बरखेड़ा। सांड़ ने एक बुजुर्ग किसान को उठाकर पटक दिया, जिससे उनकी मौत हो गई।
गांव अरसियाबोझ निवासी गोविंद ने बताया कि उनकेे पिता टीकाराम (65) खेतीबाड़ी करते थे। गांव में उसके दो घर है। सोमवार को पुराने घर से नए घर जा रहे थे। रास्ते में सांड़ ने उन्हें उठाकर पटक दिया। जब तक ग्रामीणों ने सांड़ से पिता को बचाया, वह गंभीर रूप से घायल हो गए। इलाज के लिए सीएचसी लेकर गए। हालत गंभीर होने पर उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने पिता को मृत घोषित कर दिया। अस्पताल से मेमो थाने भेजा दिया। पुलिस ने शव मोर्चरी में रखवा दिया है। संवाद
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छत पर बैठा बालक बंदरों के हमले में गंभीर घायल
गजरौला/पीलीभीत। तमाम दावों के बाद भी गजरौला कस्बे में बंदरों का आतंक कम नहीं हो रहा है। रविवार शाम घर की छत पर बैठे बालक को बंदरों के झुंड ने हमला कर गंभीर घायल कर दिया। उसके शोर मचाने पर परिजनों ने बमुश्किल उसे बचाया। कस्बे के प्राइवेट अस्पताल में उपचार के बाद सोमवार को परिजनों ने जिला अस्पताल में बच्चे को टीका लगवाया।
कस्बा निवासी माखन लाल ने बताया कि उसकी पुत्री पूनम दो दिन पूर्व परिवार के साथ मायके में रहने आई थी। रविवार शाम पांच बजे पूनम का 12 वर्षीय पुत्र करन छत पर अकेला बैठा था। इस दौरान बंदरों का झुंड वहां पहुंच गया और करन पर हमला कर दिया। करन का सिर, चेहरा और अन्य हिस्से बुरी तरह से जख्मी हो गए। शोर शराबे पर परिजनों के अलावा आसपास के लोग छत पर पहुंचे। बच्चे को छत से नीचे लेकर आए। उसे गजरौला पीएचसी ले जाया गया। डॉक्टरों के न मिलने पर परिजन प्राइवेट अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां डॉक्टर ने करन का उपचार किया। सोमवार को जिला अस्पताल पहुंचकर टीका लगवाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि लगातार बंदरों का आतंक जारी है। तीन माह पूर्व कस्बे की एक बच्ची कुमकुम को भी बंदरों ने घायल कर दिया था। बरेली में पांच दिन तक उपचार चला था। एक अन्य बच्चे आदित्य को भी बंदरों ने नोंच दिया था। वन विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने से लोगों का आक्रोश बढ़ रहा है। वन विभाग की ओर से घटना से संबंधित किसी भी कर्मचारी ने जानकारी नहीं जुटाई है। ग्रामीणों का कहना है कि इस समय कस्बे में करीब पांच सौ बंदर हैं। सड़कों पर निकलना भी मुश्किल है।