निवर्तमान केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री और बठिंडा लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार सांसद चुनी गईं अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल की राज्य में कांग्रेस सरकार के असहयोग को लेकर शिकायत बरकरार है। उन्हें मलाल है कि अगर राज्य सरकार सहयोग करती तो बठिंडा और प्रदेश के लिए केंद्र से लाई गई परियोजनाओं का पूरा लाभ जनता को मिलता। फिर भी, अपने हलके के लिए वे तीसरी बार उत्साह के साथ तैयार हैं। इस बार उन्होंने बठिंडा हलके में रोजगार के अवसरों का सृजन अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताई। रविवार को हर्ष कुमार सलारिया से टेलीफोन पर उनसे विशेष बात हुई, जिसके प्रमुख अंश...
सवाल- आप तीसरी बार सांसद बनी हैं। बठिंडा हलके से संबंधित ऐसे कौन-कौन से काम हैं, जिनके बारे में आपको लगता है कि इन्हें पूरा किया जाना बाकी है? इस बार आपकी प्राथमिकता क्या रहेगी?
जवाब- मेरी प्राथमिकता सबसे पहले तो एम्स ही रहेगी, जो मैं यहां लेकर आई हूं। मैं चाहूंगी कि एम्स का पूरा लाभ लोगों को मिले। इससे जुड़े छोटे उद्योग-धंधों को भी मौका मिले। एम्स में डेढ़ महीने में ओपीडी शुरू होनी है। कोशिश रहेगी कि इस दौरान इसमें भर्तियां हों और सप्लाई किए जाने वाले सामान का निर्माण स्थानीय स्तर पर शुरू हो सके, ताकि लोगों को रोजगार के अवसर मिलें। मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता अपने हलके में रोजगार के नए अवसर सृजित करना है, ताकि युवाओं को अधिक से अधिक लाभ मिल सके। वैसे फूड प्रोसेसिंग हमारा बहुत बढ़िया उपक्रम था, इससे बहुत लाभ मिल सकता था, लेकिन दुर्भाग्यवश इसमें सरकार का सहयोग नहीं मिला। फूड पार्क भी बनकर तैयार है लेकिन उसका उद्घाटन तक नहीं हो सका।
सवाल- आप पिछले टर्म में केंद्रीय मंत्री रहीं, इस बार भी माना जा रहा है कि केंद्र सरकार फिर से आपको जिम्मेदारी सौंपेगी। केंद्रीय मंत्री के रूप में पंजाब राज्य के लिए आपकी क्या प्राथमिकताएं रहेंगी?
जवाब- सभी जानते हैं कि मैंने अपनी ओर से चुनाव लड़ने की इच्छा कभी नहीं जताई। सबसे जरूरी है कि केंद्र में अपने राज्य की बात रखी जा सके। बाकी मंत्री पद को लेकर मेरा अपना कोई नजरिया नहीं है। मोदी जी अपनी टीम चुनेंगे, सारे फैसले उन्हें ही लेने हैं। पार्टी सिर्फ अपना पक्ष ही रखेगी। वैसे हमारी स्ट्रेंथ काफी कम है? इसलिए सबसे जरूरी है कि केंद्र के समक्ष हम पंजाब की बात रख सकें।
सवाल- पंजाब में इस बार लोकसभा चुनाव में अकाली दल का प्रदर्शन पिछले चुनाव के मुकाबले कमजोर रहा है। इसका क्या कारण रहा?
जवाब- मुझे नहीं लगता कि कमजोर रहा है। शायद ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि हमें दो सीटें मिली हैं। लेकिन आप गौर करें तो हमारा वोट प्रतिशत बढ़ा है, जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत जोकि 38.5 फीसदी था, केवल 40 फीसदी तक पहुंचा है। अकाली दल का वोट प्रतिशत सात फीसदी बढ़ा है। अगर वोटों की बात करें तो हमें 2014 में 47 लाख वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 59 लाख वोट मिले थे। 2019 में हमें 50 लाख वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस को 54 लाख वोट मिले हैं। यानी अकाली दल के वोट बढ़े हैं और कांग्रेस के घटे हैं। आप को जहां 36 लाख वोट मिले थे, अब 10 लाख वोट मिले हैं।
सवाल- मुख्यमंत्री का दावा है कि उनकी सरकार ने सूबे में दो साल में जो काम किए, जनता ने उन पर अपनी मुहर लगाई है? दूसरा, बेअदबी का मुद्दा भी हावी रहा है?
जवाब- पहले तो मुख्यमंत्री साहब से पूछा जाए कि उन्होंने दो साल में काम कौन सा किया है। वे खुद कह रहे हैं कि लोकल बाडी मिनिस्टर काम नहीं कर रहे। हां, नशे की बिक्री बढ़ गई है। बिजली के बिल बढ़ गए हैं। 60 महीनों में 60 इंडस्ट्री लगानी थी, आटा-दाल के साथ घी और चीनी देनी थी, घर-घर रोजगार देना था, हर तरह का लोन माफ करना था, पेंशन दो हजार करनी थी, शगुन 51 हजार रुपये करना था, सब कुछ तो बंद है। वे बताएं तो सही कि पंजाब की तरक्की के लिए उन्होंने किया क्या है? हर चुनाव में वे बेअदबी का मुद्दा उठाते हैं, जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है। जितनी भी पार्टियां बेअदबी के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही थीं, उनका तो पूरी तरह सफाया हो गया। जिस परिवार पर बेअदबी का मामला थोप रहे थे, उस परिवार के बारे में तो आपने नतीजों में देख लिया है। मैं तीसरे टर्म में दूसरी टर्म के मार्जिन से भी ज्यादा वोटों से जीती हूं, जबकि उनकी पत्नी पिछले चुनाव में हार गई थीं। हम जनता की अदालत में जीते हैं। कैप्टन खुद आठ सीटों में सिकुड़ कर रह गए हैं और वे जिस तरह जोर-जबर से जीते हैं, सब जानते हैं। इनकी जीरो परफार्मेंस रही है, कैप्टन कोई उपलब्धि तो गिनाएं? चुनाव आचार संहिता के दौरान चार हफ्ते में ढाई सौ करोड़ का नशा पकड़ा गया, ढाई साल में इन्होंने कितना नशा बेच दिया होगा। यूं नहीं, सूबे के 600 लड़के ओवरडोज से मारे गए हैं।
सवाल- मनप्रीत बादल का बयान था कि राजा वड़िंग हारे तो यह उनकी मौत के समान होगा? ऐसा ही एक बयान मनप्रीत के साले ने भी दिया था?
जवाब- मैंने तो पहले भी कहा था कि मनप्रीत तैयारी कर लें। भले ही मनप्रीत कहें या सिद्धू यह कहें कि राहुल अमेठी से हारे तो वे संन्यास ले लेंगे या फिर कैप्टन मिशन 13 की बात करें। दरअसल इनकी सब बातें ही हैं। इनका चुनाव मैनिफेस्टो देख लें, मनप्रीत बादल ने लंबी-लंबी फेंकीं, कैप्टन के बयान देख लें, यह किस बात पर आजतक खरे उतरे हैं? जो कैंडिडेट भी भेजा था, उसने बठिंडा क्या जीतना था, गीद्दड़बाहा तो संभाल नहीं पाया। इतना ही कहा जा सकता है कि कांग्रेस में भले ही किसी ने क्या कहा हो, लेकिन इनमें से न तो कोई अपनी कुर्सी से हटेगा और न ही इनका कुछ होने वाला है।
सवाल-पूरे देश में जैसी मोदी लहर दिखाई दी, वैसा असर पंजाब में दिखाई नहीं दिया?
जवाब- यह मोदी लहर का ही असर है कि अकाली दल पिछले चुनाव से ज्यादा वोट हासिल करने में सफल रहा है। मुझे शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों से भी बढ़त मिली है। लेकिन खास बात यह भी है कि जितनी भी केंद्रीय योजनाएं हैं, जैसे 20 करोड़ परिवारों में किसी को मकान मिला, किसी के यहां शौचालय बना, किसी को गैस सिलेंडर मिला, किसी को 5 लाख का आयुष्मान कार्ड मिला है। लेकिन पंजाब ने इन योजनाओं को अपने यहां लागू नहीं होने दिया। लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचने ही नहीं दिया गया। हजारों लोगों के लिए मकानों के चेक अब तक नहीं बंटे, किसी को शौचालयों का पैसा नहीं मिला। हमने अपने समय में जितने गैस सिलेंडर बांट दिए, उसके बाद किसी को गैस सिलेंडर नहीं मिला। 5 लाख वाले आयुष्मान कार्ड की बात तो दूर बच्चों के वजीफे के पैसे तक नहीं दिए गए।
निवर्तमान केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री और बठिंडा लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार सांसद चुनी गईं अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल की राज्य में कांग्रेस सरकार के असहयोग को लेकर शिकायत बरकरार है। उन्हें मलाल है कि अगर राज्य सरकार सहयोग करती तो बठिंडा और प्रदेश के लिए केंद्र से लाई गई परियोजनाओं का पूरा लाभ जनता को मिलता। फिर भी, अपने हलके के लिए वे तीसरी बार उत्साह के साथ तैयार हैं। इस बार उन्होंने बठिंडा हलके में रोजगार के अवसरों का सृजन अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताई। रविवार को हर्ष कुमार सलारिया से टेलीफोन पर उनसे विशेष बात हुई, जिसके प्रमुख अंश...
सवाल- आप तीसरी बार सांसद बनी हैं। बठिंडा हलके से संबंधित ऐसे कौन-कौन से काम हैं, जिनके बारे में आपको लगता है कि इन्हें पूरा किया जाना बाकी है? इस बार आपकी प्राथमिकता क्या रहेगी?
जवाब- मेरी प्राथमिकता सबसे पहले तो एम्स ही रहेगी, जो मैं यहां लेकर आई हूं। मैं चाहूंगी कि एम्स का पूरा लाभ लोगों को मिले। इससे जुड़े छोटे उद्योग-धंधों को भी मौका मिले। एम्स में डेढ़ महीने में ओपीडी शुरू होनी है। कोशिश रहेगी कि इस दौरान इसमें भर्तियां हों और सप्लाई किए जाने वाले सामान का निर्माण स्थानीय स्तर पर शुरू हो सके, ताकि लोगों को रोजगार के अवसर मिलें। मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता अपने हलके में रोजगार के नए अवसर सृजित करना है, ताकि युवाओं को अधिक से अधिक लाभ मिल सके। वैसे फूड प्रोसेसिंग हमारा बहुत बढ़िया उपक्रम था, इससे बहुत लाभ मिल सकता था, लेकिन दुर्भाग्यवश इसमें सरकार का सहयोग नहीं मिला। फूड पार्क भी बनकर तैयार है लेकिन उसका उद्घाटन तक नहीं हो सका।