स्वतंत्र भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर 5 अप्रैल, रविवार को रात्रि 9 बजे दीपदान के आयोजन का प्रस्ताव रखा गया है। ये दीपदान क्षितिज को स्पर्श करने वाली तात्कालिक लग्न तुला में किया जाएगा। उस समय अपने आवास के सभी विद्युतीय प्रकाश को विराम देने के लिए कहा गया है और दीप के माध्यम से परब्रह्म परमेश्वर का ध्यान अपनी ओर आकर्षण करने का निर्णय लिया गया है।
शास्त्रों में दीप ज्योति को परब्रह्म माना गया है अतः दीपप्रज्ज्वलन से हम उस अविनाशी परमेश्वर की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। वर्तमान प्रमादी नामक संवत्सर के राजा बुध है जो रात्रि के ही कारक कहे गए हैं अतः रात्रि में इनका प्रभाव सर्वाधिक रहता है। आसमान में शुक्र के बाद बुध ही सबसे चमकते ग्रह के रूप में दिखाई देते हैं, बुध इस समय अपनी नीच अवस्था की तरफ प्रस्थान करने ही वाले हैं जो पृथ्वी वासियों के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता।
स्वतंत्र भारत का उदय आश्लेषा नक्षत्र के प्रथम चरण में कर्क राशि के चंद्रमा की यात्रा के समय हुआ, इस नक्षत्र के स्वामी भी बुध हैं और उस समय क्षितिज पर 'वृषभ' लग्न का उदय हो रहा था जिसके स्वामी शुक्र है। वर्तमान समय में भारतवर्ष पर कुंडली के अनुसार राहु की महादशा 06 जुलाई 2011 से आरंभ हो चुकी है जो 05 जुलाई 2029 तक रहेगी। अभी राहु की महादशा में बुध की अंतरदशा का आरंभ 18 जून 2019 से हो चुका है जो 6 जनवरी 2022 तक चलेगा।
भारत की जन्म कुंडली में बुध मारकेश हैं और वर्तमान समय में नीचाभिलाषी होकर अति शीघ्र मीन राशि में प्रवेश करके पूर्णतः नीचराशिगत हो जाएंगे। राहु और बुध का वर्तमान प्रभाव देश और देश की जनता के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता, अतः सभी देशवासियों को बुद्ध की प्रसन्नता के लिए कोई ना कोई उपाय अवश्य करना चाहिए।
प्रधानमंत्री जी द्वारा आवाहित 5 अप्रैल का दीपदान भी बुध की प्रसन्नता के लिए ही किया जा रहा है क्योंकि 5 अप्रैल के स्वामी बुध और मंगल है और वर्तमान संवत्सर के राजा भी बुध ही हैं। स्वतंत्र भारत की प्रभाव लग्न वृषभ से छठें 'ऋण रोग और शत्रु भाव में लग्न तुला है, कुंडली में यह भाव सभी जातकों के लिए अति महत्व रखता है यदि ऋण, रोग और शत्रु का प्रतिनिधित्व करने वाले इस छठेंभाव का कुछ उपाय कर लिया जाए तो शायद हमें अदृश्य महामारी से लड़ने में मदद मिलेगी।
5 अप्रैल को इस भाव में विद्यमान राशि तुला रात्रि के 9 बजे ही क्षितिज को स्पर्श करेगी इसलिए इस समय दीपदान करके परम ब्रह्म परमेश्वर को याद किया जाए तो शायद हमें कोरोना जैसी महामारी से मुक्ति पाने में मदद मिलेगी। अतः हम सभी इस दिन रात्रि के 9 बजे भारत की जन्म कुंडली से रोग भाव में विद्यमान तुला लग्न में ही दीपदान करें।
स्वतंत्र भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर 5 अप्रैल, रविवार को रात्रि 9 बजे दीपदान के आयोजन का प्रस्ताव रखा गया है। ये दीपदान क्षितिज को स्पर्श करने वाली तात्कालिक लग्न तुला में किया जाएगा। उस समय अपने आवास के सभी विद्युतीय प्रकाश को विराम देने के लिए कहा गया है और दीप के माध्यम से परब्रह्म परमेश्वर का ध्यान अपनी ओर आकर्षण करने का निर्णय लिया गया है।
शास्त्रों में दीप ज्योति को परब्रह्म माना गया है अतः दीपप्रज्ज्वलन से हम उस अविनाशी परमेश्वर की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। वर्तमान प्रमादी नामक संवत्सर के राजा बुध है जो रात्रि के ही कारक कहे गए हैं अतः रात्रि में इनका प्रभाव सर्वाधिक रहता है। आसमान में शुक्र के बाद बुध ही सबसे चमकते ग्रह के रूप में दिखाई देते हैं, बुध इस समय अपनी नीच अवस्था की तरफ प्रस्थान करने ही वाले हैं जो पृथ्वी वासियों के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता।
स्वतंत्र भारत का उदय आश्लेषा नक्षत्र के प्रथम चरण में कर्क राशि के चंद्रमा की यात्रा के समय हुआ, इस नक्षत्र के स्वामी भी बुध हैं और उस समय क्षितिज पर 'वृषभ' लग्न का उदय हो रहा था जिसके स्वामी शुक्र है। वर्तमान समय में भारतवर्ष पर कुंडली के अनुसार राहु की महादशा 06 जुलाई 2011 से आरंभ हो चुकी है जो 05 जुलाई 2029 तक रहेगी। अभी राहु की महादशा में बुध की अंतरदशा का आरंभ 18 जून 2019 से हो चुका है जो 6 जनवरी 2022 तक चलेगा।
भारत की जन्म कुंडली में बुध मारकेश हैं और वर्तमान समय में नीचाभिलाषी होकर अति शीघ्र मीन राशि में प्रवेश करके पूर्णतः नीचराशिगत हो जाएंगे। राहु और बुध का वर्तमान प्रभाव देश और देश की जनता के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता, अतः सभी देशवासियों को बुद्ध की प्रसन्नता के लिए कोई ना कोई उपाय अवश्य करना चाहिए।
प्रधानमंत्री जी द्वारा आवाहित 5 अप्रैल का दीपदान भी बुध की प्रसन्नता के लिए ही किया जा रहा है क्योंकि 5 अप्रैल के स्वामी बुध और मंगल है और वर्तमान संवत्सर के राजा भी बुध ही हैं। स्वतंत्र भारत की प्रभाव लग्न वृषभ से छठें 'ऋण रोग और शत्रु भाव में लग्न तुला है, कुंडली में यह भाव सभी जातकों के लिए अति महत्व रखता है यदि ऋण, रोग और शत्रु का प्रतिनिधित्व करने वाले इस छठेंभाव का कुछ उपाय कर लिया जाए तो शायद हमें अदृश्य महामारी से लड़ने में मदद मिलेगी।
5 अप्रैल को इस भाव में विद्यमान राशि तुला रात्रि के 9 बजे ही क्षितिज को स्पर्श करेगी इसलिए इस समय दीपदान करके परम ब्रह्म परमेश्वर को याद किया जाए तो शायद हमें कोरोना जैसी महामारी से मुक्ति पाने में मदद मिलेगी। अतः हम सभी इस दिन रात्रि के 9 बजे भारत की जन्म कुंडली से रोग भाव में विद्यमान तुला लग्न में ही दीपदान करें।