रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अपनी शिखर वार्ता के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने खास तैयारी की है। ये शिखर वार्ता बुधवार को जिनेवा शहर में होगी। अब ये जानकारी सामने आई है कि इसके लिए बाइडन ने विशेषज्ञों के एक समूह के साथ खास बैठक की। उसमें पूर्व डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के कुछ अधिकारियों को भी बुलाया गया। इस बैठक को गुप्त रखा गया था। लेकिन अब अमेरिकी मीडिया में इस बारे में खबर छपी है। विश्लेषकों ने कहा है कि इससे ये जाहिर हुआ है कि बाइडन उस शिखर वार्ता में पूरी तैयारी के साथ जाना चाहते हैं।
पुतिन पूर्व सोवियत खुफिया एजेंसी केजीबी में कर्नल थे। इसलिए उन्हें विदेशी नेताओं को चकमा देने में माहिर माना जाता है। विश्लेषकों के मुताबिक बाइडन नहीं चाहते हैं कि पुतिन उन्हें भी चकमा देकर निकल जाएं। इसलिए उन्होंने विशेषज्ञों और पूर्व अधिकारियों के अनुभव को गौर से सुना। इसके पहले अमेरिका और रूस के बीच शिखर वार्ता 2018 में हेलसिंकी में हुई थी। तब शिखर वार्ता के तुरंत बाद तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के इस आकलन पर सवाल खड़ा कर दिया था कि रूस ने 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दखल दिया। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर यह कहा था- ‘मुझे ऐसा नहीं लगता कि रूस ऐसा क्यों करेगा।’ इससे अमेरिका के लिए बड़ी शर्मनाक स्थिति पैदा हुई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोमवार को ब्रसेल्स में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के नेताओं के साथ अपनी बैठक के दौरान भी बाइडन ने पुतिन के साथ अपनी शिखर वार्ता की चर्चा की। उन्होंने नाटो नेताओं से यह पूछा कि इस शिखर वार्ता के दौरान अमेरिकी पक्ष का रुख क्या होना चाहिए। बाइडन ने कहा- ‘पुतिन तेज और सख्त मिजाज व्यक्ति हैं। जैसाकि खेलों में किसी दूसरी मजबूत टीम के बारे में कहा जात है, वे एक योग्य विरोधी हैं।’
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बाइडन के यूरोप यात्रा पर रवाना होने से पहले वाशिंगटन में हुई बैठक में आए विशेषज्ञों ने आम राय से सलाह दी कि पुतिन से बातचीत के दौरान बाइडन को दो टूक बात करनी चाहिए। उन्हें पुतिन के मन में इसको लेकर कोई संदेह नहीं छोड़ना चाहिए कि मानवाधिकार के सवाल पर अमेरिका का क्या रुख रहेगा। बताया जाता है कि उस बैठक में दर्जन भर विशेषज्ञ और पूर्व अधिकारी शामिल थे। उनमें पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय रूस में राजदूत रहे माइकल मैकफॉल और जॉन टेफ्ट भी शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बैठक के दौरान कुछ विशेषज्ञों की राय यह थी कि शिखर वार्ता का अंजाम यह नहीं होना चाहिए कि अमेरिका और रूस के बीच आगे बातचीत की संभावना खत्म हो जाए। इन विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका और रूस अपने छात्रों को एक दूसरे के यहां भेजें और राजनीतिक एवं कारोबारी संबंध बनाए रखें, यह जरूरी है। लेकिन कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि हर मुद्दे पर बाइडन को अपना रुख सख्त रखना चाहिए, ताकि पुतिन को साफ संदेश मिल सके।
लेकिन पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के रूस संबंधी सलाहकार रह चुके टिम मॉरिसन ने वेबसाइट एक्सियोस.कॉम से कहा- ‘सख्त संदेश की बात बहुत अच्छी है। मगर बिना कार्रवाई या परिणाम के सख्ती की बात दोहराते रहना खतरनाक है। खास कर इसलिए कि पुतिन से होने वाली वार्ता पर चीन और ईरान की भी नजरें टिकी होंगी।’
विस्तार
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अपनी शिखर वार्ता के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने खास तैयारी की है। ये शिखर वार्ता बुधवार को जिनेवा शहर में होगी। अब ये जानकारी सामने आई है कि इसके लिए बाइडन ने विशेषज्ञों के एक समूह के साथ खास बैठक की। उसमें पूर्व डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के कुछ अधिकारियों को भी बुलाया गया। इस बैठक को गुप्त रखा गया था। लेकिन अब अमेरिकी मीडिया में इस बारे में खबर छपी है। विश्लेषकों ने कहा है कि इससे ये जाहिर हुआ है कि बाइडन उस शिखर वार्ता में पूरी तैयारी के साथ जाना चाहते हैं।
पुतिन पूर्व सोवियत खुफिया एजेंसी केजीबी में कर्नल थे। इसलिए उन्हें विदेशी नेताओं को चकमा देने में माहिर माना जाता है। विश्लेषकों के मुताबिक बाइडन नहीं चाहते हैं कि पुतिन उन्हें भी चकमा देकर निकल जाएं। इसलिए उन्होंने विशेषज्ञों और पूर्व अधिकारियों के अनुभव को गौर से सुना। इसके पहले अमेरिका और रूस के बीच शिखर वार्ता 2018 में हेलसिंकी में हुई थी। तब शिखर वार्ता के तुरंत बाद तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के इस आकलन पर सवाल खड़ा कर दिया था कि रूस ने 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दखल दिया। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर यह कहा था- ‘मुझे ऐसा नहीं लगता कि रूस ऐसा क्यों करेगा।’ इससे अमेरिका के लिए बड़ी शर्मनाक स्थिति पैदा हुई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोमवार को ब्रसेल्स में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के नेताओं के साथ अपनी बैठक के दौरान भी बाइडन ने पुतिन के साथ अपनी शिखर वार्ता की चर्चा की। उन्होंने नाटो नेताओं से यह पूछा कि इस शिखर वार्ता के दौरान अमेरिकी पक्ष का रुख क्या होना चाहिए। बाइडन ने कहा- ‘पुतिन तेज और सख्त मिजाज व्यक्ति हैं। जैसाकि खेलों में किसी दूसरी मजबूत टीम के बारे में कहा जात है, वे एक योग्य विरोधी हैं।’
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बाइडन के यूरोप यात्रा पर रवाना होने से पहले वाशिंगटन में हुई बैठक में आए विशेषज्ञों ने आम राय से सलाह दी कि पुतिन से बातचीत के दौरान बाइडन को दो टूक बात करनी चाहिए। उन्हें पुतिन के मन में इसको लेकर कोई संदेह नहीं छोड़ना चाहिए कि मानवाधिकार के सवाल पर अमेरिका का क्या रुख रहेगा। बताया जाता है कि उस बैठक में दर्जन भर विशेषज्ञ और पूर्व अधिकारी शामिल थे। उनमें पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय रूस में राजदूत रहे माइकल मैकफॉल और जॉन टेफ्ट भी शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बैठक के दौरान कुछ विशेषज्ञों की राय यह थी कि शिखर वार्ता का अंजाम यह नहीं होना चाहिए कि अमेरिका और रूस के बीच आगे बातचीत की संभावना खत्म हो जाए। इन विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका और रूस अपने छात्रों को एक दूसरे के यहां भेजें और राजनीतिक एवं कारोबारी संबंध बनाए रखें, यह जरूरी है। लेकिन कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि हर मुद्दे पर बाइडन को अपना रुख सख्त रखना चाहिए, ताकि पुतिन को साफ संदेश मिल सके।
लेकिन पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के रूस संबंधी सलाहकार रह चुके टिम मॉरिसन ने वेबसाइट एक्सियोस.कॉम से कहा- ‘सख्त संदेश की बात बहुत अच्छी है। मगर बिना कार्रवाई या परिणाम के सख्ती की बात दोहराते रहना खतरनाक है। खास कर इसलिए कि पुतिन से होने वाली वार्ता पर चीन और ईरान की भी नजरें टिकी होंगी।’