करवाचौथ का त्योहार आधुनिकता में परंपराओं की खूबसूरत खिड़की है। मुख्य रूप से पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाने वाला यह पर्व अब देशभर में लोकप्रिय हो चुका है। हिंदू पंचांग के अनुसार, करवाचौथ का पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाते हैं। यह सूर्योदय से पहले शुरू होता है और रात को चंद्र दर्शन व पूजा के बाद इसका समापन किया जाता है।
करवाचौथ मुख्य रूप से सुहागिनों का पर्व है, जिसमें पूरा श्रृंगार कर विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के साथ पूजा-अर्चना करती हैं। इस व्रत की खूबसूरती तब नजर आती है, जब घर की सभी बुजुर्ग से लेकर नवविवाहित महिलाएं चांद देखकर पति के हाथ से पानी पीती हैं। शहर के किसी घर की छत हो या किसी फ्लैट की बालकनी, करवाचौथ की रात माहौल किसी उत्सव से कम नहीं होता है।
करवाचौथ का उत्साह तनिष्क से बढ़ाएं, क्योंकि करवाचौथ का श्रृंगार उम्र नहीं, बल्कि भावनाओं और परंपराओं के मेल से किया जाता है। हर गहना चाहे वह मंगलसूत्र हो या मांग टीका, कर्णफूल हो या हाथ में सजने वाला कंगन, कमरबंद हो या फिर अंगूठी, सुहाग का प्रतीक और आस्था में विश्वास होता है। इन गहनों में स्वर्ण आभूषणों यानी सोने के गहनों को खास जगह दी गई है।
करवाचौथ के इस उत्सव की रौनक को आप तनिष्क के उत्साह कलेक्शन से बढ़ा सकते हैं। करवाचौथ की थीम के मुताबिक, इस कलेक्शन में परंपराओं और आधुनिकताओं को खूबसूरती से पिरोया गया है। उत्साह कलेक्शन में शामिल हर डिजाइन को तनिष्क की टीम ने इस तरह तैयार किया है कि दादी से लेकर पोती तक इन गहनों का आकर्षक लुक, तुरंत सभी की नजर में उतर जाएगा और उन पर खूब जंचेगा। रूबी और दूसरे जेम स्टोंस के साथ नायाब कट्स को विवाहित महिला की नजाकत और एलिगेंस को ध्यान में रखते हुए पिरोया गया है।
करवाचौथ पर तनिष्क के उत्साह कलेक्शन को चुनने की एक खास वजह और भी है कि यह सूट, साड़ी, लहंगा जैसे हर पारंपरिक परिधान के साथ कैरी किया जा सकता है। इसमें सेट, कंगन, नेकलेस, रिंग्स में लाइट लुक से लेकर हैवी जूलरी तक की बड़ी रेंज है, जो किसी भी विवाहित महिला के कलेक्शन में जरूर शामिल होनी चाहिए। तो करवाचौथ की रौनक को बढ़ाने के लिए आज ही अपने नजदीकी तनिष्क स्टोर जाएं और एक से बढ़कर एक खूबसूरत गहनों के साथ अपने पर्व के उत्साह को दोगुना कर दें।
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करवाचौथ का त्योहार आधुनिकता में परंपराओं की खूबसूरत खिड़की है। मुख्य रूप से पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाने वाला यह पर्व अब देशभर में लोकप्रिय हो चुका है। हिंदू पंचांग के अनुसार, करवाचौथ का पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाते हैं। यह सूर्योदय से पहले शुरू होता है और रात को चंद्र दर्शन व पूजा के बाद इसका समापन किया जाता है।
करवाचौथ मुख्य रूप से सुहागिनों का पर्व है, जिसमें पूरा श्रृंगार कर विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के साथ पूजा-अर्चना करती हैं। इस व्रत की खूबसूरती तब नजर आती है, जब घर की सभी बुजुर्ग से लेकर नवविवाहित महिलाएं चांद देखकर पति के हाथ से पानी पीती हैं। शहर के किसी घर की छत हो या किसी फ्लैट की बालकनी, करवाचौथ की रात माहौल किसी उत्सव से कम नहीं होता है।