सीतापुर। मनरेगा के तहत कराए गए कामों में कई लोगों ने अपनी जेबें गर्म कीं। अब जब मामला पकड़ में आया और कार्रवाई का दौर चला तो खलबली मची हुई है। क्षेत्र पंचायत की ओर से हुए काम में एक लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता मिली तो वहीं ग्राम पंचायत से कागजों पर ही दो चकमार्ग बनवा दिए गए।
डीएम ने पूरे मामले में सख्त रुख दिखाते हुए तत्कालीन खंड विकास अधिकारी, मनरेगा के तकनीकी सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर, एकाउंटेंट, जेई और एडीओ समाज कल्याण के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए हैं। साथ ही अब रिकवरी भी की जाएगी।
मिश्रिख ब्लॉक के गांव अरथापुर में दो चकरोड बनाए बिना ही धन निकाल लिए जाने की शिकायत सीडीओ को मिली थी। इस पर सीडीओ अक्षत वर्मा ने ग्राम्य विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक, जिला विकास अधिकारी और ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की सहायक अभियंता की संयुक्त जांच कमेटी गठित की थी।
जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सीडीओ को सौंपी तो सीडीओ ने कार्रवाई के लिए पत्रावली डीएम को भेज दी थी। जांच टीम को अरथापुर ग्राम पंचायत में मनरेगा से दो चकरोड बनवाने के नाम पर लगभग 85 हजार रुपये का भुगतान किए जाने की जानकारी मिली, लेकिन मौके पर यह काम हुआ ही नहीं था।
इस मामले में तत्कालीन खंड विकास अधिकारी अजय प्रताप सिंह, तकनीकी सहायक, मनरेगा का कंप्यूटर ऑपरेटर, मनरेगा के एकाउंटेंट और ब्लॉक के एकाउंटेंट को दोषी माना गया है। डीएम ने सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने व गबन की राशि की वसूली के साथ ही तत्कालीन खंड विकास अधिकारी को प्रतिकूल प्रविष्टि और अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी को चेतावनी जारी करने के निर्देश दिए हैं।
इसके अलावा मिश्रिख क्षेत्र पंचायत से फौलादगंज में तीन सौ मीटर अधिक लंबाई में कार्य दिखाकर एक लाख रुपये का अतिरिक्त भुगतान निकाला गया। इस प्रकरण में तत्कालीन खंड विकास अधिकारी अजय प्रताप सिंह, कार्य प्रभारी रहे एडीओ समाज कल्याण और ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अवर अभियंता सुरेंद्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने, रिकवरी कराने और विभागीय कार्यवाई करने के आदेश डीएम ने दिए हैं।
मिलीं हैं अनियमितताएं, होगी रिकवारी
मिश्रिख क्षेत्र पंचायत और अरथापुर ग्राम पंचायत में मनरेगा कार्यों में बड़ी अनियमितताएं मिलीं हैं। डीएम ने सभी दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने, रिकवरी और अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
अक्षत वर्मा, सीडीओ, सीतापुर