न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Mon, 17 Jan 2022 06:48 PM IST
बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सम्राट अशोक पर विवादित टिप्पणी करने वाले साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता दया प्रकाश सिन्हा को गिरफ्तार करने का आदेश देने की मांग की। इस मामले में जायसवाल ने पिछले सप्ताह सिन्हा के खिलाफ कथित तौर पर बिहार का गर्व माने जाने वाले सम्राट अशोक के खिलाफ गलत जानकारी फैसलाने और उनकी छवि को धूमिल करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई थी।
इस मामले में जायसवाल ने सोमवार को फेसबुक पर एक लंबी पोस्ट की। इस पोस्ट में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लेते हुए कहा कि दया प्रकाश सिन्हा के हम आप से सौ गुना ज्यादा बड़े विरोधी हैं। आपके लिए यह बिहार में शैक्षिक सुधार जैसा मुद्दा है जबकि जनसंघ और भाजपा का जन्म ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर हुआ है। जायसवाल ने आगे लिखा कि हम अपनी संस्कृति और भारतीय राजाओं के स्वर्णिम इतिहास के साथ कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते।
जायसवाल ने लिखा, लेकिन हम यह भी चाहते हैं कि बख्तियार खिलजी से लेकर औरंगजेब तक के अत्याचारों की सही गाथा हमारी आने वाली पीढ़ियों को बताई जाए। 74 साल के इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि जब किसी पद्मश्री पुरस्कार की वापसी हुई हो। उन्होंने आगे लिखा कि पहलवान सुशील कुमार पर हत्या के आरोप सिद्ध हो चुके हैं उसके बावजूद राष्ट्रपति ने उनका पदक वापस नहीं लिया क्योंकि पुरस्कार वापसी के मसले पर हमारे यहां कोई निश्चित मापदंड नहीं है।
उन्होंने कहा, लेकिन हरिद्वार में हुई धर्म संसद का मामला हो या फिर सैकड़ों नफरती भाषणों का, सरकार न केवल इन पर संज्ञान लेती है बल्कि बड़े से बड़े व्यक्ति को भी जेल में डालने से नहीं हिचकती है। इसलिए बिहार सरकार मेरी एफआईआर के आधार पर दया प्रकाश सिन्हा को गिरफ्तार करे और फास्टट्रैक कोर्ट से तुरंत सजा दिलाए। इसके बाद सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिलकर बताए कि एक सजायाफ्ता मुजरिम का पद्मश्री पुरस्कार वापस लिया जाए।
विस्तार
बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सम्राट अशोक पर विवादित टिप्पणी करने वाले साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता दया प्रकाश सिन्हा को गिरफ्तार करने का आदेश देने की मांग की। इस मामले में जायसवाल ने पिछले सप्ताह सिन्हा के खिलाफ कथित तौर पर बिहार का गर्व माने जाने वाले सम्राट अशोक के खिलाफ गलत जानकारी फैसलाने और उनकी छवि को धूमिल करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई थी।
इस मामले में जायसवाल ने सोमवार को फेसबुक पर एक लंबी पोस्ट की। इस पोस्ट में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लेते हुए कहा कि दया प्रकाश सिन्हा के हम आप से सौ गुना ज्यादा बड़े विरोधी हैं। आपके लिए यह बिहार में शैक्षिक सुधार जैसा मुद्दा है जबकि जनसंघ और भाजपा का जन्म ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर हुआ है। जायसवाल ने आगे लिखा कि हम अपनी संस्कृति और भारतीय राजाओं के स्वर्णिम इतिहास के साथ कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते।
जायसवाल ने लिखा, लेकिन हम यह भी चाहते हैं कि बख्तियार खिलजी से लेकर औरंगजेब तक के अत्याचारों की सही गाथा हमारी आने वाली पीढ़ियों को बताई जाए। 74 साल के इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि जब किसी पद्मश्री पुरस्कार की वापसी हुई हो। उन्होंने आगे लिखा कि पहलवान सुशील कुमार पर हत्या के आरोप सिद्ध हो चुके हैं उसके बावजूद राष्ट्रपति ने उनका पदक वापस नहीं लिया क्योंकि पुरस्कार वापसी के मसले पर हमारे यहां कोई निश्चित मापदंड नहीं है।
उन्होंने कहा, लेकिन हरिद्वार में हुई धर्म संसद का मामला हो या फिर सैकड़ों नफरती भाषणों का, सरकार न केवल इन पर संज्ञान लेती है बल्कि बड़े से बड़े व्यक्ति को भी जेल में डालने से नहीं हिचकती है। इसलिए बिहार सरकार मेरी एफआईआर के आधार पर दया प्रकाश सिन्हा को गिरफ्तार करे और फास्टट्रैक कोर्ट से तुरंत सजा दिलाए। इसके बाद सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिलकर बताए कि एक सजायाफ्ता मुजरिम का पद्मश्री पुरस्कार वापस लिया जाए।