पांच जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। 22 जून को हलवा सेरेमनी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने सभी कर्मचारियों के साथ मिलकर हलवा खाकर बजट की छपाई को शुरू किया था। इस बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं। देश का पहला बजट साल 1947 में पेश हुआ था। आइए साल 1947 से लेकर अब तक बजट से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं।
बजट छपाई एक तरह से पूर्णतया गोपनीय काम होता है। बजट छपाई की प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों को कुछ दिनों के लिए पूरी दुनिया से कटे रहना होता है। इन अधिकारियों और कर्मचारियों को घर जाने की भी इजाजत नहीं होती है। वित्त मंत्री द्वारा लोक सभा में बजट पेश करने के बाद ही इन्हें नॉर्थ ब्लॉक से बाहर जाने की इजाजत मिलती है।
भारत का पहला बजट 15 अगस्त 1947 को आजाद होने के तीन महीने के भीतर पेश किया गया था। बता दें, 26 नवंबर 1947 को आर के शनमुखम शेट्टी ने आजाद भारत का पहला बजट पेश किया था। हालांकि यह पूर्ण बजट नहीं था। लेकिन उसे अर्थव्यवस्था की समीक्षा जरूर कहा जा सकता था।
भारत के पहले बजट में कर से जुड़ा कोई भी प्रस्ताव पेश नहीं किया गया था। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि 1948-49 का बजट सिर्फ 95 दिन दूर था।
अब तक सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने वाले मंत्रियों में मोरारजी देसाई का नाम शामिल है। दरअसल, मोरारजी देसाई ने साल 1959 में देश के वित्त मंत्री बने। उन्होंने 10 बार बजट पेश किया था। इन बजट में आठ पूर्ण बजट और दो अंतरिम बजट शामिल हैं। मोरारजी देसाई के बाद पी चिदंबरम ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने आठ बार बजट पेश किया है। प्रणब मुखर्जी, यशवंत सिन्हा, वाईबी चौहान और सीडी देशमुख ने सात बार बजट पेश किया था। बहरहाल, मोरार जी देसाई पूरी दुनिया में अपनी अनोखी लाइफ स्टाइल को लेकर चर्चा में थे।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यशवंत सिन्हा और अरुण जेटली ही ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने लगातार पांच बार बजट पेश किया हो।
1973-74 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव बी चव्हाण द्वारा पेश किए गए बजट को काला बजट की संज्ञा दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उस बजट में 550 करोड़ से ज्यादा का घाटा था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दूसरी महिला वित्त मंत्री होंगी, जो भारत का बजट पेश करेंगी। इससे पहले इंदिरा गांधी ने साल 1970-71 में बजट पेश किया था।
साल 1955 तक भारत का पूर्ण बजट सिर्फ अंग्रेजी भाषा में ही पेश होता था। लेकिन वित्त वर्ष 1955-56 से बजट अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषा में छापा गया था।
साल 2017 तक रेल बजट को पूर्ण बजट में शामिल नहीं किया जाता था। 92 साल तक रेल बजट अलग से पेश किया जाता था, जो बाद में पूर्ण बजट के साथ ही पेश होने लगा।
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