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Budget 2022 preparation by Finance Ministry know all prerequisite of how it is prepared and who the Government consults news and updates
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BUDGET 2022: एक दिन में पेश हो जाता है बजट, पर इसकी तैयारी कब शुरू होती है, किनसे चर्चा के बाद होता है तैयार और क्या है प्रक्रिया, जानें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Wed, 26 Jan 2022 03:22 PM IST
सार
संविधान में सीधे तौर पर बजट का जिक्र नहीं है। हालांकि, संविधान के 'अनुच्छेद 112' में 'वार्षिक वित्तीय विवरण' की चर्चा है। इस अनुच्छेद के तहत ही सरकार को अपने हर साल की कमाई और व्यय का ब्योरा देना अनिवार्य होता है।
बजट 2022
- फोटो : अमर उजाला/हिमांशु भट्ट
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट पेश करेंगी। महामारी की वजह से सरकार इस बार भी पेपरलेस बजट पेश करने वाली है। जहां बजट पेश करने की तारीख तो एक फरवरी तय है, लेकिन इसकी तैयारी कई महीने पहले से शुरू हो जाती है। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि भारतीय बजट के बारे में संविधान में क्या कहा गया है और इसे पेश करने के लिए सरकार को किस तरह से तैयारियां करनी पड़ती हैं?
क्या है बजट, संविधान में इसका जिक्र कहां?
संविधान में सीधे तौर पर बजट का जिक्र नहीं है। हालांकि, संविधान के 'अनुच्छेद 112' में 'वार्षिक वित्तीय विवरण' की चर्चा है। इस अनुच्छेद के तहत ही सरकार को अपने हर साल की कमाई और व्यय का ब्योरा देना अनिवार्य होता है। इस अनुच्छेद के मुताबिक, बजट पेश करने का अधिकार राष्ट्रपति को है। लेकिन राष्ट्रपति खुद बजट पेश नहीं करते, बल्कि अपनी तरफ से किसी मंत्री को बजट पेश करने के लिए कह सकते हैं। देश में हाल ही में यह तब हुआ था, जब अरुण जेटली के बीमार होने पर पीयूष गोयल ने वित्त मंत्री न रहते हुए भी बजट पेश किया था। हालांकि, सामान्यतः बजट पेश वित्त मंत्री द्वारा करवाया जाता है।
कहां से आया बजट शब्द?
बजट शब्द फ्रांस के बुजे (Bougette) से आया है, जिसका मतलब है चमड़े का बैग। ऐसा माना जाता है कि सरकार और उद्योगपति अपने कमाई और खर्च के दस्तावेज चमड़े के बैग में रखते हैं, इसलिए वित्त मंत्री भी अपने दस्तावेज एक चमड़े के बैग में लेकर संसद पहुंचते हैं। ब्रिटेन में इस शब्द के इस्तेमाल भारत में भी यही शब्द आगे बढ़ा।
बजट होता क्या है?
बजट एक साल का हिसाब होता है। बजट पेश करने से पहले एक सर्वे से कराया जाता है, जिसमें सरकार की कमाई का अनुमान लगाया जाता है। बजट में सरकार अनुमान लगाती है कि उसे प्रत्यक्ष कर, अप्रत्यक्ष कर, रेलवे के किराए और अलग-अलग मंत्रालय के जरिए कितनी कमाई होगी। इस सर्वे में यह भी पता लगाया जाता है कि आगामी साल में सरकार का कितना खर्च अनुमानित होगा।
सीधे शब्दों में कहें तो बजट एक साल में होने वाले अनुमानित राजस्व (कमाई) और खर्चों (अनुमानित व्यय) का ब्योरा होता है। वित्त मंत्री अपने इन्हीं कमाई और खर्च का ब्योरा बजट भाषण में देते हैं। इसे ही आम बजट या संघीय बजट कहते हैं। बजट की अवधि एक साल की होती है।
भारत में बजट तैयार करने की जिम्मेदारी किसकी?
भारत में बजट को तैयार करने का काम काफी जटिल है। इसे विकसित करने में वित्त मंत्रालय के साथ नीति आयोग और खर्च से जुड़े मंत्रालय शामिल होते हैं। वित्त मंत्रालय इन्हीं अलग-अलग मंत्रालयों के अनुरोध पर खर्च का एक प्रस्ताव तैयार करता है। इसके बाद बजट बनाने का काम वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले आर्थिक मामलों के विभाग का बजट सेक्शन करता है।
बजट तैयार करने की प्रक्रिया क्या है?
1. बजट सेक्शन सभी केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, स्वायत्त संस्थानों, विभागों, सैन्यबलों को एक सर्कुलर जारी करता है, जिसमें इन्हें आगामी साल के लिए एस्टिमेट (खर्चों का आकलन) तैयार करने का निर्देश दिया जाता है। मंत्रालयों और विभागों की तरफ से अपनी मांग रखे जाने के बाद वित्त मंत्रालय का व्यय विभाग सभी केंद्रीय मंत्रालयों से समझौते शुरू करता है।
2. इसी दौरान आर्थिक मामलों के विभाग और राजस्व विभाग अलग-अलग हितधारकों जैसे- किसानों, व्यापारियों, अर्थशास्त्रियों, सिविल सोसाइटी संस्थानों के संपर्क में आते हैं और उनसे बजट को लेकर नजरिया पेश करने की मांग करते हैं। इस प्रक्रिया को प्री बजट डिस्कशन (बजट पूर्व चर्चा) भी कहा जाता है, क्योंकि यह बजट तैयार करने से पहले की प्रक्रिया है। इसके बाद वित्त मंत्री टैक्स को लेकर अंतिम फैसला लेते हैं। बजट के फाइनल होने से पहले, सभी प्रस्तावों पर प्रधानमंत्री से भी चर्चा की जाती है और उन्हें अगले फैसलों के बारे में अवगत कराया जाता है।
3. आखिरी कदम के तौर पर वित्त मंत्रालय बजट तय करने से जुड़े सभी विभागों से आमदनी और खर्च की रसीदें हासिल करता है। इसके जरिए जुटाए गए डेटा से अगले साल की अनुमानित कमाई और खर्चों की योजना तैयार होती है। इसके अलावा सरकार बजट को अंतिम रूप देने के लिए एक बार फिर राज्यों, बैंकरों, कृषि क्षेत्र के लोगों, अर्थशास्त्रियों और व्यापार संघों के साथ बैठक करती है। इसमें इन हितधारकों को टैक्स में छूट और आर्थिक मदद देने जैसी बातों पर चर्चा होती है। आखिर में वित्त मंत्रालय संशोधित बजट अनुमानों के आधार पर बजट भाषण तैयार करता है।
बजट पेश होने से पहले क्यों होता है 'हलवा समारोह'?
वित्त मंत्री बजट से ठीक पहले एक हलवा समारोह का भी आयोजन करती/करते हैं। यह हलवा समारोह इस बात का परिचायक होता है कि बजट को अंतिम रूप दिया जा चुका है और इसके छपने का काम शुरू हो चुका है। इस समारोह में बड़ी संख्या में बजट तैयार करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। दरअसल, वित्त मंत्रालय के बजट विभाग के जितने भी अधिकारी बजट बनाने के कामों में जुटे होते हैं, उन्हें संसद में बजट पेश होने तक अपने परिवारों से संपर्क नहीं करने दिया जाता। ऐसे में सरकार उनकी मेहनत को लेकर आभार प्रकट के लिए भी हलवा समारोह का आयोजन करती है।
विस्तार
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट पेश करेंगी। महामारी की वजह से सरकार इस बार भी पेपरलेस बजट पेश करने वाली है। जहां बजट पेश करने की तारीख तो एक फरवरी तय है, लेकिन इसकी तैयारी कई महीने पहले से शुरू हो जाती है। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि भारतीय बजट के बारे में संविधान में क्या कहा गया है और इसे पेश करने के लिए सरकार को किस तरह से तैयारियां करनी पड़ती हैं?
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क्या है बजट, संविधान में इसका जिक्र कहां?
संविधान में सीधे तौर पर बजट का जिक्र नहीं है। हालांकि, संविधान के 'अनुच्छेद 112' में 'वार्षिक वित्तीय विवरण' की चर्चा है। इस अनुच्छेद के तहत ही सरकार को अपने हर साल की कमाई और व्यय का ब्योरा देना अनिवार्य होता है। इस अनुच्छेद के मुताबिक, बजट पेश करने का अधिकार राष्ट्रपति को है। लेकिन राष्ट्रपति खुद बजट पेश नहीं करते, बल्कि अपनी तरफ से किसी मंत्री को बजट पेश करने के लिए कह सकते हैं। देश में हाल ही में यह तब हुआ था, जब अरुण जेटली के बीमार होने पर पीयूष गोयल ने वित्त मंत्री न रहते हुए भी बजट पेश किया था। हालांकि, सामान्यतः बजट पेश वित्त मंत्री द्वारा करवाया जाता है।
कहां से आया बजट शब्द?
बजट शब्द फ्रांस के बुजे (Bougette) से आया है, जिसका मतलब है चमड़े का बैग। ऐसा माना जाता है कि सरकार और उद्योगपति अपने कमाई और खर्च के दस्तावेज चमड़े के बैग में रखते हैं, इसलिए वित्त मंत्री भी अपने दस्तावेज एक चमड़े के बैग में लेकर संसद पहुंचते हैं। ब्रिटेन में इस शब्द के इस्तेमाल भारत में भी यही शब्द आगे बढ़ा।
बजट होता क्या है?
बजट एक साल का हिसाब होता है। बजट पेश करने से पहले एक सर्वे से कराया जाता है, जिसमें सरकार की कमाई का अनुमान लगाया जाता है। बजट में सरकार अनुमान लगाती है कि उसे प्रत्यक्ष कर, अप्रत्यक्ष कर, रेलवे के किराए और अलग-अलग मंत्रालय के जरिए कितनी कमाई होगी। इस सर्वे में यह भी पता लगाया जाता है कि आगामी साल में सरकार का कितना खर्च अनुमानित होगा।
सीधे शब्दों में कहें तो बजट एक साल में होने वाले अनुमानित राजस्व (कमाई) और खर्चों (अनुमानित व्यय) का ब्योरा होता है। वित्त मंत्री अपने इन्हीं कमाई और खर्च का ब्योरा बजट भाषण में देते हैं। इसे ही आम बजट या संघीय बजट कहते हैं। बजट की अवधि एक साल की होती है।
भारत में बजट तैयार करने की जिम्मेदारी किसकी?
भारत में बजट को तैयार करने का काम काफी जटिल है। इसे विकसित करने में वित्त मंत्रालय के साथ नीति आयोग और खर्च से जुड़े मंत्रालय शामिल होते हैं। वित्त मंत्रालय इन्हीं अलग-अलग मंत्रालयों के अनुरोध पर खर्च का एक प्रस्ताव तैयार करता है। इसके बाद बजट बनाने का काम वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले आर्थिक मामलों के विभाग का बजट सेक्शन करता है।
बजट तैयार करने की प्रक्रिया क्या है?
1. बजट सेक्शन सभी केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, स्वायत्त संस्थानों, विभागों, सैन्यबलों को एक सर्कुलर जारी करता है, जिसमें इन्हें आगामी साल के लिए एस्टिमेट (खर्चों का आकलन) तैयार करने का निर्देश दिया जाता है। मंत्रालयों और विभागों की तरफ से अपनी मांग रखे जाने के बाद वित्त मंत्रालय का व्यय विभाग सभी केंद्रीय मंत्रालयों से समझौते शुरू करता है।
2. इसी दौरान आर्थिक मामलों के विभाग और राजस्व विभाग अलग-अलग हितधारकों जैसे- किसानों, व्यापारियों, अर्थशास्त्रियों, सिविल सोसाइटी संस्थानों के संपर्क में आते हैं और उनसे बजट को लेकर नजरिया पेश करने की मांग करते हैं। इस प्रक्रिया को प्री बजट डिस्कशन (बजट पूर्व चर्चा) भी कहा जाता है, क्योंकि यह बजट तैयार करने से पहले की प्रक्रिया है। इसके बाद वित्त मंत्री टैक्स को लेकर अंतिम फैसला लेते हैं। बजट के फाइनल होने से पहले, सभी प्रस्तावों पर प्रधानमंत्री से भी चर्चा की जाती है और उन्हें अगले फैसलों के बारे में अवगत कराया जाता है।
3. आखिरी कदम के तौर पर वित्त मंत्रालय बजट तय करने से जुड़े सभी विभागों से आमदनी और खर्च की रसीदें हासिल करता है। इसके जरिए जुटाए गए डेटा से अगले साल की अनुमानित कमाई और खर्चों की योजना तैयार होती है। इसके अलावा सरकार बजट को अंतिम रूप देने के लिए एक बार फिर राज्यों, बैंकरों, कृषि क्षेत्र के लोगों, अर्थशास्त्रियों और व्यापार संघों के साथ बैठक करती है। इसमें इन हितधारकों को टैक्स में छूट और आर्थिक मदद देने जैसी बातों पर चर्चा होती है। आखिर में वित्त मंत्रालय संशोधित बजट अनुमानों के आधार पर बजट भाषण तैयार करता है।
बजट पेश होने से पहले क्यों होता है 'हलवा समारोह'?
वित्त मंत्री बजट से ठीक पहले एक हलवा समारोह का भी आयोजन करती/करते हैं। यह हलवा समारोह इस बात का परिचायक होता है कि बजट को अंतिम रूप दिया जा चुका है और इसके छपने का काम शुरू हो चुका है। इस समारोह में बड़ी संख्या में बजट तैयार करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। दरअसल, वित्त मंत्रालय के बजट विभाग के जितने भी अधिकारी बजट बनाने के कामों में जुटे होते हैं, उन्हें संसद में बजट पेश होने तक अपने परिवारों से संपर्क नहीं करने दिया जाता। ऐसे में सरकार उनकी मेहनत को लेकर आभार प्रकट के लिए भी हलवा समारोह का आयोजन करती है।
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