पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (पुटा) के चुनाव के लिए दोनों ही ग्रुपों ने अपने-अपने घोषणापत्र सार्वजनिक कर घोषणाओं की बारिश कर दी है। दोनों ग्रुपों के घोषणा पत्र पर पुराने मुद्दों की ही छाप है और लगभग एक जैसे ही मुद्दे हैं। प्रमुख मुद्दा शिक्षकों को सातवें वेतनमान का लाभ दिलाना है।
इसके अलावा गवर्नेंस रिफॉर्म, बुजुर्ग शिक्षकों का ख्याल रखने और युवा शिक्षकों को प्रमोशन का लाभ दिलाना आदि मुद्दे शामिल हैं। घोषणाएं करने में दोनों पीछे नहीं हैं, लेकिन देखना ये है कि इन पर जीत के बाद कितना अमल होता है। पिछले वर्षों में भी कई घोषणाएं की गई थीं, लेकिन कुछ पर काम हुआ।
अब कैसे शिक्षकों की याद आई : खालिद ग्रुप
डॉ. मृत्युंजय ने कहा कि पिछले वर्षों में उन्होंनेे पीएचडी इंक्रीमेंट से लेकर वेतन बढ़ोत्तरी आदि का लाभ दिलाया। चाइल्ड केयर लीव से लेकर बड़े पदों पर वरिष्ठता का पालन करवाया गया। कैशलेस मेडिकल स्कीम पर काम किया। शिक्षकों के बजट के लिए धन आवंटित करवाया गया। उन्होंने कहा कि कोई भी शिक्षक उन्हें अपना फीडबैक दे सकते हैं और कोविड की गाइड लाइन के मुताबिक मिल सकते हैं।
वहीं खालिद ग्रुप ने कहा है कि शिक्षकों के मुद्दों पर बात करने के लिए मृत्युंजय समय नहीं निकाल सके और अब मिलने की बात कह रहे हैं। वेब संवाद में आकर शिक्षकों के मुद्दों पर बात करनी चाहिए थी। अब शिक्षकों के वोट चाहिए तो वह मिलने को तैयार हैं, लेकिन शिक्षक सब जानते हैं।
- शिक्षकों को सम्मान दिलाने का कार्य किया जाएगा। साथ ही लोकतंत्र की रक्षा करेंगे।
- सातवें वेतमान का लाभ दिलाने के लिए पूरे प्रयास होंगे।
- पीयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने के लिए काम किया जाएगा।
- गवर्नेंस रिफॉर्म समय की जरूरत है। इस पर भी काम करेंगे।
- नियमित सेवा के 25 साल पूरे होने पर पेंशन की व्यवस्था करवाएंगे।
- 60 वर्ष से अधिक आयु वाले शिक्षकों की भविष्य निधि के ब्याज का मुद्दा हल किया जाएगा।
- शिक्षकों को सेवानिवृत्ति के बाद बकाया राशि समय पर जारी करवाएंगे।
- आवासों का आवंटन बिना किसी टर्न अलाटमेंट के नियमित आधार पर जारी रहेगा। साथ ही आवासों की मरम्मत करवाएंगे।
- ऑनलाइन शिक्षा के लिए हाईस्पीड वाई-फाई की सेवा प्रदान कराएंगे।
- शिक्षकों की पास्ट सर्विस काउंट कराएंगे।
100 से अधिक शिक्षकों की पास्ट सर्विस काउंट नहीं हो पाई। अब इस पर काम किया जाएगा।
- शिक्षकों के कैश प्रमोशन डेढ़ साल से लटके हुए हैं, वह करवाए जाएंगे।
- सातवां वेतनमान लागू करवाने के पूरे प्रयास होंगे।
- शिक्षकों को आवास दिलवाने व उनकी मरम्मत करवाई जाएगी।
- छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की संख्या कम है, ऐसे में शिक्षकों की भर्ती आदि करवाने के लिए प्रयास होंगे।
- डेंटल कॉलेज के शिक्षक जो पुटा से अलग हो गए, उन्हें पुटा में लाने के लिए फिर से प्रयास किए जाएंगे।
- 25 साल की नौकरी पर पेंशन का लाभ दिलाने का काम होगा।
- शिक्षकों को अर्नलीव दिलाने का काम किया जाएगा।
- कोरोना के मध्य चल रही ऑनलाइन कक्षाओं के लिए इंटरनेट की बेहतर सुविधाएं दिलाई जाएंगी।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन को देखना है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि विश्वविद्यालय अपने चरित्र में स्वायत्त बना रहे।
मृत्युंजय-नौरा ग्रुप : शिक्षकों की प्रमोशन प्रक्रिया के लिए अधिकारियों पर दबाव बनाकर तेजी लाई गई।
खालिद-सिद्धू ग्रुप : डेढ़ साल से शिक्षकों के प्रमोशन के केस लटके हुए हैं। यदि प्रयास किए जाते तो आज हल हो जाते।
मृत्युंजय-नौरा ग्रुप : शिक्षकों की पास्ट सर्विस काउंट करवाने के लिए तकनीकी बाधाओं को दूर किया गया। इस पर तेजी से काम चल रहा है।
खालिद-सिद्धू ग्रुप : केवल आठ से दस ही शिक्षकों को पास्ट सर्विस काउंट का लाभ दिलवाया गया। सिर्फ जोन उनके खास थे। बाकी शिक्षकों को वोट के रूप में प्रयोग किया गया।
मृत्युंजय-नौरा ग्रुप : जेएनयू से पढ़ाई की और पीएचडी की। बेहतर रिसर्च किया। बावजूद इसके मृत्युंजय ने प्रमोशन का लाभ नहीं लिया। वह शिक्षकों की सेवा में लगे हैं। उसी के चलते उन्हें उम्मीदवार बनाया गया।
खालिद-सिद्धू ग्रुप : सिंडिकेट में महज मृत्युंजय का ही केस ले जाया गया। उन्हें गलत तरीके से प्रमोशन का लाभ दिलाने के प्रयास हुए जबकि इतने बड़े शिक्षक समुदाय के प्रमोशन के मामले अटके रहे। उसकी चिंता कभी नहीं की जबकि अध्यक्ष व सचिव दोनों सीनेट में रहे।
पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (पुटा) के चुनाव के लिए दोनों ही ग्रुपों ने अपने-अपने घोषणापत्र सार्वजनिक कर घोषणाओं की बारिश कर दी है। दोनों ग्रुपों के घोषणा पत्र पर पुराने मुद्दों की ही छाप है और लगभग एक जैसे ही मुद्दे हैं। प्रमुख मुद्दा शिक्षकों को सातवें वेतनमान का लाभ दिलाना है।
इसके अलावा गवर्नेंस रिफॉर्म, बुजुर्ग शिक्षकों का ख्याल रखने और युवा शिक्षकों को प्रमोशन का लाभ दिलाना आदि मुद्दे शामिल हैं। घोषणाएं करने में दोनों पीछे नहीं हैं, लेकिन देखना ये है कि इन पर जीत के बाद कितना अमल होता है। पिछले वर्षों में भी कई घोषणाएं की गई थीं, लेकिन कुछ पर काम हुआ।
अब कैसे शिक्षकों की याद आई : खालिद ग्रुप
डॉ. मृत्युंजय ने कहा कि पिछले वर्षों में उन्होंनेे पीएचडी इंक्रीमेंट से लेकर वेतन बढ़ोत्तरी आदि का लाभ दिलाया। चाइल्ड केयर लीव से लेकर बड़े पदों पर वरिष्ठता का पालन करवाया गया। कैशलेस मेडिकल स्कीम पर काम किया। शिक्षकों के बजट के लिए धन आवंटित करवाया गया। उन्होंने कहा कि कोई भी शिक्षक उन्हें अपना फीडबैक दे सकते हैं और कोविड की गाइड लाइन के मुताबिक मिल सकते हैं।
वहीं खालिद ग्रुप ने कहा है कि शिक्षकों के मुद्दों पर बात करने के लिए मृत्युंजय समय नहीं निकाल सके और अब मिलने की बात कह रहे हैं। वेब संवाद में आकर शिक्षकों के मुद्दों पर बात करनी चाहिए थी। अब शिक्षकों के वोट चाहिए तो वह मिलने को तैयार हैं, लेकिन शिक्षक सब जानते हैं।