न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Sat, 07 May 2022 10:10 PM IST
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली कूच करने वाले जिन किसानों को हरियाणा सरकार ने हिरासत में लिया था, उन्हें मुआवजा देने की मांग पर हरियाणा सरकार ने कहा कि शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए किसानों को हिरासत में लिया गया था। चार-पांच दिन में सभी किसानों को छोड़ दिया गया था। सरकार की इस दलील के बाद हिरासत में लिए गए किसानों को मुआवजे की मांग हाईकोर्ट ने खारिज कर दी।
याचिकाकर्ता संस्था हरियाणा प्रोग्रेसिव फार्मर यूनियन के एडवोकेट प्रदीप रापड़िया ने याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया था कि किसान यूनियन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि 26-27 नवंबर 2020 को दिल्ली में प्रस्तावित प्रदर्शन के लिए किसानों को कूच करना था। इसे रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने निर्धारित तिथि से एक रात पहले ही किसान नेताओं की धर-पकड़ शुरू कर दी थी। आपराधिक घटना में संलिप्त न होने के बावजूद किसानों के घरों पर छापे मारे गए और 100 से अधिक नेताओं की बिना कारण गिरफ्तारियां की गईं। इसके बाद किसानों को 50 हजार की श्योरिटी पर छोड़ा जा रहा है, जो काफी ज्यादा था। इसके बाद अब आंदोलन समाप्त हो चुका है, लेकिन जिन नेताओं को बिना किसी कारण गिरफ्तार किया गया है, उन्हें मुआवजा तक नहीं दिया गया।
हरियाणा सरकार ने कहा कि प्रदेश में शांति व्यवस्था बनी रहे, इसलिए गिरफ्तारियां की गई। किसानों को चार-पांच दिन में ही छोड़ दिया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य का काम कानून व्यवस्था बनाए रखना है, ऐसे में यह गिरफ्तारियां हुईं। हाईकोर्ट ने मुआवजे की मांग को सिरे से खारिज कर दिया।
विस्तार
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली कूच करने वाले जिन किसानों को हरियाणा सरकार ने हिरासत में लिया था, उन्हें मुआवजा देने की मांग पर हरियाणा सरकार ने कहा कि शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए किसानों को हिरासत में लिया गया था। चार-पांच दिन में सभी किसानों को छोड़ दिया गया था। सरकार की इस दलील के बाद हिरासत में लिए गए किसानों को मुआवजे की मांग हाईकोर्ट ने खारिज कर दी।
याचिकाकर्ता संस्था हरियाणा प्रोग्रेसिव फार्मर यूनियन के एडवोकेट प्रदीप रापड़िया ने याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया था कि किसान यूनियन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि 26-27 नवंबर 2020 को दिल्ली में प्रस्तावित प्रदर्शन के लिए किसानों को कूच करना था। इसे रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने निर्धारित तिथि से एक रात पहले ही किसान नेताओं की धर-पकड़ शुरू कर दी थी। आपराधिक घटना में संलिप्त न होने के बावजूद किसानों के घरों पर छापे मारे गए और 100 से अधिक नेताओं की बिना कारण गिरफ्तारियां की गईं। इसके बाद किसानों को 50 हजार की श्योरिटी पर छोड़ा जा रहा है, जो काफी ज्यादा था। इसके बाद अब आंदोलन समाप्त हो चुका है, लेकिन जिन नेताओं को बिना किसी कारण गिरफ्तार किया गया है, उन्हें मुआवजा तक नहीं दिया गया।
हरियाणा सरकार ने कहा कि प्रदेश में शांति व्यवस्था बनी रहे, इसलिए गिरफ्तारियां की गई। किसानों को चार-पांच दिन में ही छोड़ दिया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य का काम कानून व्यवस्था बनाए रखना है, ऐसे में यह गिरफ्तारियां हुईं। हाईकोर्ट ने मुआवजे की मांग को सिरे से खारिज कर दिया।