क्या अमेरिका में महंगाई का कारण उससे कुछ अलग है, जिसकी अभी तक चर्चा रही है? इस सवाल पर अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल में एक विश्लेषण छपने के बाद से एक नई बहस खड़ी हो गई है। अब तक यही राय रही है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण सप्लाई चेन टूट गई। लॉकडाउन खत्म होने के बाद जब अचानक मांग बढ़ी, तो वह महंगाई का कारण बन गई। लेकिन वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपे विश्लेषण में कहा गया है कि अमेरिकी कंपनियां जानबूझ कर महंगाई बढ़ा रही हैं, ताकि वे ज्यादा मुनाफा कमा सकेँ।
मुनाफे का स्तर 2019 के पार
विश्लेषकों क्रिस्टीन ब्रॉहटॉन और थियो फ्रांसिस ने कहा है- ‘कंपनी अधिकारियों ने इसे अपने खर्च की भरपाई करने या उससे भी अधिक कमा लेने का अवसर बना लिया है। दशकों तक लागत और मूल्य मे संतुलन बैठाने के बाद वे इस मौके का फायदा उठा रहे हैं।’ दोनों विश्लेषकों ने दावा किया है कि अमेरिका की सबसे बड़ी कंपनियां महंगाई दर की तुलना में काफी अधिक मुनाफा कमा रही हैं। उनके मुनाफे का स्तर 2019 से भी काफी ऊपर पहुंच गया है।
बीते सप्ताहांत अखबार द वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि व्हाइट हाउस अमेरिकी कंपनियों के व्यवहार को संदेह की निगाह से देख रहा है। इस रिपोर्ट में कहा गया- ‘रिपब्लिकन पार्टी मौजूदा दिक्कतों के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन के आर्थिक एजेंडे को दोषी ठहरा रही है। लेकिन अब संकेत हैं कि व्हाइट हाउस यह कहते हुए इसका जोरदार जवाब देगा कि लागत में नाटकीय वृद्धि के लिए बड़ी कंपनियां जिम्मेदार हैं।’
राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले हफ्ते फेडरल ट्रेड कमीशन के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। उन्होंने निर्देश दिया कि ईंधन की महंगाई के मामले में कच्चे तेल और गैस इंडस्ट्री के व्यवहार की जांच की जाए। इस साल के आरंभ में बाइडन प्रशासन ने पोर्क की कीमत बढ़ने के लिए इस उद्योग के कुछ बड़ी कंपनियों के हाथ में केंद्रित हो जाने को दोषी ठहराया था। इसके बावजूद कीमतें नहीं गिरीं। टीवी चैनल सीएनएन ने खबर दी है कि अब बाइडन प्रशासन मोनोपोली विरोधी कानून के तहत पोर्क इंडस्ट्री के ऊपर कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है।
लौट सकते हैं ट्रंप!
महंगाई के कारण अमेरिका के आम लोगों की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुख्य अर्थशास्त्री मार्क जैंडी ने एक टिप्पणी में लिखा है कि मध्यम आय वाले घरों का मासिक खर्च औसतन 200 डॉलर बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि महंगाई जल्द खत्म होने वाली नहीं है, हालांकि यह संभव है कि इसके बढ़ने की दर जल्द ही धीमी हो जाए।
इस बीच डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े अर्थशास्त्री लैरी समर्स ने चेतावनी दी है कि महंगाई के कारण डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने की स्थितियां बन सकती हैं। वाशिंगटन पोस्ट में पिछले हफ्ते लिखे एक लेख में समर्स ने कहा- ‘(डेमोक्रेटिक शासन के दौरान) महंगाई के कारण (रिपब्लिकन पार्टी के) रिचर्ड निक्सन और रोनाल्ड रेगन राष्ट्रपति चुने गए थे। इसी वजह से ट्रंप एक बार फिर व्हाइट हाउस में लौट सकते हैं।’
विस्तार
क्या अमेरिका में महंगाई का कारण उससे कुछ अलग है, जिसकी अभी तक चर्चा रही है? इस सवाल पर अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल में एक विश्लेषण छपने के बाद से एक नई बहस खड़ी हो गई है। अब तक यही राय रही है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण सप्लाई चेन टूट गई। लॉकडाउन खत्म होने के बाद जब अचानक मांग बढ़ी, तो वह महंगाई का कारण बन गई। लेकिन वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपे विश्लेषण में कहा गया है कि अमेरिकी कंपनियां जानबूझ कर महंगाई बढ़ा रही हैं, ताकि वे ज्यादा मुनाफा कमा सकेँ।
मुनाफे का स्तर 2019 के पार
विश्लेषकों क्रिस्टीन ब्रॉहटॉन और थियो फ्रांसिस ने कहा है- ‘कंपनी अधिकारियों ने इसे अपने खर्च की भरपाई करने या उससे भी अधिक कमा लेने का अवसर बना लिया है। दशकों तक लागत और मूल्य मे संतुलन बैठाने के बाद वे इस मौके का फायदा उठा रहे हैं।’ दोनों विश्लेषकों ने दावा किया है कि अमेरिका की सबसे बड़ी कंपनियां महंगाई दर की तुलना में काफी अधिक मुनाफा कमा रही हैं। उनके मुनाफे का स्तर 2019 से भी काफी ऊपर पहुंच गया है।
बीते सप्ताहांत अखबार द वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि व्हाइट हाउस अमेरिकी कंपनियों के व्यवहार को संदेह की निगाह से देख रहा है। इस रिपोर्ट में कहा गया- ‘रिपब्लिकन पार्टी मौजूदा दिक्कतों के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन के आर्थिक एजेंडे को दोषी ठहरा रही है। लेकिन अब संकेत हैं कि व्हाइट हाउस यह कहते हुए इसका जोरदार जवाब देगा कि लागत में नाटकीय वृद्धि के लिए बड़ी कंपनियां जिम्मेदार हैं।’
राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले हफ्ते फेडरल ट्रेड कमीशन के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। उन्होंने निर्देश दिया कि ईंधन की महंगाई के मामले में कच्चे तेल और गैस इंडस्ट्री के व्यवहार की जांच की जाए। इस साल के आरंभ में बाइडन प्रशासन ने पोर्क की कीमत बढ़ने के लिए इस उद्योग के कुछ बड़ी कंपनियों के हाथ में केंद्रित हो जाने को दोषी ठहराया था। इसके बावजूद कीमतें नहीं गिरीं। टीवी चैनल सीएनएन ने खबर दी है कि अब बाइडन प्रशासन मोनोपोली विरोधी कानून के तहत पोर्क इंडस्ट्री के ऊपर कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है।
लौट सकते हैं ट्रंप!
महंगाई के कारण अमेरिका के आम लोगों की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुख्य अर्थशास्त्री मार्क जैंडी ने एक टिप्पणी में लिखा है कि मध्यम आय वाले घरों का मासिक खर्च औसतन 200 डॉलर बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि महंगाई जल्द खत्म होने वाली नहीं है, हालांकि यह संभव है कि इसके बढ़ने की दर जल्द ही धीमी हो जाए।
इस बीच डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े अर्थशास्त्री लैरी समर्स ने चेतावनी दी है कि महंगाई के कारण डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने की स्थितियां बन सकती हैं। वाशिंगटन पोस्ट में पिछले हफ्ते लिखे एक लेख में समर्स ने कहा- ‘(डेमोक्रेटिक शासन के दौरान) महंगाई के कारण (रिपब्लिकन पार्टी के) रिचर्ड निक्सन और रोनाल्ड रेगन राष्ट्रपति चुने गए थे। इसी वजह से ट्रंप एक बार फिर व्हाइट हाउस में लौट सकते हैं।’