पंजाब यूनिवर्सिटी द्वारा पांच वर्षीय विधि पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा न करवाने के निर्णय को अब तीसरी बार हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई है। शक्रवार को मामले में पीयू द्वारा जवाब देने के लिए समय मांगने पर हाईकोर्ट ने हर हाल में एक सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश देते हुए सुनवाई 21 अक्तूबर तक स्थगित कर दी है।
इस मामले को लेकर चिराग मल्ली ने एडवोकेट अभिनव गुप्ता के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया है कि पंजाब विश्वविद्यालय ने पांच वर्षीय कानून पाठ्यक्रम की प्रवेश परीक्षा न करवाने का निर्णय लिया था। इसको उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी। तब हाईकोर्ट ने पीयू से पूछा था कि जब देश भर में कई परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं तो इस पाठ्यक्रम के लिए क्यों नहीं?
हाईकोर्ट ने पीयू को इस निर्णय पर दोबारा गौर कर नए सिरे से निर्णय लेने के आदेश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पीयू ने फिर परीक्षा आयोजित न करने का और बारहवीं के अंकों के आधार पर दाखिले लेने का निर्णय किया था। याचिकाकर्ता ने इस निर्णय को फिर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दे दी थी।
29 सितंबर को चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने फिर याचिका का निपटारा करते हुए एक बार फिर इस निर्णय पर पुनर्विचार करने के आदेश दे दिए थे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी पीयू अपने निर्णय पर कायम रहा। अब फिर याचिकाककर्ता ने इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी है।