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Chandigarh: मुफ्त दी जाने वाली दवाओं की खरीद में फर्जीवाड़ा, हॉस्पिटल सप्लाई का स्टिकर लगाकर आपूर्ति
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: पंचकुला ब्यूरो
Updated Sun, 04 Dec 2022 09:00 AM IST
सार
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चंद महीने पहले ही स्वास्थ्य सचिव ने सरकारी अस्पतालों में 172 नई दवाओं की आपूर्ति का आदेश दिया था। इसके बाद उन दवाओं को अमृत फार्मेसी से सरकारी दर पर खरीदा जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग इस के लिए अमृत फार्मेसी को भुगतान भी कर चुका है।
चंडीगढ़ के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त में दी जाने वाली दवाओं की खरीद में फर्जीवाड़ा सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग ने फिजीशियन को सैंपल के तौर पर दी जाने वाली दवाओं पर हॉस्पिटल सप्लाई का स्टिकर लगाकर आपूर्ति की है। इससे पता चलता है कि स्थानीय खरीद (लोकल परचेज) के नाम पर दवाओं की खरीद में फर्जीवाड़ा हुआ है।
हैरानी की बात यह है कि इस बारे में विभाग के जिम्मेदार अधिकारी का कहना है कि यह उनकी खुद की दवाइयां हैं। इसे किसी कंपनी से नहीं खरीदा गया है। वहीं दवाओं की आपूर्ति के लिए बनाई गई सीनियर मेडिकल ऑफिसर की जांच कमेटी व दवा के स्टोर के प्रभारी पर भी सवाल उठ रहे हैं।
चंद महीने पहले ही स्वास्थ्य सचिव ने सरकारी अस्पतालों में 172 नई दवाओं की आपूर्ति का आदेश दिया था। इसके बाद उन दवाओं को अमृत फार्मेसी से सरकारी दर पर खरीदा जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग इस के लिए अमृत फार्मेसी को भुगतान भी कर चुका है। कई सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों पर इस आपूर्ति की दवाओं का स्टॉक खत्म भी होने वाला है लेकिन अब तक किसी अधिकारी या कर्मचारी की नजर इस गड़बड़ी पर नहीं गई है। सूत्रों के अनुसार, 172 दवाओं की संख्या बढ़ाकर 500 किए जाने की तैयारी चल रही थी लेकिन फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद संशय की स्थिति बन गई है।
कुछ महीने पहले शुरू हुई है आपूर्ति
सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी को ध्यान में रखते हुए कुछ महीने पहले ही 100 से ज्यादा नई दवाओं की आपूर्ति शुरू की गई है। इसमें ईयर ड्रॉप, नोजल ड्रॉप, खांसी का सिरप, शुगर की दवा और ऐसी ही कुछ महत्वपूर्ण दवाइयां शामिल हैं। सरकारी आपूर्ति में इन दवाओं के शामिल न होने से जरूरतमंद मरीजों को इसे महंगी दर पर बाहर दवा की दुकानों से खरीदना पड़ रहा था। इसे देखते हुए स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग ने इन दवाओं की अस्पतालों में आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था लेकिन इस गड़बड़ी के सामने आने के बाद से इस पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया है।
खरीद में गड़बड़झाला, जिम्मेदार कौन-कौन
दवाओं की खरीद में निरीक्षण के लिए अलग-अलग स्तर पर कर्मचारियों और अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। सबसे अहम जिम्मेदारी सात सीनियर मेडिकल ऑफिसर की है जिन्हें आपूर्ति की गई दवाओं का शारीरिक निरीक्षण करना होता है। उसके बाद स्टोर प्रभारी पर दवाओं की आपूर्ति संबंधी बिंदुओं पर जांच की जिम्मेदारी होती है। अब इस गड़बड़ी के सामने आने के बाद जीएमएसएच-16 के सात डॉक्टरों की कमेटी और स्टोर प्रभारी की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ गई है।
ये दवाएं हैं शामिल
दवा का नाम : वैक्सोहिट ईयर ड्रॉप
कंपनी : निर्माता एमएमजी हेल्थकेयर
विपणन : कोरीज विजन ने किया
बैच नंबर : 22एनएच12जे
निर्माण तिथि : 8/22
समाप्ति तिथि : 7/24
दवा का नाम : नोजी एनएस
कंपनी : होज
बैच नंबर : 22एनएच16 डी
निर्माण तिथि : 8/22
समाप्ति तिथि : 7/24
ये हमारी सप्लाई की दवा है। इसकी खरीद किसी अन्य फर्म से नहीं की गई है। जहां तक गड़बड़ी की बात है तो मैं इसकी खुद जांच करूंगी। - डॉ. सुमन सिंह, स्वास्थ्य निदेशक, चंडीगढ़
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