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पितृपक्ष और नवरात्र के बीच जो अमावस्या होती है उसे कहा जाता है ‘महालया’ और इसी दिन से दुर्गा पूजा की भी शुरुआत हो जाती है। यूं तो षष्ठी से दुर्गा पूजा पंडालों में पूजा शुरू होती है पर तृतीया का महत्व भी कुछ कम नहीं। बंगाल सहित कई जगहों पर शारदीय नवरात्र की तृतीया को ‘सिंदूर तृतीया’ के रूप में मनाया जाता है। तो क्या है ‘सिंदूर तृतीया’ का महत्तव और किस-किस तरह से करना चाहिए सिंदूर का इस्तेमाल कि घर से रहें सारी बाधाएं दूर और हो लक्ष्मी का वास, देखिए इस रिपोर्ट में।