जेईई एडवांस्ड का परिणाम सोमवार दोपहर जारी कर दिया गया। परीक्षा में ऑल इंडिया 10वीं रैंक हासिल कर पंचकूला के ध्वनित बेनीवाल ट्राइसिटी के टॉपर बने जबकि लुधियाना के गुरप्रीत सिंह वाधवा 23वीं रैंक पाकर दूसरे नंबर पर रहे। उन्होंने पंचकूला से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की है। वहीं, तीसरे स्थान पर मोहाली के हेमांक बजाज रहे। उन्होंने ऑल इंडिया 71वीं रैंक हासिल की है। यह तीनों टॉपर श्री चैतन्य इंस्टीट्यूट से शिक्षा ग्रहण कर रहे थे।
वहीं, चौथे स्थान पर रहे अमृतसर के कार्तिक शर्मा ने 87वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने भी पंचकूला से इंटर तक की पढ़ाई की है। इसी तरह पांचवें स्थान पर रहे पंचकूला के तनिष्क टुटेजा को ऑल इंडिया 96वीं रैंक मिली है। इन दोनों विद्यार्थियों ने एलन इंस्टीट्यूट से कोचिंग की है। खास बात यह है कि सभी पांचों टॉपर्स ने भवन विद्यालय से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की है।
पंचकूला के सेक्टर-6 निवासी ध्वनित बेनीवाल को जेईई मेन्स में 175वीं और गुरप्रीत सिंह वाधवा को 126वीं रैंक हासिल हुई थी। हेमांक मोहाली के फेज-10 के निवासी हैं। उन्हें जेईई मेन्स में 38वीं रैंक मिली थी। कार्तिक शर्मा भी भवन विद्यालय पंचकूला के छात्र हैं। उन्हें जेईई मेन्स में 42वीं रैंक मिली थी। पांचवें स्थान पर रहे तनिष्क टुटेजा पंचकूला के निवासी हैं। सभी ने सफलता का राज यही बताया कि कड़ी मेहनत जरूरी है। साथ ही कक्षा 10 के बाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू कर देनी चाहिए।
मानसा निवासी प्रशांत अरोड़ा ने जेईई एडवांस्ड में 54वीं रैंक हासिल की है। प्रशांत इंडियन नेशनल ओलंपियाड (आईएनओ) भी पास कर चुके हैं। इसके अलावा एनसीईआरटी की तरफ से आयोजित एनटीएसई में वह पंजाब में पहले स्थान पर रहे थे। प्रशांत ने बताया जेईई में प्रश्नों को हल करते समय आपकी तथ्यों पर पकड़ मजबूत होना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि वह पढ़ाई और प्रश्न हल करने के लिए रोजाना पांच घंटे का समय देते थे। प्रशांत के पिता रविंदर कुमार और माता सुनीता रानी दोनों ही पेशे से शिक्षक हैं। प्रशांत ने अपनी कोचिंग एलन इंस्टीट्यूट से की है। वह आईआईटी-बॉम्बे से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहते हैं।
जालंधर: उज्ज्वल को मिला 68वां रैंक
संत करतार नगर के रहने वाले उज्ज्वल मेहता ने जेईई एडवांस्ड परीक्षा में 68वां रैंक हासिल किया है। इससे पहले जेईई मेन्स में ऑल इंडिया में 27वां और पंजाब में पहला रैंक प्राप्त किया था। उज्ज्वल का कहना है कि वह बचपन से ही कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहता था। उन्होंने सात से आठ घंटे की पढ़ाई कर इस परीक्षा की तैयारी की है। इस दौरान सोशल मीडिया और फोन का इस्तेमाल न के बराबर किया।
वहीं लॉकडाउन के दौरान अपनी पढ़ाई को धार दी। कोरोना के डर और भविष्य की चिंता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। उज्ज्वल का सपना है कि वह आईआईटी मुंबई में दाखिला लें। उज्ज्वल के पिता नवीन मेहता पेंट की मल्टी नेशनल कंपनी में काम करते है व माता सीमा भजन गायिका हैं। उज्ज्वल के भाई जयंत मेहता ने वर्ष 2016 में एम्स परीक्षा में ऑल इंडिया 49वां रैंक प्राप्त किया था।
पंचकूला के सेक्टर- 6 निवासी ध्वनित बेनीवाल ने ट्राइसिटी टॉप किया है। उनका सपना है कि वह आईआईटी बांबे में दाखिला लेकर इंजीनियर बनें। उसी के मुताबिक वह पढ़ाई कर रहे थे। अपनी रैंक से वह संतुष्ट हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन वह सात से आठ घंटे पढ़ाई करते थे।
जन स्वास्थ्य विभाग के चीफ इंजीनियर पद से सेवानिवृत्त हुए धर्मपाल सिंह बेनीवाल कहते हैं कि बेटे की सफलता ने खुश कर दिया। उनकी मां संगीता बेनीवाल शिक्षका हैं। अपने बेटे की उपलब्धि से काफी खुश हैं। ध्वनित का कहना है कि वह कोरोना के दौरान कुछ तनाव में आए थे, लेकिन पढ़ाई पर धीरे-धीरे फोकस किया और यहां तक पहुंच गए। ध्वनित के पास मोबाइल नहीं है और न ही किसी अन्य का प्रयोग किया।
उन्होंने बताया कि सफलता के लिए कड़ी मेहनत जरूरी है। ध्वनित को 396 में से 321 अंक मिले हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का मार्गदर्शन और माता-पिता के आशीर्वाद से सफलता मिली है। श्री चैतन्य इंस्टीट्यूट के केंद्र निदेशक मृणाल सिंह भी छात्रों की सफलता पर खुश हैं। उन्होंने कहा कि सेंटर की ओर से छात्रों का पूरा साथ दिया गया।
मूल रूप से लुधियाना के रहने वाले छात्र गुरप्रीत सिंह वाधवा ने अपनी सफलता का मंत्र बताते हुए कहा कि शिक्षकों की बात हर हाल में मानें। वह सही रास्ता दिखाते हैं। गुरप्रीत सिंह ने ट्राइसिटी में दूसरा स्थान पाया है। उन्हें 396 में से 310 अंक मिले हैं।
गुरप्रीत व्यवसायी गुरमीत सिंह के बेटे हैं। उनके पिता और मां गुरवीन कौर उनकी सफलता से खुश हैं। गुरप्रीत सिंह ने बताया कि कोरोना के कारण पढ़ाई प्रभावित हो सकती थी, लेकिन श्री चैतन्य इंस्टीट्यूट ने पढ़ाई ऑनलाइन शुरू करवा दी। इसका लाभ मिला। परीक्षा के समय मैंने शिक्षकों की हर बात मानी और उस पर अमल किया।
आईआईटी बांबे में दाखिला लेने का मन है और यहां हो भी जाएगा। उन्होंने बताया कि भवन विद्यालय पंचकूला से कक्षा 11 व 12 की पढ़ाई की है। जेईई मेन्स में रैंक ज्यादा अच्छी नहीं थी, लेकिन मेरा फोकस जेईई एडवांस्ड पर था और लक्ष्य का पीछा करते हुए यहां तक पहुंचे और सफलता मिली।
दिल्ली आईआईटी से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करूंगा : हेमांक
मोहाली के फेस- 10 निवासी हेमांक बजाज ने परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन किया। उन्होंने 396 में से 288 अंक पाए हैं। उन्होंने कहा कि टॉप- 100 में आने से वह काफी खुश हैं। वह दिल्ली आईआईटी से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करेंगे।
व्यवसायी राजेश कुमार के बेटे हेमांक का कहना है कि जेईई मेन्स में 38 रैंक मिली थी और मेरा फोकस एडवांस्ड पर था। तैयारी पूरी की और सफलता हासिल हो गई। पांच से छह घंटे रोज पढ़ाई की थी। उन्होंने बताया कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई 10वीं के बाद शुरू कर देनी चाहिए। दो साल में पढ़ाई पूरी हो जाएगी।
विद्यार्थी जब तैयारी करें तो कम सोचें और अधिक पढ़ें। इससे सफलता मिल जाएगी। मां बबीता गृहणी हैं। वह बेटे की सफलता पर खुश हैं। कहती हैं कि बेटे से जो उम्मीद थी वह पूरी की। उन्होंने बताया कि भवन विद्यालय पंचकूला से हेमांक ने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की है। निरंतर पढ़ाई करने की वजह से उसे इसका फल मिला।
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जेईई एडवांस्ड का परिणाम सोमवार दोपहर जारी कर दिया गया। परीक्षा में ऑल इंडिया 10वीं रैंक हासिल कर पंचकूला के ध्वनित बेनीवाल ट्राइसिटी के टॉपर बने जबकि लुधियाना के गुरप्रीत सिंह वाधवा 23वीं रैंक पाकर दूसरे नंबर पर रहे। उन्होंने पंचकूला से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की है। वहीं, तीसरे स्थान पर मोहाली के हेमांक बजाज रहे। उन्होंने ऑल इंडिया 71वीं रैंक हासिल की है। यह तीनों टॉपर श्री चैतन्य इंस्टीट्यूट से शिक्षा ग्रहण कर रहे थे।
वहीं, चौथे स्थान पर रहे अमृतसर के कार्तिक शर्मा ने 87वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने भी पंचकूला से इंटर तक की पढ़ाई की है। इसी तरह पांचवें स्थान पर रहे पंचकूला के तनिष्क टुटेजा को ऑल इंडिया 96वीं रैंक मिली है। इन दोनों विद्यार्थियों ने एलन इंस्टीट्यूट से कोचिंग की है। खास बात यह है कि सभी पांचों टॉपर्स ने भवन विद्यालय से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की है।
पंचकूला के सेक्टर-6 निवासी ध्वनित बेनीवाल को जेईई मेन्स में 175वीं और गुरप्रीत सिंह वाधवा को 126वीं रैंक हासिल हुई थी। हेमांक मोहाली के फेज-10 के निवासी हैं। उन्हें जेईई मेन्स में 38वीं रैंक मिली थी। कार्तिक शर्मा भी भवन विद्यालय पंचकूला के छात्र हैं। उन्हें जेईई मेन्स में 42वीं रैंक मिली थी। पांचवें स्थान पर रहे तनिष्क टुटेजा पंचकूला के निवासी हैं। सभी ने सफलता का राज यही बताया कि कड़ी मेहनत जरूरी है। साथ ही कक्षा 10 के बाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू कर देनी चाहिए।