पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (पुटा) के चुनावी परिणाम में नॉन टीचिंग से आने वाले डॉ. मृत्युंजय कुमार ने भले ही जीतकर इतिहास बनाया हो, लेकिन पुटा चुनाव एक ही दिन होता तो फिर नजारा कुछ अलग होता। पहले दिन खालिद-सिद्धू ग्रुप ने मृत्युंजय-नौरा ग्रुप के पसीने छुड़ा दिए थे, लेकिन उसकी भरपाई के लिए इस ग्रुप को पूरी रात मिल गई।
सिंडिकेट से लेकर सीनेट के सदस्यों ने पूरी ताकत लगा डाली और अपने साथियों के लिए मेहनत की और आज परिणाम सामने हैं। जानकारों का कहना है कि चुनावी कार्यक्रम इसी तरह से तैयार हुआ जैसे किसी चुनावी खिलाड़ी ने तय किया हो। हालांकि तर्क ये दिया गया कि बड़ी संख्या में कोरोना के कारण शिक्षकों को एक दिन नहीं बुलाया जा सकता और कार्यक्रम दो दिन का तय हुआ।
मास्क हटाकर जश्न मनाया
जैसे ही चुनाव परिणाम सामने आए तो मृत्युंजय ग्रुप के मास्क चेहरों से हट गए थे। पुटा चुनाव जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। उसके बाद बाहर आए तो अधिकांश लोगों के चेहरों पर मास्क नहीं थे। फोटो भी उसी मुद्रा में खिंचवाई। सभी ने एक-दूसरे को बधाई दी। कुछ महिलाएं दूसरी महिलाओं के गले भी मिली। चुनाव अधिकारी प्रो. विजय नागपाल का सभी ने आभार जताया। कहा कि उन्होंने बेहतर चुनाव करवाए।
आंकड़ों पर गौर करें तो पुटा के वोटरों की संख्या 626 थी। पहले दिन 505 मतदाताओं को वोट देने का मौका मिला था। सर्वाधिक संख्या में विज्ञान वर्ग व कला वर्ग के शिक्षक आए। मैनेजमेंट कोर्सेज से भी शिक्षकों ने चुनाव में रुचि दिखाई। पहले दिन का माहौल बता रहा था कि खालिद-सिद्धू ग्रुप ने कुछ न कुछ बढ़त बनाई है।
इस माहौल को समझने में मृत्युंजय ग्रुप ने देर नहीं की और फिर नया प्लान तैयार हुआ कि जो शिक्षक पहले दिन वोट नहीं दे पाए उन्हें भी मौका दिया जाए। इस फैसले का खालिद-सिद्धू ग्रुप ने विरोध किया। चुनाव अधिकारी भी समझ गए थे कि यदि बचे 109 शिक्षकों को वोट देने की अनुमति दी गई तो माहौल बिगड़ सकता है। ऐसे में मृत्युंजय ग्रुप ने रातोंरात नया प्लान बनाया और सर्वाधिक वोटर वाले इंजीनियरिंग विभाग को अपने हित में करने में जुट गए।
दो प्रोफेसरों ने बदल डाले समीकरण
इंजीनियरिंग विभाग से प्रो. जेके गोस्वामी आते हैं। उनकी छवि विभाग में अच्छी है। साथ ही इस विभाग पर चुनावी चाणक्य प्रो. केशव मल्होत्रा की भी अच्छी पकड़ है। सूत्रों का कहना है कि इनकी मेहनत के जरिये रात में ही माहौल बदल गया। शुक्रवार को जब मत पड़े तो इंजीनियरिंग विभाग के 90 फीसदी शिक्षकों ने अपने वोटों का प्रयोग किया। इसी के साथ मृत्युंजय-नौरा ग्रुप के चेहरे पर कुछ लाली आ गई, लेकिन अध्यक्ष व सचिव पद को लेकर संशय आखिर तक बरकरार था।
क्योंकि 12 साल से पुटा की कार्यकारी में शामिल प्रो. मोहम्मद खालिद वरिष्ठ लोगों में से एक थे और उनकी छवि भी बेहतर थी। साथ ही सचिव पद के उम्मीदवार प्रो. एमसी सिद्धू ने भी अपने कार्य के जरिए पीयू में छाप छोड़ी थी। खैर, यह संशय चुनाव की घोषणा तक बरकरार रहा। सूत्रों का कहना है कि यह पुटा चुनाव प्रतिष्ठा से जुड़ा था। गोयल ग्रुप से ही यह सदस्य आते हैं। इसलिए ताकत सभी ने लगाई थी।
पीयू के भाजपा ग्रुप ने पुटा चुनाव नाम वापसी के दिन अंदरखाने घोषणा की थी कि वह खालिद ग्रुप का साथ देंगे। सूत्रों का कहना है कि घोषणा करने वालों के तो वोट इस ग्रुप को मिले, लेकिन बाकी 50 फीसदी सदस्यों ने वोट मृत्युंजय ग्रुप को दिए।
सूत्रों का यह भी कहना है कि सीनेट चुनाव के लिए जिन सदस्यों को मौका नहीं मिला था, वह नाराज थे। साथ कुछ भाजपा के सदस्य पुटा का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें जबरदस्ती बैठाया गया। इसके कारण भाजपा के वोटों का बंटवारा हो गया। यदि भाजपा के वोट घोषणा वाले ग्रुप को मिलते तो खालिद ग्रुप फिर जीत के करीब पहुंच सकते थे।
कुल वोटों में से 50 से अधिक वोट अलग-अलग पदों के लिए अमान्य हो गए थे, क्योंकि वोट देने में नियमों का पालन नहीं किया था। जानकारों का कहना है कि अगर सीनेट के चुनाव हुए और भाजपा के वोटरों ने ऐसे ही किया तो फिर सीनेट चुनाव भी उनके लिए आसान नहीं होगा।
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पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (पुटा) के चुनावी परिणाम में नॉन टीचिंग से आने वाले डॉ. मृत्युंजय कुमार ने भले ही जीतकर इतिहास बनाया हो, लेकिन पुटा चुनाव एक ही दिन होता तो फिर नजारा कुछ अलग होता। पहले दिन खालिद-सिद्धू ग्रुप ने मृत्युंजय-नौरा ग्रुप के पसीने छुड़ा दिए थे, लेकिन उसकी भरपाई के लिए इस ग्रुप को पूरी रात मिल गई।
सिंडिकेट से लेकर सीनेट के सदस्यों ने पूरी ताकत लगा डाली और अपने साथियों के लिए मेहनत की और आज परिणाम सामने हैं। जानकारों का कहना है कि चुनावी कार्यक्रम इसी तरह से तैयार हुआ जैसे किसी चुनावी खिलाड़ी ने तय किया हो। हालांकि तर्क ये दिया गया कि बड़ी संख्या में कोरोना के कारण शिक्षकों को एक दिन नहीं बुलाया जा सकता और कार्यक्रम दो दिन का तय हुआ।
मास्क हटाकर जश्न मनाया
जैसे ही चुनाव परिणाम सामने आए तो मृत्युंजय ग्रुप के मास्क चेहरों से हट गए थे। पुटा चुनाव जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। उसके बाद बाहर आए तो अधिकांश लोगों के चेहरों पर मास्क नहीं थे। फोटो भी उसी मुद्रा में खिंचवाई। सभी ने एक-दूसरे को बधाई दी। कुछ महिलाएं दूसरी महिलाओं के गले भी मिली। चुनाव अधिकारी प्रो. विजय नागपाल का सभी ने आभार जताया। कहा कि उन्होंने बेहतर चुनाव करवाए।