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Huawei US Sanctions: Huawei started chip production with Chinese companies that have banned by US
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Huawei US Sanctions: अमेरिकी ‘बमबारी’ के जवाब में हुवावे का ‘गुरिल्ला वॉर’
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, हांग कांग
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Thu, 01 Dec 2022 04:33 PM IST
सार
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Huawei US Sanctions: प्रतिबंध लगाने के बाद हुवावे के लिए विदेशी कंपनियों से आधुनिक चिप खरीदना संभव नहीं रह गया था। उसके बाद हुवावे ने जेएचआईसीसी जैसी कंपनियों के साथ मिल कर पूरे चीन में चिप उत्पादन का नेटवर्क खड़ा करना शुरू किया...
Huawei US Sanctions: zte and huawei
- फोटो : Amar Ujala (File Photo)
चीन की टेलीकॉम कंपनी हुवावे के फिर से उठ खड़ा होने के संकेत हैं। 2020 में अमेरिका ने इस कंपनी पर प्रतिबंध लगा दिए थे। उसके बाद कई देशों ने अमेरिका का अनुकरण करते हुए इसे प्रतिबंधित किया। लेकिन एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने चीन के अंदर अपने कारोबार का नया नेटवर्क खड़ा कर लिया है।
वेबसाइट निक्कई एशिया की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक हुवावे ने उन चीनी कंपनियों के साथ मिल कर चिप उत्पादन की दिशा में अच्छी प्रगति कर ली है, जिन पर भी अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखे हैं। ऐसी ही एक कंपनी क्वांगझाऊ स्थित जिन्हुआ इंटीग्रेटेड सर्किट कंपनी (जेएसआईसीसी) है। 2018 में इस कंपनी पर ट्रेड सीक्रेट्स चुराने का आरोप लगाते हुए अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिए थे। लेकिन अब इस कंपनी ने फिर से चिप उत्पादन शुरू कर दिया है। कंपनी से जुड़े सूत्रों ने निक्कई एशिया से बातचीत में पुष्टि की कि यहां चिप हुवावे कंपनी के लिए बनाए जा रहे हैं।
प्रतिबंध लगाने के बाद हुवावे के लिए विदेशी कंपनियों से आधुनिक चिप खरीदना संभव नहीं रह गया था। उसके बाद हुवावे ने जेएचआईसीसी जैसी कंपनियों के साथ मिल कर पूरे चीन में चिप उत्पादन का नेटवर्क खड़ा करना शुरू किया। जेएचआईसीसी की फैक्टरी के पास ही चिप पैकेजिंग की सेवा देने वाली कंपनी कुलियांग इलेक्ट्रॉनिक्स इन दिनों अपने दूसरे कारखाने के निर्माण में जुटी हुई हैं। सूत्रों के मुताबिक हुवावे कंपनी को चिप की बढ़ी सप्लाई के कारण पैकेजिंग की जरूरत भी बढ़ गई है। इसी मांग को पूरा करने के लिए ये नया कारखाना लगाया जा रहा है।
अमेरिकी प्रतिबंध लगने के पहले हुवावे की होड़ एपल और सैमसंग जैसी कंपनियों से थी। तब अपने दूरसंचार उपकरणों के लिए हुवावे ताइवान की टीएसएमसी और जापान की सोनी जैसी कंपनियों से आधुनिक चिप खरीदती थी। 2019 में विदेश में स्मार्टफोन की बिक्री में हुवावे ने एपल को पीछे छोड़ दिया था। लेकिन 2020 में अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिए। इसका हुवावे के कारोबार पर बहुत खराब असर पड़ा। दूरसंचार क्षेत्र पर नजर रखने वाली एजेंसी आईडीसी के आंकड़ों के मुताबिक 2021 में हुवावे के राजस्व में 28.6 फीसदी की गिरावट आई और स्मार्टफोन बिक्री में वह दुनिया में दूसरे नंबर से गिर कर दसवें स्थान पर चली गई।
लेकिन अब संकेत हैं कि हुवावे ने कहानी पलट दी है। हुवावे के साथ कारोबार करने वाली एक कंपनी के अधिकारी ने निक्कई एशिया से कहा- ‘अगर अमेरिका की कार्रवाई बमबारी थी, तो हुवावे ने गुरिल्ला युद्ध जैसा तरीका अपना लिया है।’ जेएचआईसीसी और कुलियांग जैसी कई कंपनियां उसके चिप उत्पादन नेटवर्क में शामिल हो चुकी हैं। हुवावे ने इस कंपनियों में 55 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है।
जापानी बैंक नोमुरा के टेक एनालिस्ट डॉनी तेंग ने निक्कई एशिया से कहा- ‘अमेरिकी प्रतिबंध के साये को कैसे कम किया जाए, इसे हुवावे से बेहतर कोई और नहीं जानता। हमें इस बात की पक्की जानकारी है कि अब वह अपने चिप्स के साथ वापसी की तैयारी में है। हालांकि हमें यह नहीं मालूम है कि स्थानीय उत्पादन नेटवर्क के साथ वह कितनी जल्दी और कितने उन्नत चिप का निर्माण कर पाएगी।’
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इस बीच चीन के पूरे सेमीकंडक्टर उद्योग की निगाहें हुवावे के ‘गुरिल्ला युद्ध’ पर टिकी हुई हैं। आज चीन के पूरे सेमीकंडक्टर उद्योग की वही हालत हो गई है, जो 2020 में हुवावे की हुई थी। पिछले सात अक्तूबर को अमेरिका ने चीन के पूरे सेमीकंडक्टर उद्योग को प्रतिबंधित कर दिया। हुवावे ने प्रतिबंधों का जवाब खुद आविष्कार करने का रास्ता अपना कर दिया है। चीन की अन्य कंपनियां भी भविष्य में यही रास्ता अपना सकती हैं।
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