कोविड-19 संकट के कारण कारोबारी गतिविधियों के प्रभावित होने से देश के सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में मई में भी तेज गिरावट जारी है। आईएचएस मार्किट सर्विसेज परचेजिंग सूचकांक (पीएमआई) मई में 12.6 रहा। हालांकि, यह अप्रैल के 5.4 से अधिक है। इसके बावजूद यह आंकड़ा सेवा क्षेत्र में बहुत अधिक गिरावट को दर्शाता है। इससे पहले अप्रैल में उस दौरान सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में अप्रत्याशित गिरावट रही थी और सेवा पीएमआई 5.4 रहा था। पीएमआई का 50 अंक से ज्यादा रहना विस्तार और इससे नीचे रहना संकुचन को बताता है।
आईएचएस मार्किट के अर्थशास्त्री जो हेयस का कहना है कि सूचकांक का यह स्तर पूरे भारत में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में अत्यधिक गिरावट का संकेत है। उपभोक्ताओं की आवाजाही पर रोक के कारण मांग एकदम खत्म हो गई। हालांकि, सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में अब भी ठहराव है। इसके अलावा, मांग में गिरावट से नौकरियों पर असर पड़ा है। इस दौरान कंपनियों में तेजी से कर्मचारियों की छंटनी की है। आने वाले समय में नौकरियों के मोर्चे पर चुनौती और बढ़ने के आसार हैं।
धीमी रहेगी सुधार की गति
हेयस का कहना है कि सूचकांक मई में निजी क्षेत्र की कारोबारी गचिविधियों में भारी कमी की ओर इशारा कर रहा है। मई में यह 14.8 रहा, जो अप्रैल में 7.2 था। उन्होंने कहा, वित्त वर्ष 2020 की पहली छमाही में आर्थिक गतिविधियों में भारी गिरावट तय मानी जा रही है। ऐसे में स्पष्ट है कि सकल घरेलू उत्पाद के कोविड-19 से पहले की स्थिति में पहुंचने में बहुत अधिक समय लगने वाला है। सुधार की गति धीमी रहेगी।
कोविड-19 संकट के कारण कारोबारी गतिविधियों के प्रभावित होने से देश के सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में मई में भी तेज गिरावट जारी है। आईएचएस मार्किट सर्विसेज परचेजिंग सूचकांक (पीएमआई) मई में 12.6 रहा। हालांकि, यह अप्रैल के 5.4 से अधिक है। इसके बावजूद यह आंकड़ा सेवा क्षेत्र में बहुत अधिक गिरावट को दर्शाता है। इससे पहले अप्रैल में उस दौरान सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में अप्रत्याशित गिरावट रही थी और सेवा पीएमआई 5.4 रहा था। पीएमआई का 50 अंक से ज्यादा रहना विस्तार और इससे नीचे रहना संकुचन को बताता है।
आईएचएस मार्किट के अर्थशास्त्री जो हेयस का कहना है कि सूचकांक का यह स्तर पूरे भारत में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में अत्यधिक गिरावट का संकेत है। उपभोक्ताओं की आवाजाही पर रोक के कारण मांग एकदम खत्म हो गई। हालांकि, सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में अब भी ठहराव है। इसके अलावा, मांग में गिरावट से नौकरियों पर असर पड़ा है। इस दौरान कंपनियों में तेजी से कर्मचारियों की छंटनी की है। आने वाले समय में नौकरियों के मोर्चे पर चुनौती और बढ़ने के आसार हैं।
धीमी रहेगी सुधार की गति
हेयस का कहना है कि सूचकांक मई में निजी क्षेत्र की कारोबारी गचिविधियों में भारी कमी की ओर इशारा कर रहा है। मई में यह 14.8 रहा, जो अप्रैल में 7.2 था। उन्होंने कहा, वित्त वर्ष 2020 की पहली छमाही में आर्थिक गतिविधियों में भारी गिरावट तय मानी जा रही है। ऐसे में स्पष्ट है कि सकल घरेलू उत्पाद के कोविड-19 से पहले की स्थिति में पहुंचने में बहुत अधिक समय लगने वाला है। सुधार की गति धीमी रहेगी।