दो महीने की गिरावट के बाद नवंबर में भारत की सेवा क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों में सुधार दर्ज किया गया। बुधवार को जारी एक मासिक सर्वेक्षण के मुताबिक, नए कारोबारी ऑर्डर, रोजगार में बढ़ोतरी और कारोबारी आत्म-विश्वास में मजबूती से सेवा क्षेत्र को फायदा मिला। हालांकि इसमें कमजोरी के संकेत बने होने की बात भी कही गई।
नवंबर में आईएचएस मार्किट इंडिया सर्विसेस बिजनेस एक्टिविटी सूचकांक सुधर 52.7 के स्तर पर पहुंच गया, जबकि अक्तूबर में यह 49.2 के स्तर पर रहा था। सर्वेक्षण के मुताबिक, हालांकि यह बढ़ोतरी 54.2 के दीर्घकालिक औसत की तुलना में खासी कम रही।
आईएचएस मार्किट की प्रमुख अर्थशास्त्री पॉलियाना डि लीमा ने कहा, ‘जहां सितंबर और अक्तूबर में सेवा क्षेत्र में कमजोरी दिखी थी, वहीं पीएमआई के आंकड़े मांग और क्षेत्र की स्थिति को लेकर सतर्कता के संकेत देते हैँ।’ लीमा ने आगाह किया कि ‘भले ही सेक्टर का प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन दिसंबर में इस तेजी के जारी रहने की उम्मीद कम ही है।’
लीमा ने कहा, ‘ऐतिहासिक मानदंडों पर बिक्री और गतिविधियों में विस्तार की दर सुस्त रही, वहीं कारोबारी आत्म-विश्वास का स्तर पर भी कम रहा। एक साल में लागत का बोझ बढ़ने के बावजूद महंगाई भी कम रही। इससे सेवा कंपनियों की मूल्यांकन की क्षमता में कमी का भी पता चलता है।’
दो महीने की गिरावट के बाद नवंबर में भारत की सेवा क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों में सुधार दर्ज किया गया। बुधवार को जारी एक मासिक सर्वेक्षण के मुताबिक, नए कारोबारी ऑर्डर, रोजगार में बढ़ोतरी और कारोबारी आत्म-विश्वास में मजबूती से सेवा क्षेत्र को फायदा मिला। हालांकि इसमें कमजोरी के संकेत बने होने की बात भी कही गई।
नवंबर में आईएचएस मार्किट इंडिया सर्विसेस बिजनेस एक्टिविटी सूचकांक सुधर 52.7 के स्तर पर पहुंच गया, जबकि अक्तूबर में यह 49.2 के स्तर पर रहा था। सर्वेक्षण के मुताबिक, हालांकि यह बढ़ोतरी 54.2 के दीर्घकालिक औसत की तुलना में खासी कम रही।
आईएचएस मार्किट की प्रमुख अर्थशास्त्री पॉलियाना डि लीमा ने कहा, ‘जहां सितंबर और अक्तूबर में सेवा क्षेत्र में कमजोरी दिखी थी, वहीं पीएमआई के आंकड़े मांग और क्षेत्र की स्थिति को लेकर सतर्कता के संकेत देते हैँ।’ लीमा ने आगाह किया कि ‘भले ही सेक्टर का प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन दिसंबर में इस तेजी के जारी रहने की उम्मीद कम ही है।’
लीमा ने कहा, ‘ऐतिहासिक मानदंडों पर बिक्री और गतिविधियों में विस्तार की दर सुस्त रही, वहीं कारोबारी आत्म-विश्वास का स्तर पर भी कम रहा। एक साल में लागत का बोझ बढ़ने के बावजूद महंगाई भी कम रही। इससे सेवा कंपनियों की मूल्यांकन की क्षमता में कमी का भी पता चलता है।’