पश्चिमी देशों के साथ तनाव घटाने के लिए मकसद से शुरू हुई वार्ता प्रक्रिया का पहला चरण निराशाजनक रहा। अमेरिकी विदेश उपमंत्री वेंडी शरमन और रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव के बीच जिनेवा में हुई वार्ता के दौरान दोनों पक्ष अपने सख्त रुख पर कायम रहे। ऐसा होने के संकेत बातचीत शुरू होने के पहले ही मिल गए थे।
अब पर्यवेक्षकों की निगाह बुधवार को रूस और नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) के बीच होने वार्ता पर टिकी है। इस वार्ता प्रक्रिया का तीसरा चरण गुरुवार को होगा, जब रूस और ऑर्गेनाइजेशन फॉर सिक्योरिटी एंड को-ऑपरेशन इन यूरोप (ओएससीई) के बीच बातचीत होगी। ओएससीई यूरोपीय देशों का संगठन है।
रूस ने बताई थीं ‘लक्ष्मण रेखाएं’
ये बातचीत तनाव घटाने के लिए रूस की तरफ से भेजे गए दस्तावेज के आधार पर हो रही है। पिछले 17 दिसंबर को रूस ने यह दस्तावेज अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को भेजा था। इसमें उसने अपनी वे ‘लक्ष्मण रेखाएं’ बताई थीं, और कहा था कि इनका उल्लंघन वह बर्दाश्त नहीं करेगा। रूस ने कहा था कि अगर पश्चिमी देश इन लक्ष्मण रेखाओं का पालन करें, तो दोनों पक्षों के संबंध सुधर सकते हैं।
विश्लेषकों के मुताबिक सोमवार को हुई वार्ता के दौरान अमेरिका ने साफ कर दिया कि वह रूस की इस प्रमुख शर्त को नहीं मानेगा कि यूक्रेन और जॉर्जिया को नाटो में शामिल न किया जाए। सोमवार को शरमन और रयाबकोव के बीच बातचीत सात घंटों से भी ज्यादा समय तक चली। बताया जाता है कि इसमें दोनों पक्षों ने बेलाग ढंग से अपनी बात रखी।
बातचीत के बाद पत्रकारों से रयाबकोव ने कहा- ‘हमारे लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि यूक्रेन कभी भी नाटो का सदस्य न बन सके। यही बात पूर्व सोवियत गणराज्य जॉर्जिया पर भी लागू होती है।’ दूसरी तरफ अमेरिका की तरफ से कहा गया कि वह यूरोप में तैनात होने वाली मिसाइलों और नाटो के सैनिक अभ्यासों के आकार और प्रकार पर बातचीत करने को तैयार नहीं है। लेकिन नाटो का विस्तार न करने की शर्त उसे मंजूर नहीं है।
दोनों पक्षों के अपने रुख पर अडिग रहने के कारण बातचीत गतिरोध की स्थिति में खत्म हुई। फिर भी पर्यवेक्षकों का कहना है बुधवार को नाटो प्रतिनिधियों और गुरुवार को ओएससीई प्रतिनिधियों के साथ रूस की बातचीत में सहमति बनने की संभावना बनी हुई है।
अमेरिका बोला- रूस कर रहा यूक्रेन पर हमले की तैयारी
विश्लेषकों के मुताबिक रूस बातचीत को नाटो के विस्तार से जुड़ी अपनी शर्त पर केंद्रित रखना चाहता है। जबकि अमेरिका ने यह साफ संकेत दिया है कि उसके लिए प्राथमिकता यूक्रेन पर रूसी हमले की आशंका को टालना है। अमेरिका का आरोप है कि रूस ने यूक्रेन से लगी अपनी सीमा पर लगभग एक लाख सैनिक तैनात कर रखे हैं और वह यूक्रेन पर हमले की तैयारी कर रहा है। लेकिन रूस ने यूक्रेन पर हमले से जुड़ी आशंकाओं का खंडन किया है। रूसी उप विदेश मंत्री ने कहा कि रूसी सेनाएं अपनी जमीन पर तैनात हैं।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगर रूस ने यूक्रेन से सीमा पर तनाव घटाने का संकेत दिया, तो बातचीत आगे बढ़ सकती है। उधर रूस ने कहा है कि पश्चिमी देश प्रतिबंध लगाने और दूसरी तरह की धमकियों की भाषा न बोलें, तो तनाव घटाने की शुरुआत हो सकती है।
विस्तार
पश्चिमी देशों के साथ तनाव घटाने के लिए मकसद से शुरू हुई वार्ता प्रक्रिया का पहला चरण निराशाजनक रहा। अमेरिकी विदेश उपमंत्री वेंडी शरमन और रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव के बीच जिनेवा में हुई वार्ता के दौरान दोनों पक्ष अपने सख्त रुख पर कायम रहे। ऐसा होने के संकेत बातचीत शुरू होने के पहले ही मिल गए थे।
अब पर्यवेक्षकों की निगाह बुधवार को रूस और नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) के बीच होने वार्ता पर टिकी है। इस वार्ता प्रक्रिया का तीसरा चरण गुरुवार को होगा, जब रूस और ऑर्गेनाइजेशन फॉर सिक्योरिटी एंड को-ऑपरेशन इन यूरोप (ओएससीई) के बीच बातचीत होगी। ओएससीई यूरोपीय देशों का संगठन है।
रूस ने बताई थीं ‘लक्ष्मण रेखाएं’
ये बातचीत तनाव घटाने के लिए रूस की तरफ से भेजे गए दस्तावेज के आधार पर हो रही है। पिछले 17 दिसंबर को रूस ने यह दस्तावेज अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को भेजा था। इसमें उसने अपनी वे ‘लक्ष्मण रेखाएं’ बताई थीं, और कहा था कि इनका उल्लंघन वह बर्दाश्त नहीं करेगा। रूस ने कहा था कि अगर पश्चिमी देश इन लक्ष्मण रेखाओं का पालन करें, तो दोनों पक्षों के संबंध सुधर सकते हैं।
विश्लेषकों के मुताबिक सोमवार को हुई वार्ता के दौरान अमेरिका ने साफ कर दिया कि वह रूस की इस प्रमुख शर्त को नहीं मानेगा कि यूक्रेन और जॉर्जिया को नाटो में शामिल न किया जाए। सोमवार को शरमन और रयाबकोव के बीच बातचीत सात घंटों से भी ज्यादा समय तक चली। बताया जाता है कि इसमें दोनों पक्षों ने बेलाग ढंग से अपनी बात रखी।
बातचीत के बाद पत्रकारों से रयाबकोव ने कहा- ‘हमारे लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि यूक्रेन कभी भी नाटो का सदस्य न बन सके। यही बात पूर्व सोवियत गणराज्य जॉर्जिया पर भी लागू होती है।’ दूसरी तरफ अमेरिका की तरफ से कहा गया कि वह यूरोप में तैनात होने वाली मिसाइलों और नाटो के सैनिक अभ्यासों के आकार और प्रकार पर बातचीत करने को तैयार नहीं है। लेकिन नाटो का विस्तार न करने की शर्त उसे मंजूर नहीं है।
दोनों पक्षों के अपने रुख पर अडिग रहने के कारण बातचीत गतिरोध की स्थिति में खत्म हुई। फिर भी पर्यवेक्षकों का कहना है बुधवार को नाटो प्रतिनिधियों और गुरुवार को ओएससीई प्रतिनिधियों के साथ रूस की बातचीत में सहमति बनने की संभावना बनी हुई है।
अमेरिका बोला- रूस कर रहा यूक्रेन पर हमले की तैयारी
विश्लेषकों के मुताबिक रूस बातचीत को नाटो के विस्तार से जुड़ी अपनी शर्त पर केंद्रित रखना चाहता है। जबकि अमेरिका ने यह साफ संकेत दिया है कि उसके लिए प्राथमिकता यूक्रेन पर रूसी हमले की आशंका को टालना है। अमेरिका का आरोप है कि रूस ने यूक्रेन से लगी अपनी सीमा पर लगभग एक लाख सैनिक तैनात कर रखे हैं और वह यूक्रेन पर हमले की तैयारी कर रहा है। लेकिन रूस ने यूक्रेन पर हमले से जुड़ी आशंकाओं का खंडन किया है। रूसी उप विदेश मंत्री ने कहा कि रूसी सेनाएं अपनी जमीन पर तैनात हैं।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगर रूस ने यूक्रेन से सीमा पर तनाव घटाने का संकेत दिया, तो बातचीत आगे बढ़ सकती है। उधर रूस ने कहा है कि पश्चिमी देश प्रतिबंध लगाने और दूसरी तरह की धमकियों की भाषा न बोलें, तो तनाव घटाने की शुरुआत हो सकती है।