पुटा के चुनाव में पहले दिन वीरवार को 505 शिक्षकों में से 396 में अपने मताधिकार का प्रयोग किया। कोरोना काल में भी बड़ी संख्या में शिक्षक वोट देने पहुंचे। वोट का प्रतिशत पिछले साल के मुकाबले कम रहा, लेकिन इतने बड़े प्रतिशत की भी उम्मीद नहीं थी। पहले दिन 78.41 फीसदी मतदान हुआ। अभी शुक्रवार को भी मतदान होगा। माना जा रहा है कि 80 फीसदी से अधिक मतदान प्रतिशत रहेगा। कुछ जगह सामाजिक दूरी के नियमों का पालन हुआ तो कुछ जगह नहीं।
पहले दिन दोनों ग्रुप के प्रत्याशियों ने अंदाजा लगा लिया कि वह कितने पानी में हैं। जानकारों का कहना है कि खालिद-सिद्धू ग्रुप व मृत्युंजय-नौरा ग्रुप पहले दिन अच्छा चुनाव लड़े हैं। दोनों ही पक्षों में महारथी हैं। ऐसे में चुनाव की पहले दिन स्थिति साफ नहीं हो पाई। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि प्रो. खालिद शिक्षक होने के कारण वोट अधिक पा सकते हैं। हालांकि मृत्युंजय कुमार के पास भी अपने खुद के वोट हैं। ऐसे में वह भी प्रो. खालिद से किसी भी तरह कम नहीं है।
सचिव पद के लिए प्रो. एमसी सिद्धू व प्रो. अमरजीत सिंह नौरा को साइंस वर्ग से अधिक वोट मिले हैं। दोनों ही शिक्षक विज्ञान वर्ग से आते हैं। इसके अलावा कला वर्ग, मैनेजमेंट कोर्सेज से भी अधिक वोट डाले गए हैं। दोनों में कड़ा मुकाबला है। अध्यक्ष पद के लिए भी प्रो. खालिद व डॉ. मृत्युंजय में कड़ी टक्कर है। दोनों ही ग्रुपों ने मतदान स्थल के बाहर अपने-अपने बिस्तर लगाए थे। शिक्षकों से हाथ जोड़कर वोट मांगे गए थे। बारी-बारी से शिक्षक इवनिंग व अंग्रेजी ऑडिटोरियम में आकर वोट डाले।
सबसे पहले वोट दोनों ग्रुपों के अध्यक्ष पद उम्मीदवार प्रो. मोहम्मद खालिद व डॉ. मृत्युंजय कुमार ने वोट डाले। उसके बाद सभी ने बारी-बारी से प्रत्याशियों ने मतदान का प्रयोग किया। शुक्रवार को केमिकल इंजीनियरिंग, यूआईईटी विभाग व यूआईएचटीएम विभाग के शिक्षक वोट डालेंगे। यूआईईटी विभाग में सर्वाधिक 91 वोट हैं। ऐसे में यह निर्णायक साबित होंगे। इसके लिए जोर लगाना शुरू कर दिया गया है।
पहले दिन चुनाव शांतिपूर्ण रहा। कोरोना के बाद भी शिक्षकों ने बड़ी संख्या में अपने मताधिकार का प्रयोग किया। हमारा प्रदर्शन बेहतर रहा है। पूरा ग्रुप मजबूत है। शुक्रवार को दोपहर तक वोटिंग होगी और फिर परिणाम आएगा। उसका इंतजार सभी को है।
- प्रो. मोहम्मद खालिद, अध्यक्ष पद उम्मीदवार
शिक्षकों ने बड़ी संख्या में मतों का प्रयोग किया। जो शिक्षक मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाए हैं वह शुक्रवार को वोट डाल सकेंगे। पहले दिन का माहौल हमारे अनुकूल रहा है। बाकी परिणाम कल सामने होंगे।
-डॉ. मृत्युंजय कुमार, अध्यक्ष पद के उम्मीदवार
- शिक्षकों को सम्मान दिलाने का कार्य किया जाएगा। साथ ही लोकतंत्र की रक्षा करेंगे।
- सातवें वेतमान का लाभ दिलाने के लिए पूरे प्रयास होंगे।
- पीयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने के लिए काम किया जाएगा।
- गवर्नेंस रिफॉर्म समय की जरूरत है। इस पर भी काम करेंगे।
- नियमित सेवा के 25 साल पूरे होने पर पेंशन की व्यवस्था करवाएंगे।
- 60 वर्ष से अधिक आयु वाले शिक्षकों की भविष्य निधि के ब्याज का मुद्दा हल किया जाएगा।
- शिक्षकों को सेवानिवृत्ति के बाद बकाया राशि समय पर जारी करवाएंगे।
- आवासों का आवंटन बिना किसी टर्न अलाटमेंट के नियमित आधार पर जारी रहे। साथ ही आवासों की मरम्मत करवाएंगे।
- ऑनलाइन शिक्षा के लिए हाईस्पीड वाई-फाई की सेवा प्रदान करना।
- शिक्षकों की पास्ट सर्विस काउंट कराएंगे।
- शिक्षकों के कैश प्रमोशन डेढ़ साल से लटके हुए हैं, वह करवाए जाएंगे।
- सातवां वेतनमान लागू करवाने के पूरे प्रयास होंगे।
- शिक्षकों को आवास दिलवाने व उनकी मरम्मत करवाई जाएगी।
- छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की संख्या कम है, ऐसे में शिक्षकों की भर्ती आदि करवाने के लिए प्रयास होंगे।
- डेंटल कॉलेज के शिक्षक जो पुटा से अलग हो गए, उन्हें पुटा में लाने के फिर प्रयास किए जाएंगे।
- 25 साल की नौकरी पर पेंशन का लाभ दिलाने का काम होगा।
- शिक्षकों को अर्नलीव दिलाने का काम किया जाएगा।
- कोरोना के मध्य चल रही ऑनलाइन कक्षाओं के लिए इंटरनेट की बेहतर सुविधाएं दिलाई जाएंगी।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन को देखना है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि विश्वविद्यालय अपने चरित्र में स्वायत्त बना रहे।
पुटा के चुनाव में पहले दिन वीरवार को 505 शिक्षकों में से 396 में अपने मताधिकार का प्रयोग किया। कोरोना काल में भी बड़ी संख्या में शिक्षक वोट देने पहुंचे। वोट का प्रतिशत पिछले साल के मुकाबले कम रहा, लेकिन इतने बड़े प्रतिशत की भी उम्मीद नहीं थी। पहले दिन 78.41 फीसदी मतदान हुआ। अभी शुक्रवार को भी मतदान होगा। माना जा रहा है कि 80 फीसदी से अधिक मतदान प्रतिशत रहेगा। कुछ जगह सामाजिक दूरी के नियमों का पालन हुआ तो कुछ जगह नहीं।
पहले दिन दोनों ग्रुप के प्रत्याशियों ने अंदाजा लगा लिया कि वह कितने पानी में हैं। जानकारों का कहना है कि खालिद-सिद्धू ग्रुप व मृत्युंजय-नौरा ग्रुप पहले दिन अच्छा चुनाव लड़े हैं। दोनों ही पक्षों में महारथी हैं। ऐसे में चुनाव की पहले दिन स्थिति साफ नहीं हो पाई। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि प्रो. खालिद शिक्षक होने के कारण वोट अधिक पा सकते हैं। हालांकि मृत्युंजय कुमार के पास भी अपने खुद के वोट हैं। ऐसे में वह भी प्रो. खालिद से किसी भी तरह कम नहीं है।