न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Thu, 19 Aug 2021 10:46 AM IST
ब्रिटिश इंडिया कारपोरेशन (बीआईसी) मुख्यालय और लाल इमली के दो अफसर जन्मतिथि में हेरफेर कर और पिता के नाम में गोलमाल कर 36 साल तक नौकरी करते रहे। मामले का खुलासा होने के बाद बीआईसी ने दोनों अफसरों को पिछले सप्ताह बर्खास्त कर दिया है।
वेतन की रिकवरी के लिए जल्द ही रिपोर्ट भी दर्ज कराई जाएगी। दोनों को 50 हजार के करीब वेतन मिलता था। अभय सिंह लाल इमली में सुपरवाइजर के पद पर तैनात थे। इन्होंने 1985 में नौकरी ज्वाइन की थी। कुछ समय नौकरी करने के बाद दस्तावेजों में कुछ कमी होने की बात विभाग में बताई और विभाग के अफसरों की मदद से जन्मतिथि और पिता के नाम में बदलाव करवाया।
इस दौरान जो दस्तावेज दिखाए गए, वे किसी दूसरे के नाम थे। वहीं रवींद्र सिंह गौड़ भी 1985 से नौकरी कर रहे थे। इस समय बीआईसी मुख्यालय में चीफ सिक्योरिटी अफसर पद पर तैनात थे। इन पर जन्मतिथि और बीआईसी की संपत्तियों में भी हेरफेर करने का आरोप है। सूत्रों के अनुसार सीबीआई की जांच में भी इनका नाम है।
तत्कालीन सचिव आरके मिश्रा के साथ ये संपत्तियों के गारंटर थे। इन दोनों अफसरों की शिकायत 2017 और 2018 में कपड़ा मंत्रालय में की गई थी। शिकायत में कहा गया था कि दोनों फर्जी नाम और दस्तावेजों के साथ नौकरी कर रहे हैं। इसके बाद तीन स्तरों पर दोनों की जांच कराई गई थी। जांच में दस्तावेजों में अंतर मिला तो मंत्रालय ने दोनों को बर्खास्त कर दिया है।
ब्रिटिश इंडिया कारपोरेशन (बीआईसी) मुख्यालय और लाल इमली के दो अफसर जन्मतिथि में हेरफेर कर और पिता के नाम में गोलमाल कर 36 साल तक नौकरी करते रहे। मामले का खुलासा होने के बाद बीआईसी ने दोनों अफसरों को पिछले सप्ताह बर्खास्त कर दिया है।
वेतन की रिकवरी के लिए जल्द ही रिपोर्ट भी दर्ज कराई जाएगी। दोनों को 50 हजार के करीब वेतन मिलता था। अभय सिंह लाल इमली में सुपरवाइजर के पद पर तैनात थे। इन्होंने 1985 में नौकरी ज्वाइन की थी। कुछ समय नौकरी करने के बाद दस्तावेजों में कुछ कमी होने की बात विभाग में बताई और विभाग के अफसरों की मदद से जन्मतिथि और पिता के नाम में बदलाव करवाया।
इस दौरान जो दस्तावेज दिखाए गए, वे किसी दूसरे के नाम थे। वहीं रवींद्र सिंह गौड़ भी 1985 से नौकरी कर रहे थे। इस समय बीआईसी मुख्यालय में चीफ सिक्योरिटी अफसर पद पर तैनात थे। इन पर जन्मतिथि और बीआईसी की संपत्तियों में भी हेरफेर करने का आरोप है। सूत्रों के अनुसार सीबीआई की जांच में भी इनका नाम है।
तत्कालीन सचिव आरके मिश्रा के साथ ये संपत्तियों के गारंटर थे। इन दोनों अफसरों की शिकायत 2017 और 2018 में कपड़ा मंत्रालय में की गई थी। शिकायत में कहा गया था कि दोनों फर्जी नाम और दस्तावेजों के साथ नौकरी कर रहे हैं। इसके बाद तीन स्तरों पर दोनों की जांच कराई गई थी। जांच में दस्तावेजों में अंतर मिला तो मंत्रालय ने दोनों को बर्खास्त कर दिया है।