आतंकियों को वित्तीय सहायता पर लगाम लगाने में नाकाम रहे पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने के फाइनैंशल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के फैसले के बाद इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ गए पाकिस्तान की मदद के लिए एक बार फिर चीन आगे आ गया है। हर क्षेत्र में भारत के प्रतिद्वंद्वी माने जानेवाले चीन ने एफएटीएफ के फैसले से अलग कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान पर भरोसा करना चाहिए। यही नहीं चीन ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान की तारीफ भी की है।
चीन ने कहा है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में काफी कोशिश की हैं और उसे बलिदान भी देना पड़ा है। चीन ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को पाकिस्तान की इन कोशिशों को पूर्ण मान्यता देनी चाहिए।
बुधवार को ग्रे लिस्ट में डाला गया पाक
बता दें कि बुधवार को 37 सदस्यों के संस्था एफएटीएफ ने बुधवार को पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। इस सूची में शामिल होने वाला पाकिस्तान नौवां देश है। एफएटीएफ ने कहा कि टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोक पाने में रणनीतिक रूप से विफल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दुनिया की वित्तीय व्यवस्था को खतरे में डालेगी।
पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डालने के फैसले का भारत और अमेरिका ने स्वागत किया है। इस मामले में शनिवार को विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि पाकिस्तान ने काफी उच्च स्तर पर वैश्विक चिंताओं के समाधान और फाइनेंशल एक्शन टास्ट फोर्स (एफएटीएफ) के मानक का पालन करने की राजनीतिक प्रतिबद्धता जताई थी। मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकियों को वित्तीय सहायता पर लगाम लगाने की बात की गई थी, लेकिन हाफिज सईद जैसे आतंकियों और जमात-उद-दावा, लश्कर जैसे संगठनों को जिस तरह की छूट पाकिस्तान में मिली हुई है यह एफआईटीएफ के मानकों के खिलाफ है।
26 सूत्रीय एक्शन प्लान जमा करने के बावजूद हुआ यह फैसला
बता दें कि पाकिस्तान पर आरोप है कि वह आतंकवादियों की आर्थिक मदद को रोक पाने में असफल रहा है। इस बड़े झटके के बाद अब पाकिस्तान को ये डर सता रहा है कि कहीं उसे ब्लैक लिस्ट में ना डाल दिया जाए। अधिकारियों द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए पाकिस्तान ने 15 महीनों के अंदर 26 सूत्रीय एक्शन प्लान भी तैयार किया था बावजूद इसके उसके खिलाफ ये कदम उठाया गया।
इस एक्शन प्लान में बताया गया है कि आतंकियों को दी जाने वाली आर्थिक मदद को किस प्रकार रोका जाएगा और इसके लिए कौन कौन से कदम उठाए जाएंगे। इसमें मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद को दी जा रही आर्थिक मदद पर भी रोक की बात कही गई है।
पाकिस्तान को होगा आर्थिक नुकसान
पाकिस्तान द्वारा 26 सूत्रीय एक्शन प्लान जमा करने के बाद ये फैसला सामने आया। कहा जा रहा है कि ग्रे लिस्ट में आने से पाकिस्तान को आर्थिक नुकसान पहुंचेगा और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी उसकी छवि को आघात होगा। इस स्थिति से बचने के लिए अख्तर ने एफएटीएफ से आग्रह भी किया था कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटा दिया जाए।
पाकिस्तान की 26 सूत्रीय एक्शन प्लान को एफएटीएफ ने मान लिया। पैरिस में हुई इस बैठक में अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखने का समर्थन किया। बताया जा रहा है कि इस बैठक में अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के अलावा पाकिस्तान के खास सहयोगी चीन, तुर्की और सऊदी अरब भी मौजूद थे। इन सहयोगियों ने भी इस ग्रे लिस्ट के फैसले का पूर्ण समर्थन किया।
आतंकियों को वित्तीय सहायता पर लगाम लगाने में नाकाम रहे पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने के फाइनैंशल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के फैसले के बाद इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ गए पाकिस्तान की मदद के लिए एक बार फिर चीन आगे आ गया है। हर क्षेत्र में भारत के प्रतिद्वंद्वी माने जानेवाले चीन ने एफएटीएफ के फैसले से अलग कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान पर भरोसा करना चाहिए। यही नहीं चीन ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान की तारीफ भी की है।
चीन ने कहा है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में काफी कोशिश की हैं और उसे बलिदान भी देना पड़ा है। चीन ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को पाकिस्तान की इन कोशिशों को पूर्ण मान्यता देनी चाहिए।
बुधवार को ग्रे लिस्ट में डाला गया पाक
बता दें कि बुधवार को 37 सदस्यों के संस्था एफएटीएफ ने बुधवार को पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। इस सूची में शामिल होने वाला पाकिस्तान नौवां देश है। एफएटीएफ ने कहा कि टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोक पाने में रणनीतिक रूप से विफल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दुनिया की वित्तीय व्यवस्था को खतरे में डालेगी।
पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डालने के फैसले का भारत और अमेरिका ने स्वागत किया है। इस मामले में शनिवार को विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि पाकिस्तान ने काफी उच्च स्तर पर वैश्विक चिंताओं के समाधान और फाइनेंशल एक्शन टास्ट फोर्स (एफएटीएफ) के मानक का पालन करने की राजनीतिक प्रतिबद्धता जताई थी। मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकियों को वित्तीय सहायता पर लगाम लगाने की बात की गई थी, लेकिन हाफिज सईद जैसे आतंकियों और जमात-उद-दावा, लश्कर जैसे संगठनों को जिस तरह की छूट पाकिस्तान में मिली हुई है यह एफआईटीएफ के मानकों के खिलाफ है।