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Pilibhit News: अब तक तीस फीसदी ही धान की खरीद, कठघरे में जिम्मेदार
बरेली ब्यूरो
Updated Sun, 04 Dec 2022 07:00 AM IST
पीलीभीत मंडी समिति में सूने पड़े क्रय केंद्र। संवाद
- फोटो : PILIBHIT
पीलीभीत/जहानाबाद। जिले में इस बार अब तक लक्ष्य के सापेक्ष सिर्फ 30 फीसदी ही धान की खरीद हो पाई है, किसाने चिल्लाते रहे पर किसी ने सुनवाई नहीं की। ऐसे में जिम्मेदार कठघरे में आ गए हैं।
जिले में इस बार एक लाख 37 हजार हेक्टेयर रकबे में धान बोया गया था। पहले सूखे, फिर बरसात ने किसानों को रुलाया। एक अक्तूबर से धान खरीद शुरू हुई। किसानों को उम्मीद थी कि सरकारी केंद्रों पर धान बिक जाएगा तो कुछ आंसू पुंछ जाएंगे, लेकिन धान खरीद भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। सरकारी केंद्रों पर धान नहीं खरीदा गया तो किसानों को औने-पौने दामों पर मिल मालिकों को धान बेचना पड़ा। यही कारण रहा कि जिला धान खरीद में काफी पीछे रह गया। धान लगभग सभी जगह से कट चुका है, गेहूं की बुआई शुरू हो चुकी है। बावजूद इसके अब तक महज 30 प्रतिशत धान ही सरकारी केंद्रों पर खरीदा गया है।
यहां बता दें कि पीलीभीत जिले को इस बार 3.20 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य दिया गया था। इसके लिए 148 क्रय केंद्र खोले गए थे। पिछले दिनों शासन ने खुद माना कि अब किसानों पर धान कम बचा है लिहाजा सभी केंद्रों पर तौल के लिए एक-एक कांटा कम कर दिया गया। किसान नेताओं का भी मानना है कि अब महज 10 से 15 प्रतिशत धान ही किसानों के पास बचा है।
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई खरीद
धान खरीद के लिए एडीएम वित्त एवं राजस्व रामसिंह गौतम को नोडल अधिकारी बनाया गया था। बावजूद इसके कोई दिन नहीं रहा जो किसानों ने धान खरीद में गड़बड़ी की शिकायत नहीं की। गड़बड़ी का आलम यह रहा कि खरीद केंद्र करीब रखने के बजाए शाहजहांपुर जिले की राइस मिल के निकट बना दिए गए। स्थानीय अधिकारियों ने नहीं सुनी तो मामला शासन तक पहुंचा। इसके बाद डिप्टी आरएमओ को निलंबित कर दिया गया। कासगंज के डिप्टी आरएमओ विकास कुमार शुक्ला का यहां का अतिरिक्त चार्ज दिया गया।
हाल ही में एसडीएम ने किया था जहानाबाद में मिल का सर्वे
किसानों का धान राइस मिल में जाने की सूचनाएं प्रशासन को लगातार मिल रहीं थीं। पिछले सप्ताह डीएम ने जिले की सभी राइस मिलों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे। एसडीएम को अपनी-अपनी तहसील में मिलों का निरीक्षण कर रिपोर्ट धान खरीद के नोडल अधिकारी को देनी थी। जहानाबाद की इंडियन राइस मिल में एसडीएम अमरिया सौरभ यादव ने निरीक्षण किया था। एसडीएम ने बताया कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट बनाकर एडीएम रामसिंह गौतम को भेज दी थी।
एफआईआर में राज्यमंत्री के निरीक्षण का भी जिक्र, देने होंगे बयान
प्रशासनिक अफसरों ने रिपोर्ट दर्ज कराते समय चतुराई में कोई कमी नहीं छोड़ी। जहानाबाद थाने में दर्ज कराए गए मुकदमे में गन्ना राज्यमंत्री को भी ले लिया। गड़बड़ी पकड़ में आने के बाद डीएम ने मुकदमा दर्ज कराने के मौखिक निर्देश दिए। इसके बाद खाद्य विपणन निरीक्षक जयसिंह की तरफ से जहानाबाद थाने में तहरीर दी गई। तहरीर का मजमून कुछ इस तरह लिखा गया कि राज्यमंत्री खुद व खुद उसमें शामिल हो गए। तहरीर में लिखा गया है कि गन्ना विकास एवं चीनी मिल राज्यमंत्री संजय गंगवार ने इंडियन राइस मिल निसरा का अधिकारियों के साथ औचक निरीक्षण किया। मिल स्वामी ने सरकारी व निजी धान को अलग-अलग मार्कों के अनुसार स्टॉक नहीं किया था। मिल में 13564 बोरी ऐसा धान मिला जिसके कोई अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए गए। मुकदमा आईपीसी की धारा 429 व 409 में इंडियन राइस मिल के स्वामी व भागीदरों व अन्य के खिलाफ लिखा गया है। साफ है अब विवेचना में पुलिस को गन्ना मंत्री के बयान भी दर्ज करने होंगे।
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मजबूरी में किसानों को धान मिलों को बेचना पड़ा धान
खरीद केंद्रों पर धान मानक का न होना बताकर नहीं खरीदा गया। अफसरों के धान खरीद की ओर ध्यान न देने पर मजबूरन किसानों ने राइस मिलों को धान की बिक्री की। अब किसान बिक्री किए गए धान के भुगतान को किसान भटक रहे हैं।
-स्वराज सिंह जिलाध्यक्ष, भाकियू
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अफसरों ने शिकायत के बाद भी नहीं दिया ध्यान
धान खरीद केंद्रों पर पूरी सीजन में किसानों का नाममात्र का धान खरीदा गया है। शिकायत जिले के नोडल अफसर समेत अन्य अफसरों से की। मगर किसी अफसर ने ध्यान नहीं दिया। परिणामस्वरूप किसानों को औने, पौने दामों में धान की बिक्री करनी पड़ी।
-मंजीत सिंह जिलाध्यक्ष भाकियू (अराजनीतिक)
मिल में करीब पांच हजार क्विंटल धान का कोई रिकार्ड नहीं मिला। थाने में एफआईआर दर्ज करवा दी गई है। अब तक मिल मालिक भी सामने नहीं आया है। अब पुलिस की जांच में पता चलेगा कि धान मिल में कहां से आया था।
- विजय कुमार शुक्ला, डिप्टी आरएमओ
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