिनेश वर्मा ने भाजपा के शिवनारायण सोनकर को हराया। वहीं तीसरी बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही सीट से भाजपा के शिवनारायण सोनकर विजयी रहे।
वर्ष 2012 के चुनाव में भाजपा की मीरा सोनकर को सफलता मिली। वर्ष 2017 में यह सीट अनारक्षित हुई। जिसमें कांग्रेस के आनंदी प्रसाद पालीवाल ने भाजपा के दावेदार को भारी अंतर से पराजित कर दिया। वहीं सामान्य सीट की आस में आधा सैकड़ा उम्मीदवार तैयारी में जुटे थे, लेकिन जैसे ही सीट अनुसूचित जाति को आरक्षित हुई।
वैसे ही चुनाव का नजारा बदल गया है। अब सभी दलों में नए चेहरों के नाम चर्चा में आने लगे हैं। वहीं आधा दर्जन लोगों ने आरक्षण पर आपत्ति दाखिल करते हुए अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित करने की मांग की है।