अब सरस्वती नदी केवल वैदिक मंत्रों या पौराणिक पुस्तकों में ही नहीं, बल्कि धरातल पर नजर आएगी। देवभूमि हिमाचल और हरियाणा मिलकर इसे पुनर्जीवित करेंगे। पंचकूला के सेक्टर-1 स्थित पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में शुक्रवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मौजूदगी में आदिबद्री बांध निर्माण के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) हस्ताक्षर किया गया। इसके तहत तीन किलोमीटर लंबी झील बनेगी।
बांध से 20 क्यूसिक पानी साल भर सरस्वती नदी में प्रवाहित किया जाएगा। मनोहर लाल ने कहा कि सरकार ने आदिबद्री से कैथल होते हुए घग्गर नदी तक 200 किलोमीटर दूरी के क्षेत्र को सरस्वती नदी के लिए अधिसूचित किया है। आदिबद्री डैम बनाने का मकसद सरस्वती नदी के पुनरूद्धार के साथ-साथ भूमिगत जल के स्तर को बढ़ाना है।
बारिश के दिनों में अत्यधिक वर्षा से पैदा होने वाली बाढ़ की स्थिति से भी निपटा जा सकेगा। आदिकाल से पूजनीय सरस्वती नदी के प्रवाह स्थल के आसपास धार्मिक मान्यताएं पुन: जागृत होंगी। हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल व हिमाचल के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने दोनों मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में बांध निर्माण के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इसके अलावा अतिरिक्त पानी को संचित करने के लिए यमुना नदी के हथनीकुंड बैराज पर भी बांध बनाया जाएगा। एनओसी मांगी गई है, जल्द सर्वे का काम शुरू होगा।
आदिबद्री बांध हिमाचल की 31.66 हेक्टेयर भूमि पर बनाया जाएगा। चौड़ाई 101.06 मीटर व ऊंचाई 20.5 मीटर होगी। 215.33 करोड़ रुपये की लागत आएगी। बांध में हर वर्ष 224.58 हेक्टेयर मीटर पानी का भंडारण होगा। 61.88 हेक्टेयर मीटर पानी हिमाचल व शेष करीब 162 हेक्टेयर मीटर पानी हरियाणा को मिलेगा। इस पानी को सरस्वती नदी में प्रवाहित किया जाएगा।
तीर्थाटन के रूप में भी होगा विकसित
पर्यटन की दृष्टि से कालका से कलेसर तक का क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में आदिबद्री, लोहागढ़, कपालमोचन, माता मंत्रादेवी सहित अनेक धार्मिक व पर्यटन स्थल आते हैं। बांध के साथ-साथ यहां झील बनने से बहुत से पर्यटक आएंगे। इससे दोनों प्रदेशों को लाभ मिलेगा।
मेरा 35 साल पुराना सपना साकार हुआ: मनोहर लाल
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि आज उनका 35 साल पुराना सपना साकार हुआ है। 1986-87 में सरस्वती के पुनरुद्धार के संबंध में हो रहे अनुसंधान से संबंधित यात्रा की थी। यह यात्रा यमुनानगर के आदिबद्री से शुरू होकर कच्छ तक पहुंची थी। आदिबद्री बांध बनने से 20 क्यूसिक पानी निरंतर सरस्वती नदी में प्रवाहित होगा। इससे पूरा वर्ष सरस्वती में पानी का प्रवाह रहेगा।
सरस्वती नदी के प्रवाह के संबंध में न केवल धार्मिक मान्यता है, बल्कि सैटेलाइट से स्पष्ट हुआ है कि जमीन के अंदर आज भी इसका प्रवाह है। सरस्वती नदी पर शोध के संबंध में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में पीठ की स्थापना कर रखी है। हरियाणा सरस्वती हैरिटेज डेवलेपमेंट बोर्ड बनाया है। वहीं, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि आदिबद्री बांध दोनों प्रदेशों के लिए सिंचाई व पीने के पानी की आवश्यकता को पूरा करेगा।
सरस्वती नदी में जल के प्रवाह से धार्मिक व पर्यटन के दृष्टि से यह क्षेत्र विकसित होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार कार्यक्रमों में सरस्वती नदी के पुनरुद्धार के संबंध में अपनी इच्छा व्यक्त की है। प्रधानमंत्री का देश की नदियों को जोड़ने का भी महत्वपूर्ण विजन रहा है। इसी कड़ी में हरियाणा व हिमाचल प्रदेश सरकार के बीच आदिबद्री बांध को लेकर एमओयू हुआ है। इससे जुड़े जमीन मालिकों को उचित मुआवजे की व्यवस्था की जाएगी।
आने वाले दिनों में परियोजना से जुड़ी सभी औपचारिकता पूरी कर बांध का शिलान्यास किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश व हरियाणा सरकार साथ मिलकर कई अन्य परियोजनाओं की भी रूपरेखा तैयार कर रही हैं। इससे दोनों क्षेत्रों में पर्यटन विकसित होगा। वहीं, हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने कहा कि आदिबद्री बांध बनाना बेहद गौरव की बात है।
वेदों की रचना इसी नदी के किनारे हुई थी। किसी कारणवश यह नदी विलुप्त हो गई थी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सरकार बनाते ही सरस्वती के पुनरूद्धार के लिए काम शुरू किया। आज हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस सपने को साकार किया है। आज यह ऐतिहासिक पल है, यह भगीरथी प्रयास से कम नहीं है।
मोरनी में पानी की समस्या भी होगी दूर
मोरनी क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से विकसित हो चुका है। यहां पानी की समस्या का समाधान जल्द किया जाएगा। इस क्षेत्र के नजदीक बहने वाली नदी पर छोटा बांध बनाकर पानी की समस्या को दूर किया जाएगा।
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अब सरस्वती नदी केवल वैदिक मंत्रों या पौराणिक पुस्तकों में ही नहीं, बल्कि धरातल पर नजर आएगी। देवभूमि हिमाचल और हरियाणा मिलकर इसे पुनर्जीवित करेंगे। पंचकूला के सेक्टर-1 स्थित पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में शुक्रवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मौजूदगी में आदिबद्री बांध निर्माण के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) हस्ताक्षर किया गया। इसके तहत तीन किलोमीटर लंबी झील बनेगी।
बांध से 20 क्यूसिक पानी साल भर सरस्वती नदी में प्रवाहित किया जाएगा। मनोहर लाल ने कहा कि सरकार ने आदिबद्री से कैथल होते हुए घग्गर नदी तक 200 किलोमीटर दूरी के क्षेत्र को सरस्वती नदी के लिए अधिसूचित किया है। आदिबद्री डैम बनाने का मकसद सरस्वती नदी के पुनरूद्धार के साथ-साथ भूमिगत जल के स्तर को बढ़ाना है।
बारिश के दिनों में अत्यधिक वर्षा से पैदा होने वाली बाढ़ की स्थिति से भी निपटा जा सकेगा। आदिकाल से पूजनीय सरस्वती नदी के प्रवाह स्थल के आसपास धार्मिक मान्यताएं पुन: जागृत होंगी। हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल व हिमाचल के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने दोनों मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में बांध निर्माण के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इसके अलावा अतिरिक्त पानी को संचित करने के लिए यमुना नदी के हथनीकुंड बैराज पर भी बांध बनाया जाएगा। एनओसी मांगी गई है, जल्द सर्वे का काम शुरू होगा।