अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद से हिंसक प्रदर्शन के दौरान जमकर आगजनी और लूटपाट मचाई जा रही है। इस हिंसक प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों लोग घायल हो गए और कुछ लोगों की मौत की भी खबर आई है। वहीं इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सभी प्रदर्शनकीरियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर प्रदर्शनकारी हमारी अपील को नहीं सुनते हैं तो हमें सेना को उतारनी पड़ेगी, लेकिन अब अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने ट्रंप के इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकीरियों से निपटने के लिए सड़क पर सेना उतारने की कोई जरूरत नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि ट्रम्प के कहने पर देश की राजधानी के बाहर लगभग 1,300 सेना के जवानों को सुरक्षा के मद्देनजर लगा दिया गया है। लेकिन उन्हें शहर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई है। वहीं संबंधित रक्षा अधिकारियों ने कहा कि कुछ सैनिकों को मिलिट्री बेस वापस जाने को भी कहा गया है।
बता दें की राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि अगर गवर्नर 48 घंटे में विरोध प्रदर्शन नहीं रोक पाए तो हमें विद्रोह अधिनियम का उपयोग करना पड़ेगा। वहीं रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने कहा कि अमेरिका 1807 कानून का उपयोग गंभीर स्थितियों में ही लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शांति पूर्वक प्रदर्शनकारियों से निपटा जा सकता है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि हाल के दशकों की सबसे ख़राब नस्लीय और नागरिक अशांति की कुछ घटनाओं पर गवर्नरों की प्रतिक्रिया बेहद कमजोर रही हैं। ट्रंप ने कहा था कि गवर्नर हिसंक प्रदर्शनों से सख्ती से निपटें। ट्रंप के इस बयान पर विवाद होने के बाद व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने कहा है कि इस बयान का गलत मतलब निकाला जा रहा है।
ट्रंप की प्रवक्ता केयली मैकइनैनी ने कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप के कहने का मतलब ये था कि गवर्नर नेशनल गार्ड का उपयोग करें। राष्ट्रपति ट्रंप ने हिंसा के लिए वामपंथी कट्टरपंथियों को ज़िम्मेदार ठहराया है। वहीं आलोचकों का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप समाज में विभाजन पैदा कर रहे हैं।
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इस पूरे मामले की शुरुआत एक दुकानदार द्वारा 20 डॉलर के जाली नोट के इस्तेमाल के बारे में फ्लॉयड खिलाफ पुलिस को सूचना दी गई। बता दें कि 25 मई की शाम को फ्लॉयड ने एक किराने की दुकान से सिगरेट खरीदा था। उस वक्त दुकान में मौजूद दुकानदार को लगा कि जॉर्ज जाली नोट दे रहे हैं और उसने इसकी सूचना देने के लिए पुलिस को लगभग आठ बजकर एक मिनट के करीब फोन किया था।
दुकानदार ने पुलिस को कॉल कर कहा कि मैं फ्लॉयड नाम के शख्स से वापस सिगरेट मांग रहा हूं तो वे देना नहीं चाह रहे हैं। उस स्टाफ ने यह भी कहा कि जॉर्ज ने बहुत अधिक शराब पी रखी है और अपने काबू में नहीं हैं। इस कॉल के कुछ ही देर के बाद करीब आठ बजकर आठ मिनट पर दो पुलिस वाले वहां पहुंच गए। जॉर्ज फ्लॉयड दो अन्य लोगों के साथ किनारे खड़ी गाड़ी में बैठे हुए थे।
उनमें से एक पुलिस अधिकारी थॉमस लेन ने कार की ओर बढ़ते हुए अपनी बंदूक निकाल ली और फ्लॉयड को हाथ खड़ा करने को कहा। हालांकि अभियोजन पक्ष ने यह जरूर कहा कि थॉमस लेन ने जॉर्ज का हाथ पकड़कर उन्हें कार से बाहर खींचा था और फिर तब फ्लॉयड ने हथकड़ी लगाए जाने का विरोध कर रहे थे।
थॉमस लेन का कहना है कि वो जाली नोट के इस्तेमाल को लेकर जॉर्ज को गिरफ्तार कर रहे थे लेकिन जॉर्ज इसका लगातार विरोध कर रहे थे। रिपोर्ट के मुताबिक जॉर्ज जमीन पर गिर गए और पुलिस से छोड़ने की गुहार लगाने लगे। तभी वहां डेरेक पहुंचते हैं और दूसरे पुलिस अधिकारियो के साथ मिलकर फ्लॉयड को पुलिस कार में बिठाने की कोशिश करते हैं।
इस कोशिश के दौरान आठ बजकर 19 मिनट पर डेरेक चाउविन जॉर्ज को घुटने टेककर दबा देते है। वो वहीं फ्लॉयड हथकड़ी बंधे मुंह के बल जमीन पर गिरे रहते हैं। तभी वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने उनका वो वीडियो बनाना शुरू कर दिया जो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया है। जब डेरेक गर्दन दबाए हुए थे तब दूसरे पुलिस वाले जॉर्ज को पकड़ रखे थे।
इस दौरान फ्लॉयड कह रहे थे कि मुझे सांस नहीं आ रही है। वो अपनी मां का वास्ता दे रहे थे और फिर से खुद को छोड़ने की गुहार लगा रहे थे। करीब आठ बजकर 27 मिनट पर डेरेक ने उनकी गर्दन से अपना घुटना हटाया। इसके बाद शांत हो गए जॉर्ज को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें एक घंटे के बाद मृत घोषित कर दिया गया।
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अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद से हिंसक प्रदर्शन के दौरान जमकर आगजनी और लूटपाट मचाई जा रही है। इस हिंसक प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों लोग घायल हो गए और कुछ लोगों की मौत की भी खबर आई है। वहीं इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सभी प्रदर्शनकीरियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर प्रदर्शनकारी हमारी अपील को नहीं सुनते हैं तो हमें सेना को उतारनी पड़ेगी, लेकिन अब अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने ट्रंप के इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकीरियों से निपटने के लिए सड़क पर सेना उतारने की कोई जरूरत नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि ट्रम्प के कहने पर देश की राजधानी के बाहर लगभग 1,300 सेना के जवानों को सुरक्षा के मद्देनजर लगा दिया गया है। लेकिन उन्हें शहर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई है। वहीं संबंधित रक्षा अधिकारियों ने कहा कि कुछ सैनिकों को मिलिट्री बेस वापस जाने को भी कहा गया है।
बता दें की राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि अगर गवर्नर 48 घंटे में विरोध प्रदर्शन नहीं रोक पाए तो हमें विद्रोह अधिनियम का उपयोग करना पड़ेगा। वहीं रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने कहा कि अमेरिका 1807 कानून का उपयोग गंभीर स्थितियों में ही लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शांति पूर्वक प्रदर्शनकारियों से निपटा जा सकता है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि हाल के दशकों की सबसे ख़राब नस्लीय और नागरिक अशांति की कुछ घटनाओं पर गवर्नरों की प्रतिक्रिया बेहद कमजोर रही हैं। ट्रंप ने कहा था कि गवर्नर हिसंक प्रदर्शनों से सख्ती से निपटें। ट्रंप के इस बयान पर विवाद होने के बाद व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने कहा है कि इस बयान का गलत मतलब निकाला जा रहा है।
ट्रंप की प्रवक्ता केयली मैकइनैनी ने कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप के कहने का मतलब ये था कि गवर्नर नेशनल गार्ड का उपयोग करें। राष्ट्रपति ट्रंप ने हिंसा के लिए वामपंथी कट्टरपंथियों को ज़िम्मेदार ठहराया है। वहीं आलोचकों का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप समाज में विभाजन पैदा कर रहे हैं।
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