वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में अस्तित्व में आई महाराजपुर विधानसभा सीट का गणित निराला है। यह सीट कैंट विधानसभा क्षेत्र से टूटकर बनी थी। इसमें शहर के जाजमऊ और आसपास के अलावा नर्वल तहसील क्षेत्र का बड़ा हिस्सा शामिल है। शहर का लाल बंगला जैसा बड़ा बाजार, यशोदानगर का रिहायशी मोहल्ला भी इसी क्षेत्र में आता है।
महाराजपुर सीट पर वर्ष-2012 में विधायकी के लिए हुए पहले चुनाव में सपा की लहर के बाद भी भाजपा ने सिक्का जमाया था। यहां से जीत हासिल करने वाले सतीश महाना सपा के शासनकाल में भी सत्ता में रहे। वह सरकारी आश्वासन समिति के सभापति मनोनीत किए गए थे। वर्ष-2017 में चुनाव जीते तो योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।
इससे पहले वह छावनी विधानसभा सीट से लगातार पांच बार विधायक भी रहे। सियासी समीकरणों के नजरिये से देखें तो महाराजपुर सीट पर दोनों चुनावों में भाजपा और बसपा का सीधा मुकाबला रहा। हालांकि, दोनों बार भाजपा को लगभग दोगुने अंतर से जीत हासिल हुई।
वर्ष 2012 में यहां पर भाजपा के सामने बसपा से पूर्व कैबिनेट मंत्री अनंत कुमार मिश्र (अंटू मिश्रा) की पत्नी शिखा मिश्रा और 2017 में मनोज शुक्ला प्रत्याशी रहे। दोनों बार महाना के सामने बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा।
वर्ष 2017 में कांग्रेस ने पूर्व सांसद और वर्तमान में समाजवादी पार्टी के पिछड़ों के नेता राजाराम पाल ने भी यहां से चुनाव लड़ा था, लेकिन वह सीधे मुकाबले से बाहर ही रहे। इस बार बसपा ने यहां से सुरेंद्र पाल सिंह चौहान और कांग्रेस ने युवा चेहरे कनिष्क पांडेय को मैदान में उतारा है। भाजपा और सपा ने अभी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। हालांकि, भाजपा से सतीश महाना का चुनाव लड़ना लगभग तय है।
चुनाव में ये रहेंगे क्षेत्र के मुद्दे
महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र का आधे से ज्यादा हिस्सा ग्रामीण है। ग्रामीण इलाकों में छुट्टा गोवंशों के साथ अवैध खनन बड़ा मुद्दा है। गोवंश किसानों को फसलें चौपट कर रहे हैं तो माफिया अवैध खनन कर खेतों को तालाब में तब्दील कर दे रहे हैं। इसके अलावा खस्ताहाल सड़कें और कोरोना महामारी के दौर में स्वास्थ्य सुविधाएं भी मुद्दा रहेंगी।
विस्तार
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में अस्तित्व में आई महाराजपुर विधानसभा सीट का गणित निराला है। यह सीट कैंट विधानसभा क्षेत्र से टूटकर बनी थी। इसमें शहर के जाजमऊ और आसपास के अलावा नर्वल तहसील क्षेत्र का बड़ा हिस्सा शामिल है। शहर का लाल बंगला जैसा बड़ा बाजार, यशोदानगर का रिहायशी मोहल्ला भी इसी क्षेत्र में आता है।
महाराजपुर सीट पर वर्ष-2012 में विधायकी के लिए हुए पहले चुनाव में सपा की लहर के बाद भी भाजपा ने सिक्का जमाया था। यहां से जीत हासिल करने वाले सतीश महाना सपा के शासनकाल में भी सत्ता में रहे। वह सरकारी आश्वासन समिति के सभापति मनोनीत किए गए थे। वर्ष-2017 में चुनाव जीते तो योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।
इससे पहले वह छावनी विधानसभा सीट से लगातार पांच बार विधायक भी रहे। सियासी समीकरणों के नजरिये से देखें तो महाराजपुर सीट पर दोनों चुनावों में भाजपा और बसपा का सीधा मुकाबला रहा। हालांकि, दोनों बार भाजपा को लगभग दोगुने अंतर से जीत हासिल हुई।
वर्ष 2012 में यहां पर भाजपा के सामने बसपा से पूर्व कैबिनेट मंत्री अनंत कुमार मिश्र (अंटू मिश्रा) की पत्नी शिखा मिश्रा और 2017 में मनोज शुक्ला प्रत्याशी रहे। दोनों बार महाना के सामने बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा।
वर्ष 2017 में कांग्रेस ने पूर्व सांसद और वर्तमान में समाजवादी पार्टी के पिछड़ों के नेता राजाराम पाल ने भी यहां से चुनाव लड़ा था, लेकिन वह सीधे मुकाबले से बाहर ही रहे। इस बार बसपा ने यहां से सुरेंद्र पाल सिंह चौहान और कांग्रेस ने युवा चेहरे कनिष्क पांडेय को मैदान में उतारा है। भाजपा और सपा ने अभी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। हालांकि, भाजपा से सतीश महाना का चुनाव लड़ना लगभग तय है।
चुनाव में ये रहेंगे क्षेत्र के मुद्दे
महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र का आधे से ज्यादा हिस्सा ग्रामीण है। ग्रामीण इलाकों में छुट्टा गोवंशों के साथ अवैध खनन बड़ा मुद्दा है। गोवंश किसानों को फसलें चौपट कर रहे हैं तो माफिया अवैध खनन कर खेतों को तालाब में तब्दील कर दे रहे हैं। इसके अलावा खस्ताहाल सड़कें और कोरोना महामारी के दौर में स्वास्थ्य सुविधाएं भी मुद्दा रहेंगी।