बीसलपुर (पीलीभीत)। मिलों की मनमानी के चलते गन्ना समिति क्षेत्र के 38 हजार किसानों ने इस बार गन्ने की खेती छोड़ दी है। इन किसानों ने अब गन्ने के स्थान पर धान और गेहूं की खेती करनी शुरू कर दी है।
सहकारी गन्ना विकास समिति के अभिलेखों के अनुसार इस समिति क्षेत्र में 1.13 लाख गन्ना किसान हैं। इनके विपरीत केवल 75 हजार किसानों ने ही इस बार सट्टे बनवाए हैं। 38 हजार किसानों ने खेतों में गन्ने की फसल नहीं बोई है। इस वजह से इन किसानों ने गन्ने के सट्टे नहीं बनाए गए। गन्ने के सट्टे उन्हीं किसानों के बनते हैं, जिनके खेतों में गन्ने की फसल खड़ी होती है।
गन्ना पर्यवेक्षकों के सट्टे बनाने के दौरान किए गए मौका मुआयना से स्पष्ट हुआ है कि काफी संख्या में उन किसानों ने धान और गेहूं की खेती करनी शुरू कर दी है, जो अब तक गन्ने की फसल करते थे।
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इन दिक्कतों के चलते छोड़ी गन्ने की खेती
किसानों से बात करने पर सामने आया है कि मिलों से गन्ने का भुगतान सही समय पर न मिलना, क्रय केंद्रों पर घटतौली, क्रय केंद्रों पर उतराई शुल्क की वसूली, गन्ना दफ्तरों में किसानों की गन्ने की खेती से संबंधित समस्याओं का समय पर निस्तारण न होना, किसानों पर घोषणा पत्र भरने के लिए दबाव बनाना, गन्ना माफिया के विरुद्ध कार्रवाई न होना ऐसी वजह हैं जिससे वे गन्ने की खेती से दूर हुए हैं।
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इन गांवों के किसानों ने छोड़ी गन्ने की खेती
बीसलपुर नगर, बिलसंडा नगर, बरखेड़ा नगर, लुहिचा, लौंगहा, साबेपुर, परानपुर, भीकमपुर, शेरगंज, सिमरा, तनाया, मुसेली, परेवा, किशनी, मितेपुर, शेखापुर, दौलतपुर, मीरपुर वाहनपुर, रसायाखानपुर, अमृता खास, बैरा, रंपुरा रना, खांडेपुर, दियोरिया, मनकापुर, शीतलपुर, भंदेगकंजा, ईंटगांव और सुहेला।
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केवल 75 हजार किसानों के बने हैं सट्टे
सहकारी गन्ना विकास समिति के सचिव आरपी कुशवाहा ने बताया कि समिति क्षेत्र में कुल 1.13 लाख गन्ना किसान हैं। इस बार केवल 75 हजार किसानों के खेतों में सर्वेक्षण के दौरान गन्ने की फसल खड़ी मिली है। इसलिए 75 हजार किसानों के ही सट्टे बने हैं।