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Omicron: जहां हुआ वैरिएंट का खुलासा, वहां तीन हफ्ते में 800 फीसदी बढ़े मरीज, मौतें सिर्फ 431, जानें खतरे पर क्या बोले वैज्ञानिक?
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, केपटाउन
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Tue, 14 Dec 2021 05:08 PM IST
सार
दक्षिण अफ्रीका में 9 नवंबर को कोरोना के सबसे कम- 16 हजार के करीब एक्टिव केस थे, जो कि इस सोमवार (13 दिसंबर) तक 1 लाख 77 हजार तक पहुंच गए। यानी बीते तीन हफ्ते में दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना केस 800 फीसदी बढ़ गए हैं।
ओमिक्रॉन वैरिएंट।
- फोटो : अमर उजाला।
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दुनियाभर में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट का खतरा बढ़ता जा रहा है। खासकर इस स्वरूप के प्रसार की बात करें तो पहली बार 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में वैज्ञानिकों ने बोत्सवाना के एक व्यक्ति में इस वैरिएंट की पहचान की थी। तबसे लेकर अब तक ओमिक्रॉन के मामले दुनिया के 60 से ज्यादा देशों में पाए जा चुके हैं। यानी तीन हफ्तों में ही कोरोना का यह वैरिएंट जबरदस्त रफ्तार से फैला है। हालांकि, इससे पैदा होने वाले खतरे को लेकर लगातार नई जानकारियां सामने आ रही हैं। वैज्ञानिकों की ओर से दी गई सबसे ताजा जानकारी ये है कि ओमिक्रॉन के इस वैरिएंट की रफ्तार जरूर डेल्टा के मुकाबले काफी तेज है, लेकिन इससे पैदा होने वाली जटिलताएं डेल्टा के मुकाबले काफी कम हैं।
हालांकि, एक्सपर्ट्स ने इस पर भी संशय जताया है कि अगर ओमिक्रॉन तेजी से फैला और अलग-अलग देशों के हेल्थ सिस्टम पर बोझ बढ़ा, तो ये वैरिएंट अपने आप इलाज न हासिल कर पाने वाले मरीजों के लिए घातक हो जाएगा। ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर ओमिक्रॉन वैरिएंट की जिस देश में पहली बार पहचान हुई थी, वहां अब क्या हाल हैं और इस वैरिएंट को पहचानने वाले वैज्ञानिकों का इसके प्रसार और खतरे को लेकर क्या कहना है...
क्या हैं दक्षिण अफ्रीका में हालात?
दक्षिण अफ्रीका में 9 नवंबर को कोरोना के सबसे कम- 16 हजार के करीब एक्टिव केस थे। इसके बाद देश में सक्रिय मामलों की संख्या बढ़नी शुरू हुई, जो कि 23 नवंबर को 20 हजार के पार पहुंच गई। इस देश में 24 नवंबर को पहली बार ओमिक्रॉन वैरिएंट की पहचान किए जाने का एलान हुआ था। माना जाता है कि कोरोना का यह स्वरूप 24 नवंबर से एक या दो हफ्ते पहले ही अफ्रीकी महाद्वीप पर फैलना शुरू हुआ था।
हफ्ते दर हफ्ते के लिहाज से जानें दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन के प्रसार की गति
दक्षिण अफ्रीका में 24 नवंबर को एक्टिव केसों की संख्या 20 हजार 610 पर पहुंच गई, जो कि अगले एक हफ्ते में 36 हजार 600 तक पहुंच गई। यानी कि सक्रिय मरीजों का आंकड़ा हफ्तेभर में ही 78 फीसदी तक बढ़ गया। इसके पीछे ओमिक्रॉन को ही प्रमुख वजह माना गया और जीनोम सिक्वेंसिंग को बढ़ाया गया।
आंकड़ों के लिहाज देखें तो जहां 1 दिसंबर को दक्षिण अफ्रीका में 36 हजार 600 एक्टिव केस थे, वहीं आठ दिसंबर को यह संख्या 1 लाख 13 हजार तक पहुंच गई। यानी दिसंबर के पहले हफ्ते में ही संक्रमित मरीजों की संख्या में 200 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया।
पिछले एक हफ्ते में क्या हाल?
ताजा डेटा के मुताबिक, देश में इस वक्त कोरोना के कुल केसों में 60 फीसदी ओमिक्रॉन वैरिएंट वाले ही हैं। पिछले सोमवार (6 दिसंबर) को दक्षिण अफ्रीका में 86 हजार से ज्यादा एक्टिव केस थे, जो कि इस सोमवार (13 दिसंबर) तक 1 लाख 77 हजार तक पहुंच गए। यानी बीते एक हफ्ते में दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना केस 110 फीसदी बढ़ गए हैं।
100 में से 31 लोग पाए जा रहे संक्रमित, पर एक दिन में सिर्फ 11 मौतें
दक्षिण अफ्रीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिसिजेज ने कहा कि ओमिक्रॉन के खतरे के बीच देशभर में टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 31 फीसदी है। यानी हर 100 में से 31 लोग संक्रमित मिल रहे हैं। इसके चलते देश में अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। लेकिन अगर पिछले 24 घंटे के आंकड़े देखे जाएं तो इस दौरान सिर्फ 11 लोगों की जान गई।
क्या कह रहे हैं दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिक?
इन्हीं आंकड़ों को देखते हुए दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिक ओमिक्रॉन पर विश्लेषण पेश कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ओमिक्रॉन के लगभग सभी मरीज हल्की बीमारी के साथ आ रहे हैं और इलाज के बाद जल्दी डिस्चार्ज हो रहे हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, डेल्टा वैरिएंट के लहर में जितने गंभीर बीमार लोग मिल रहे थे, ओमिक्रॉन की लहर में ऐसे गंभीर बीमारों के आने का आंकड़ा एक-तिहाई रह गया है।
विस्तार
दुनियाभर में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट का खतरा बढ़ता जा रहा है। खासकर इस स्वरूप के प्रसार की बात करें तो पहली बार 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में वैज्ञानिकों ने बोत्सवाना के एक व्यक्ति में इस वैरिएंट की पहचान की थी। तबसे लेकर अब तक ओमिक्रॉन के मामले दुनिया के 60 से ज्यादा देशों में पाए जा चुके हैं। यानी तीन हफ्तों में ही कोरोना का यह वैरिएंट जबरदस्त रफ्तार से फैला है। हालांकि, इससे पैदा होने वाले खतरे को लेकर लगातार नई जानकारियां सामने आ रही हैं। वैज्ञानिकों की ओर से दी गई सबसे ताजा जानकारी ये है कि ओमिक्रॉन के इस वैरिएंट की रफ्तार जरूर डेल्टा के मुकाबले काफी तेज है, लेकिन इससे पैदा होने वाली जटिलताएं डेल्टा के मुकाबले काफी कम हैं।
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हालांकि, एक्सपर्ट्स ने इस पर भी संशय जताया है कि अगर ओमिक्रॉन तेजी से फैला और अलग-अलग देशों के हेल्थ सिस्टम पर बोझ बढ़ा, तो ये वैरिएंट अपने आप इलाज न हासिल कर पाने वाले मरीजों के लिए घातक हो जाएगा। ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर ओमिक्रॉन वैरिएंट की जिस देश में पहली बार पहचान हुई थी, वहां अब क्या हाल हैं और इस वैरिएंट को पहचानने वाले वैज्ञानिकों का इसके प्रसार और खतरे को लेकर क्या कहना है...
क्या हैं दक्षिण अफ्रीका में हालात?
दक्षिण अफ्रीका में 9 नवंबर को कोरोना के सबसे कम- 16 हजार के करीब एक्टिव केस थे। इसके बाद देश में सक्रिय मामलों की संख्या बढ़नी शुरू हुई, जो कि 23 नवंबर को 20 हजार के पार पहुंच गई। इस देश में 24 नवंबर को पहली बार ओमिक्रॉन वैरिएंट की पहचान किए जाने का एलान हुआ था। माना जाता है कि कोरोना का यह स्वरूप 24 नवंबर से एक या दो हफ्ते पहले ही अफ्रीकी महाद्वीप पर फैलना शुरू हुआ था।
हफ्ते दर हफ्ते के लिहाज से जानें दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन के प्रसार की गति
दक्षिण अफ्रीका में 24 नवंबर को एक्टिव केसों की संख्या 20 हजार 610 पर पहुंच गई, जो कि अगले एक हफ्ते में 36 हजार 600 तक पहुंच गई। यानी कि सक्रिय मरीजों का आंकड़ा हफ्तेभर में ही 78 फीसदी तक बढ़ गया। इसके पीछे ओमिक्रॉन को ही प्रमुख वजह माना गया और जीनोम सिक्वेंसिंग को बढ़ाया गया।
आंकड़ों के लिहाज देखें तो जहां 1 दिसंबर को दक्षिण अफ्रीका में 36 हजार 600 एक्टिव केस थे, वहीं आठ दिसंबर को यह संख्या 1 लाख 13 हजार तक पहुंच गई। यानी दिसंबर के पहले हफ्ते में ही संक्रमित मरीजों की संख्या में 200 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया।
पिछले एक हफ्ते में क्या हाल?
ताजा डेटा के मुताबिक, देश में इस वक्त कोरोना के कुल केसों में 60 फीसदी ओमिक्रॉन वैरिएंट वाले ही हैं। पिछले सोमवार (6 दिसंबर) को दक्षिण अफ्रीका में 86 हजार से ज्यादा एक्टिव केस थे, जो कि इस सोमवार (13 दिसंबर) तक 1 लाख 77 हजार तक पहुंच गए। यानी बीते एक हफ्ते में दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना केस 110 फीसदी बढ़ गए हैं।
100 में से 31 लोग पाए जा रहे संक्रमित, पर एक दिन में सिर्फ 11 मौतें
दक्षिण अफ्रीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिसिजेज ने कहा कि ओमिक्रॉन के खतरे के बीच देशभर में टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 31 फीसदी है। यानी हर 100 में से 31 लोग संक्रमित मिल रहे हैं। इसके चलते देश में अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। लेकिन अगर पिछले 24 घंटे के आंकड़े देखे जाएं तो इस दौरान सिर्फ 11 लोगों की जान गई।
क्या कह रहे हैं दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिक?
इन्हीं आंकड़ों को देखते हुए दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिक ओमिक्रॉन पर विश्लेषण पेश कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ओमिक्रॉन के लगभग सभी मरीज हल्की बीमारी के साथ आ रहे हैं और इलाज के बाद जल्दी डिस्चार्ज हो रहे हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, डेल्टा वैरिएंट के लहर में जितने गंभीर बीमार लोग मिल रहे थे, ओमिक्रॉन की लहर में ऐसे गंभीर बीमारों के आने का आंकड़ा एक-तिहाई रह गया है।
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