पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि यदि विज्ञापन के माध्यम से कर्मचारी को अनुबंध पर नियुक्त किया गया है, तभी कर्मचारी सेवा नियमित करने का दावा कर सकता है। हाईकोर्ट ने यह फैसला बिना विज्ञापन के नियुक्त ड्राइवर की सेवा नियमित करने से जुड़ी याचिका पर सुनाया है। इसके साथ ही ड्राइवर की ओर से सेवा नियमित करने से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया।
याचिका दाखिल करते हुए मोगा निवासी अवतार सिंह ने बताया कि उसे 1999 में पंजाब सरकार की ओर से अनुबंध के आधार पर ड्राइवर के तौर पर नियुक्ति दी गई थी। उसे तीन माह के लिए नियुक्त किया गया था और समय-समय पर उसे सेवा विस्तार दिया गया। इसके बाद 2003 में उसे नौकरी से निकाल दिया गया और सुनवाई का मौका तक नहीं दिया गया।
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद 2003 में दाखिल की गई याचिका का 19 साल बाद निपटारा करते हुए इसे खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति किसी विज्ञापन के जरिये व नियमों के तहत नहीं हुई थी। अनुबंध कर्मी केवल तभी सेवा नियमित होने का दावा कर सकता है, जब उसकी नियुक्ति विज्ञापन के जरिये और नियमों के तहत की गई हो। ऐसे में याची को किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी जा सकती।
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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि यदि विज्ञापन के माध्यम से कर्मचारी को अनुबंध पर नियुक्त किया गया है, तभी कर्मचारी सेवा नियमित करने का दावा कर सकता है। हाईकोर्ट ने यह फैसला बिना विज्ञापन के नियुक्त ड्राइवर की सेवा नियमित करने से जुड़ी याचिका पर सुनाया है। इसके साथ ही ड्राइवर की ओर से सेवा नियमित करने से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया।
याचिका दाखिल करते हुए मोगा निवासी अवतार सिंह ने बताया कि उसे 1999 में पंजाब सरकार की ओर से अनुबंध के आधार पर ड्राइवर के तौर पर नियुक्ति दी गई थी। उसे तीन माह के लिए नियुक्त किया गया था और समय-समय पर उसे सेवा विस्तार दिया गया। इसके बाद 2003 में उसे नौकरी से निकाल दिया गया और सुनवाई का मौका तक नहीं दिया गया।
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद 2003 में दाखिल की गई याचिका का 19 साल बाद निपटारा करते हुए इसे खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति किसी विज्ञापन के जरिये व नियमों के तहत नहीं हुई थी। अनुबंध कर्मी केवल तभी सेवा नियमित होने का दावा कर सकता है, जब उसकी नियुक्ति विज्ञापन के जरिये और नियमों के तहत की गई हो। ऐसे में याची को किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी जा सकती।