अवधि | ब्याज दर (आम नागरिकों के लिए) | ब्याज दर (वरिष्ठ नागरिकों के लिए) |
सात से 45 दिन तक | 4.50 फीसदी | पांच फीसदी |
46 से 179 दिन तक | 5.50 फीसदी | छह फीसदी |
180 से 210 दिन तक | 5.80 फीसदी | 6.30 फीसदी |
211 दिन से एक साल तक | 5.80 फीसदी | 6.30 फीसदी |
एक साल से दो साल तक | 6.40 फीसदी | 6.90 फीसदी |
दो साल से तीन साल तक | 6.25 फीसदी | 6.75 फीसदी |
तीन साल से पांच साल तक | 6.25 फीसदी | 6.75 फीसदी |
पांच साल से 10 साल तक | 6.25 फीसदी | 6.75 फीसदी |
भारतीय स्टेट बैंक ने बुधवार को लोन, एफडी और बचत खातों पर ब्याज दरों में कटौती का एलान किया था। जहां लोन पर ब्याज दरों में 0.10 फीसदी की कटौती की थी, वहीं बचत खातों पर मिलने ब्याज को 3.5 फीसदी से घटाकर के 3.25 फीसदी किया था। इसके अलावा एफडी पर मिलने वाली ब्याज दरों में 0.10 फीसदी की कटौती की थी। इस सारी कवायद के पीछे एक ही मकसद था, कि लोग बचत करने के बजाए अपने खर्चों को बढ़ाएं, ताकि अर्थव्यवस्था में छाई हुई सुस्ती को दूर किया जा सके।
बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े एक्सपर्ट का मानना है कि अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने के लिए खर्च की प्रवृति को बढ़ाना पड़ेगा, तभी इसका लाभ आगे मिलेगा। जब जमा रकम पर लोगों को कम ब्याज मिलेगा तो फिर वो इसको खर्च करने के लिए प्रयोग में लाएंगे। खर्च करने के लिए लोग बैंकों से उधार लेंगे, जिससे उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री बढ़ेगी। अभी ऑटो और रियल एस्टेट के अलावा कई सेक्टर में मांग न होने से उत्पादन बिलकुल ठप हो गया है।
जो बैंक मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लैंडिंग रेट (एमसीएलआर) पर ग्राहकों को लोन दे रहे हैं, ऐसे ग्राहकों को ब्याज दरों में कटौती का फायदा रिसैट पीरियड के खत्म हो जाने के बाद मिलेगा। एमसीएलआर में कम से कम एक साल का रिसैट पीरियड होता है। अगर किसी ग्राहक के लोन का रिसैट पीरियड दिसंबर में है, तो फिर उसको अगले साल जनवरी से उसकी ईएमआई में कटौती होगी।
वहीं दूसरी तरफ इस रेट पर लोन लेने वाले नए ग्राहकों को फायदा मिलेगा, क्योंकि उनको कम ब्याज दर लोन की ईएमआई चुकानी होगी। वहीं जो ग्राहक रेपो रेट लिंक रेट (आरआरएलआर) के जरिए लोन लेंगे उनके लिए रिसैट पीरियड तीन महीने का होगा।
बैंक ने लोन की ब्याज दरों में कटौती के अलावा बचत खाते और एफडी की ब्याज दरों में कटौती की है। इसका मतलब साफ है कि बैंक चाहता है कि ग्राहक अपने खातों में ज्यादा पैसा न रखें। अगर आप पैसे को रखते हैं, तो फिर इससे किसी तरह का फायदा नहीं मिलेगा। भलाई इसी में है कि लोग अपने खातों से पैसा निकालकर उसको कहीं और निवेश या फिर खर्च करें। बैंक ने दो साल से कम की एफडी पर ब्याज दरों को घटाया है। इससे जिन लोगों ने अपना पैसा एफडी के जरिए सुरक्षित किया है, उनको इस पर ज्यादा ब्याज नहीं मिलेगा। ऐसे में लोगों को नुकसान ही होगा, क्योंकि लोग एफडी इसलिए ही कराते हैं, कि जरूरत के समय इसका इस्तेमाल कर सकें।
अवधि | ब्याज दर (आम नागरिकों के लिए) | ब्याज दर (वरिष्ठ नागरिकों के लिए) |
सात से 45 दिन तक | 4.50 फीसदी | पांच फीसदी |
46 से 179 दिन तक | 5.50 फीसदी | छह फीसदी |
180 से 210 दिन तक | 5.80 फीसदी | 6.30 फीसदी |
211 दिन से एक साल तक | 5.80 फीसदी | 6.30 फीसदी |
एक साल से दो साल तक | 6.40 फीसदी | 6.90 फीसदी |
दो साल से तीन साल तक | 6.25 फीसदी | 6.75 फीसदी |
तीन साल से पांच साल तक | 6.25 फीसदी | 6.75 फीसदी |
पांच साल से 10 साल तक | 6.25 फीसदी | 6.75 फीसदी |
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