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Shaktikanta Das said Inflation decreasing in India compared to world but battle against inflation is not over
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RBI: आरबीआई गवर्नर दास ने कहा- दुनिया के मुकाबले भारत में घट रही महंगाई फिर भी ढील की कोई गुंजाइश नहीं
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Thu, 08 Dec 2022 06:07 AM IST
सार
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आरबीआई की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद बुधवार को गवर्नर ने आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमान में कमी का बचाव करते हुए कहा कि आंकड़े बताते हैं कि महंगाई का सबसे बुरा दौर पीछे छूट चुका है। लेकिन महंगाई के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और आत्मसंतोष के लिए कोई जगह नहीं है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास।
- फोटो : ANI (फाइल फोटो)
कीमतों में तेज बढ़ोतरी पर काबू पाने के लिए रेपो दर में लगातार बढ़ोतरी के बीच आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई का खराब दौर पीछे छूट चुका है। लेकिन, अब भी इस मोर्चे पर ढिलाई बरतने की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा, कमोडिटी और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से दुनिया के मुकाबले भारत में महंगाई कम हो रही है। फिर भी, हमें अत्यधिक सतर्क रहना होगा। अगर जरूरी हो तो हमें कार्रवाई भी करनी होगी। इसलिए मैं कहता हूं कि महंगाई के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और आत्मसंतोष के लिए कोई जगह नहीं है।
आरबीआई की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद बुधवार को गवर्नर ने आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमान में कमी का बचाव करते हुए कहा कि आंकड़े बताते हैं कि महंगाई का सबसे बुरा दौर पीछे छूट चुका है। आरबीआई घरेलू कारकों एवं आगामी आंकड़ों पर नजर बनाए रखेगा। उन्होंने कहा कि उच्च महंगाई की वजह से केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है। खुदरा महंगाई लगातार पिछले 11 महीने से आरबीआई के 6 फीसदी के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है।
नरमी के संकेत के रूप में देखें : पात्रा
डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि आरबीआई का प्रयास पहले महंगाई को 6 फीसदी के संतोषजनक स्तर से नीचे लाना है। रेपो दर में 0.50 फीसदी की जगह 0.35 फीसदी की वृद्धि को केंद्रीय बैंक की ओर से नरमी के संकेत के रूप में देखा जाना चाहिए। हालांकि, महंगाई के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और इसलिए हमारा तटस्थ रुख है। महत्वपूर्ण बात यह है कि हमने नीतिगत दर में बदलाव की मात्रा को कम कर दिया है। यह सबसे अहम बात है।
30 लाख के कर्ज पर 23 फीसदी बढ़ गई है ईएमआई
रेपो दर में बढ़ोतरी के कारण इस साल मई से अब तक 30 साल के लिए 30 लाख रुपये के कर्ज पर उपभोक्ताओं की मासिक किस्त (ईएमआई) 23 फीसदी बढ़ चुकी है। इसी तरह, अगर आपने इस साल मार्च में 20 साल की अवधि के लिए 7 फीसदी ब्याज पर 30 लाख का होम लोन लिया है तो रेपो दर में ताजा बढ़ोतरी के बाद ब्याज दर बढ़कर अब 9.25 फीसदी हो जाएगी। इससे आपकी ईएमआई 23,258 रुपये से 17.75 फीसदी बढ़कर 27,387 रुपये हो जाएगी। यह बढ़त जनवरी, 2023 में कटने वाली ईएमआई पर दिखेगी। इसके अलावा, जिन उपभोक्ताओं ने फ्लोटिंग रेट पर होम लोन लिया है तो उसकी मासिक किस्त और बढ़ जाएगी।
...तो 13 साल बढ़ जाएगी लोन अवधि
अगर किसी उपभोक्ता ने मार्च में 6 फीसदी ब्याज पर होम लोन लिया है तो रेपो दर में 1.90 फीसदी की बढ़त के बाद उसके कर्ज की दर भी बढ़कर 7.90 फीसदी हो गई है। ऐसे में अगर आप ईएमआई नहीं बढ़वाते हैं तो 20 साल की लोन अवधि 13 साल और बढ़कर 33 साल हो जाएगी। अगर आप अवधि की जगह ईएमआई बढ़ाने का विकल्प चुनते हैं तो मासिक किस्त 20 फीसदी बढ़ जाएगी। कम अवधि वाले कर्ज पर प्रभाव बहुत कम होगा। कर्ज की अवधि 10 साल होने पर मासिक किस्त सिर्फ 9.96 फीसदी ही बढ़ेगी।
बढ़ी ईएमआई चुकाने के लिए वेतन में 10 फीसदी वृद्धि भी कम
बैंक आम तौर पर आपके हाथ में आने वाले वेतन का 50 फीसदी से कम ईएमआई रखते हैं। अगर किसी व्यक्ति का वेतन 62,000 रुपये है और उसने मार्च, 2022 में 7 फीसदी ब्याज पर 20 साल के लिए 40 लाख रुपये का होम लोन लिया है तो उसकी ईएमआई 31,012 रुपये बनती है। यह उसके शुद्ध वेतन का करीब 50 फीसदी है।
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हालांकि, रेपो दर में 2.25 फीसदी की बढ़ोतरी के प्रभाव को देखते हुए जनवरी, 2023 में ब्याज दर 9.25 फीसदी हो जाएगी। इससे उसकी मासिक किस्त भी बढ़कर 36,485 रुपये हो जाएगी।
अगर वेतन स्थिर रहता है तो इसका 59 फीसदी हिस्सा आपकी ईएमआई पर खर्च हो जाएगा। वेतन में 10 फीसदी की बढ़ोतरी भी बढ़ी ईएमआई की भरपाई के लिए पर्याप्त नहीं होगी।
अगर आपके पास निवेश है, जो होम लोन पर भुगतान की जाने वाली ब्याज दर से कम रिटर्न कमा रहा है तो कुछ रकम मूलधन के रूप में जमा करना चाहिए। इससे बढ़ने वाली अवधि पर विराम लग जाएगा। उदाहरण के लिए, अगर हर साल कुल कर्ज का पांच फीसदी भुगतान करते हैं तो आप 20 साल के कर्ज को 12 साल में ही चुका सकते हैं।
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