पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन (पुटा) के चुनाव में ग्रुपों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चरम पर है। एक ग्रुप कहता है कि तीन साल में शिक्षकों के लिए कुछ कार्य नहीं किए गए। वहीं दूसरे ग्रुप का आरोप है कि पुटा वीसी के कार्यालय से चलेगी।
इसी को लेकर वीरवार को खालिद-सिद्धू ग्रुप ने मृत्युंजय-नौरा ग्रुप को खुली चुनौती देते हुए कहा कि शिक्षकों व सहकर्मियों के मुद्दों को लेकर वेब संवाद में आएं। वे वेब संवाद कराने को तैयार हैं या फिर खुद करवाएं तो आने को तैयार हैं। उस वेब संवाद में सभी बातें साफ हो जाएंगी कि पुटा का नेतृत्व करने की क्षमता किसमें है और शिक्षकों को भी एक संदेश चला जाएगा।
खालिद ग्रुप के सदस्यों ने शिक्षकों के मुद्दों पर की चर्चा
उधर, खालिद ग्रुप के कुछ सदस्यों ने वीरवार को अपने स्तर पर सामाजिक दूरी का पालन करते हुए शिक्षकों के मुद्दों पर चर्चा की। खालिद-सिद्धू ग्रुप का कहना है कि आरोप लगाना बहुत आसान है, लेकिन शिक्षकों के मुद्दों को उठाते हुए उनका निराकरण करना मुश्किल है। विश्वविद्यालय के 600 से अधिक शिक्षकों ने तीन साल तक नेतृत्व दिया। घोषणाएं हुईं, लेकिन एक पर भी काम नहीं हुआ। केवल कागजों के जरिए ज्ञापन भेजकर औपचारिकताएं पूरी की गईं।
पेंशन हो या पास्ट सर्विस काउंट का मुद्दा, किसी का भी समाधान नहीं हुआ। सातवें वेतनमान को लेकर धरना-प्रदर्शन होता तो शिक्षक ही उसमें शामिल होते। कहीं न कहीं समस्या का हल होता, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। केवल सीनेट में सीट पाने के लिए चुनाव लड़े गए। पुटा को इसी की राजनीति में लिप्त कर दिया गया। कहा कि उनके कार्यकाल में सीनेट व सिंडिकेट खुद पुटा के मुद्दों पर समर्थन करती थीं और धरना-प्रदर्शन में भी शामिल होती थी।
- चुनाव के स्थान कहां-कहां होंगे या एक ही ही स्थान होगा।
- मतदान कमरे के अंदर होगा या बाहर, स्थिति साफ करें।
शिक्षकों ने कहा है कि अंदर चुनाव होने से वायरस का खतरा होगा।
- मतदान केंद्र के अंदर कौन-कौन होगा।
- क्या चुनाव के लिए आरओ शिक्षकों की मदद ले रहे हैं।
- क्या मतदान केंद्र के अंदर मोबाइल ले जाने की अनुमति है।
- क्या चुनाव ड्यूटी में लगे लोगों का कोरोना टेस्ट पहले किया जाएगा।
ये सुझाव दिए
- मतदेय स्थलों से 50 मीटर की दूरी पर बैनर-पोस्टर लगाने की अनुमति दी जाए।
- चुनाव कराने वाले शिक्षकों की सुरक्षा के लिए किसी भी उम्मीदवार व समर्थक को मतदेय स्थल में जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
- पांच से अधिक लोगों को बाहर इकट्ठा न होने दिया जाए।
- दोनों दिन होने वाले चुनाव के लिए शिक्षकों को उनके समय के बारे में कई बार अवगत कराया जाए।
- चुनाव कराने की प्रक्रिया का पता न होने से शिक्षकों में चिंता पनप रही है।
हम खुले संवाद के लिए अपने ग्रुप के सभी सदस्यों से राय लेंगे। क्या-क्या सदस्य कहते हैं, उसके बाद निष्कर्ष निकालेंगे और फिर बताएंगे कि वेब संवाद में वह शामिल होंगे या नहीं। हम चुनाव कराने के पक्ष में हैं। चुनाव हर हाल में होना चाहिए।
- मृत्युंजय कुमार, अध्यक्ष पद उम्मीदवार, मृत्युंजय-नौरा ग्रुप
पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन (पुटा) के चुनाव में ग्रुपों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चरम पर है। एक ग्रुप कहता है कि तीन साल में शिक्षकों के लिए कुछ कार्य नहीं किए गए। वहीं दूसरे ग्रुप का आरोप है कि पुटा वीसी के कार्यालय से चलेगी।
इसी को लेकर वीरवार को खालिद-सिद्धू ग्रुप ने मृत्युंजय-नौरा ग्रुप को खुली चुनौती देते हुए कहा कि शिक्षकों व सहकर्मियों के मुद्दों को लेकर वेब संवाद में आएं। वे वेब संवाद कराने को तैयार हैं या फिर खुद करवाएं तो आने को तैयार हैं। उस वेब संवाद में सभी बातें साफ हो जाएंगी कि पुटा का नेतृत्व करने की क्षमता किसमें है और शिक्षकों को भी एक संदेश चला जाएगा।
खालिद ग्रुप के सदस्यों ने शिक्षकों के मुद्दों पर की चर्चा
उधर, खालिद ग्रुप के कुछ सदस्यों ने वीरवार को अपने स्तर पर सामाजिक दूरी का पालन करते हुए शिक्षकों के मुद्दों पर चर्चा की। खालिद-सिद्धू ग्रुप का कहना है कि आरोप लगाना बहुत आसान है, लेकिन शिक्षकों के मुद्दों को उठाते हुए उनका निराकरण करना मुश्किल है। विश्वविद्यालय के 600 से अधिक शिक्षकों ने तीन साल तक नेतृत्व दिया। घोषणाएं हुईं, लेकिन एक पर भी काम नहीं हुआ। केवल कागजों के जरिए ज्ञापन भेजकर औपचारिकताएं पूरी की गईं।
पेंशन हो या पास्ट सर्विस काउंट का मुद्दा, किसी का भी समाधान नहीं हुआ। सातवें वेतनमान को लेकर धरना-प्रदर्शन होता तो शिक्षक ही उसमें शामिल होते। कहीं न कहीं समस्या का हल होता, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। केवल सीनेट में सीट पाने के लिए चुनाव लड़े गए। पुटा को इसी की राजनीति में लिप्त कर दिया गया। कहा कि उनके कार्यकाल में सीनेट व सिंडिकेट खुद पुटा के मुद्दों पर समर्थन करती थीं और धरना-प्रदर्शन में भी शामिल होती थी।