पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि यदि कर्मचारी नियोक्ता का विश्वास खो देता है तो उसकी सेवा जारी रखने के लिए नियोक्ता को बाध्य नहीं किया जा सकता।
हिसार निवासी अभिषेक गोयल ने हाईकोर्ट को बताया कि उसने कांस्टेबल पद के लिए आवेदन किया था। नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसका चयन हो गया तथा बटालियन निर्धारित करने के लिए वेरिफिकेशन हेतू पत्र हिसार के एसपी को भेजा गया।
एसपी ने पाया कि 2018 की एफआईआर में याचिकाकर्ता गिरफ्तार हो चुका है। एफआईआर जिन धाराओं में दर्ज है उनमें तीन साल की सजा का प्रावधान है। इस आधार पर उसे नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया। साथ ही यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने इस आपराधिक मामले में गिरफ्तारी की जानकारी छुपाई।
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने गिरफ्तारी की जानकारी छुपाई है और ऐसे में नियोक्ता का विश्वास खो दिया है। वेरिफिकेशन फॉर्म में विशेष रूप से पूछा गया था कि क्या कभी गिरफ्तारी हुई है तो उसमें याची ने नहीं का विकल्प भरा था।
जब नियुक्ति के प्रारंभिक दौर में ही कर्मचारी ने नियोक्ता का भरोसा खो दिया तो ऐसे कर्मचारी पर भविष्य में भी विश्वास नहीं किया जा सकता। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए याची को किसी भी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया।
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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि यदि कर्मचारी नियोक्ता का विश्वास खो देता है तो उसकी सेवा जारी रखने के लिए नियोक्ता को बाध्य नहीं किया जा सकता।
हिसार निवासी अभिषेक गोयल ने हाईकोर्ट को बताया कि उसने कांस्टेबल पद के लिए आवेदन किया था। नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसका चयन हो गया तथा बटालियन निर्धारित करने के लिए वेरिफिकेशन हेतू पत्र हिसार के एसपी को भेजा गया।
एसपी ने पाया कि 2018 की एफआईआर में याचिकाकर्ता गिरफ्तार हो चुका है। एफआईआर जिन धाराओं में दर्ज है उनमें तीन साल की सजा का प्रावधान है। इस आधार पर उसे नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया। साथ ही यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने इस आपराधिक मामले में गिरफ्तारी की जानकारी छुपाई।
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने गिरफ्तारी की जानकारी छुपाई है और ऐसे में नियोक्ता का विश्वास खो दिया है। वेरिफिकेशन फॉर्म में विशेष रूप से पूछा गया था कि क्या कभी गिरफ्तारी हुई है तो उसमें याची ने नहीं का विकल्प भरा था।
जब नियुक्ति के प्रारंभिक दौर में ही कर्मचारी ने नियोक्ता का भरोसा खो दिया तो ऐसे कर्मचारी पर भविष्य में भी विश्वास नहीं किया जा सकता। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए याची को किसी भी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया।