रूस ने अपने सॉवरेन वेल्थ फंड को डॉलर से पूरी तरह मुक्त करने की योजना घोषित की है। अमेरिका और पश्चिमी देशों से रूस के बढ़ते जा रहे तनाव के बीच इसे एक अहम कदम माना जा रहा है। इसके जरिए रूस ने आर्थिक मामलों में पश्चिमी देशों पर अपनी निर्भरता लगभग खत्म कर लेने की योजना बनाई है। सॉवरेन वेल्थ फंड सरकारी निवेश कोष को कहा जाता है। किसी देश में व्यापार मुनाफे से जो रकम बचती है, उसके एक हिस्से को सरकारें इस कोष में निवेश के लिए रखती हैं।
रूस के वित्त मंत्री एंटॉन सिलुआनोव ने गुरुवार को एलान किया कि रूस अपने सॉवरेन वेल्थ फंड में डॉलर के हिस्से को घटा कर शून्य कर देगा। सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंच को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ये काम बेहद तेज गति से किया जाएगा। लक्ष्य यह है कि इस काम को जुलाई खत्म होने के पहले पूरा कर लिया जाए। उन्होंने ध्यान दिलाया कि रूस का केंद्रीय बैंक पहले ही डॉलर में अपने निवेश को घटाने में जुटा हुआ है। रूस के सॉवरेन वेल्थ फंड में इस वक्त लगभग 40 अरब डॉलर हैं।
सामने आई जानकारी के मुताबिक अभी रूस के सॉवरेन फंड में मौजूद कुल धन में डॉलर का हिस्सा 35 फीसदी है। इसे शून्य करने के बाद यूरो का हिस्सा 40 फीसदी और चीन की मुद्रा युवान का हिस्सा 30 फीसदी हो जाएगा। रूस ने ब्रिटिश मुद्रा पाउंड की मात्रा को भी घटा करने का इरादा जताया है। अभी सॉवरेन फंड की दस फीसदी रकम पाउंड में है। इसे पांच फीसदी तक लाया जाएगा। डॉलर और पाउंड घटाने के दौरान रूसी सॉवरेन वेल्थ फंड सबसे ज्यादा खरीदारी सोने की करेगा। फंड के कुल मूल्य के 20 फीसदी के बराबर अब इस खजाने में सोना रखा जाएगा। रूसी सॉवरेन फंड के रखने लिए रूस पहली बार सोने की खरीदारी करने जा रहा है।
वित्त मंत्री के एलान के बाद क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति का कार्यालय) के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि डॉलर से मुक्त की होने की प्रक्रिया पहले से ही स्थिर गति से चल रही है। अब यह नजर आने लगी है। पेस्कोव ने कहा कि अमेरिका पर वित्तीय निर्भरता घटाने का काम सिर्फ रूस ही नहीं, बल्कि बहुत से दूसरे देश भी कर रहे हैं। ऐसा उन देशों ने अपने अनुभव और अमेरिका की विश्वसनीयता पर उठे शक के बाद करना शुरू किया है।
गौरतलब है कि बीते अप्रैल में रूस के उप विदेश मंत्री अलेक्सांद्र पैंकिन कहा था कि अमेरिका के साथ लगातार बढ़ रहे तनाव के कारण रूस और कई दूसरे देशों का अमेरिकी मुद्रा में भरोसा घटा है। अमेरिका प्रतिबंध लगाकर एक अनिश्चित स्थिति पैदा कर देता है। उसी कारण उसके प्रतिबंध के शिकार देशों में अमेरिकी मुद्रा पर निर्भरता घटाने का भाव आया। उन्होंने कहा कि खुद अमेरिका के व्यवहार से डॉलर के इस्तेमाल से कारोबार में आसानी होने की धारणा को चोट पहुंची है। पैंकिन ने कहा था कि डॉलर पर निर्भर रहने का मतलब लेन-देन में बाधा और आर्थिक नुकसान झेलने के लिए तैयार रहना हो गया है। इसलिए अब वैकल्पिक तरीके विकसित करने में अनेक देशों की गहरी दिलचस्पी पैदा हो गई है। यह एक अहम अंतरराष्ट्रीय एजेंडा बन गया है।
विस्तार
रूस ने अपने सॉवरेन वेल्थ फंड को डॉलर से पूरी तरह मुक्त करने की योजना घोषित की है। अमेरिका और पश्चिमी देशों से रूस के बढ़ते जा रहे तनाव के बीच इसे एक अहम कदम माना जा रहा है। इसके जरिए रूस ने आर्थिक मामलों में पश्चिमी देशों पर अपनी निर्भरता लगभग खत्म कर लेने की योजना बनाई है। सॉवरेन वेल्थ फंड सरकारी निवेश कोष को कहा जाता है। किसी देश में व्यापार मुनाफे से जो रकम बचती है, उसके एक हिस्से को सरकारें इस कोष में निवेश के लिए रखती हैं।
रूस के वित्त मंत्री एंटॉन सिलुआनोव ने गुरुवार को एलान किया कि रूस अपने सॉवरेन वेल्थ फंड में डॉलर के हिस्से को घटा कर शून्य कर देगा। सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंच को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ये काम बेहद तेज गति से किया जाएगा। लक्ष्य यह है कि इस काम को जुलाई खत्म होने के पहले पूरा कर लिया जाए। उन्होंने ध्यान दिलाया कि रूस का केंद्रीय बैंक पहले ही डॉलर में अपने निवेश को घटाने में जुटा हुआ है। रूस के सॉवरेन वेल्थ फंड में इस वक्त लगभग 40 अरब डॉलर हैं।
सामने आई जानकारी के मुताबिक अभी रूस के सॉवरेन फंड में मौजूद कुल धन में डॉलर का हिस्सा 35 फीसदी है। इसे शून्य करने के बाद यूरो का हिस्सा 40 फीसदी और चीन की मुद्रा युवान का हिस्सा 30 फीसदी हो जाएगा। रूस ने ब्रिटिश मुद्रा पाउंड की मात्रा को भी घटा करने का इरादा जताया है। अभी सॉवरेन फंड की दस फीसदी रकम पाउंड में है। इसे पांच फीसदी तक लाया जाएगा। डॉलर और पाउंड घटाने के दौरान रूसी सॉवरेन वेल्थ फंड सबसे ज्यादा खरीदारी सोने की करेगा। फंड के कुल मूल्य के 20 फीसदी के बराबर अब इस खजाने में सोना रखा जाएगा। रूसी सॉवरेन फंड के रखने लिए रूस पहली बार सोने की खरीदारी करने जा रहा है।
वित्त मंत्री के एलान के बाद क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति का कार्यालय) के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि डॉलर से मुक्त की होने की प्रक्रिया पहले से ही स्थिर गति से चल रही है। अब यह नजर आने लगी है। पेस्कोव ने कहा कि अमेरिका पर वित्तीय निर्भरता घटाने का काम सिर्फ रूस ही नहीं, बल्कि बहुत से दूसरे देश भी कर रहे हैं। ऐसा उन देशों ने अपने अनुभव और अमेरिका की विश्वसनीयता पर उठे शक के बाद करना शुरू किया है।
गौरतलब है कि बीते अप्रैल में रूस के उप विदेश मंत्री अलेक्सांद्र पैंकिन कहा था कि अमेरिका के साथ लगातार बढ़ रहे तनाव के कारण रूस और कई दूसरे देशों का अमेरिकी मुद्रा में भरोसा घटा है। अमेरिका प्रतिबंध लगाकर एक अनिश्चित स्थिति पैदा कर देता है। उसी कारण उसके प्रतिबंध के शिकार देशों में अमेरिकी मुद्रा पर निर्भरता घटाने का भाव आया। उन्होंने कहा कि खुद अमेरिका के व्यवहार से डॉलर के इस्तेमाल से कारोबार में आसानी होने की धारणा को चोट पहुंची है। पैंकिन ने कहा था कि डॉलर पर निर्भर रहने का मतलब लेन-देन में बाधा और आर्थिक नुकसान झेलने के लिए तैयार रहना हो गया है। इसलिए अब वैकल्पिक तरीके विकसित करने में अनेक देशों की गहरी दिलचस्पी पैदा हो गई है। यह एक अहम अंतरराष्ट्रीय एजेंडा बन गया है।