पुटा चुनाव में दोनों ग्रुपों में खींचतान चरम पर है। वेब संवाद के लिए खालिद-सिद्धू ग्रुप ने मृत्युंजय-नौरा ग्रुप का एक घंटे तक इंतजार किया, लेकिन ग्रुप ने समय नहीं कहकर इसे नकार दिया। साथ ही कहा कि प्रेसवार्ता कर अपनी बात रखेंगे। खालिद-सिद्धू ग्रुप ने रविवार को अपराह्न तीन से चार बजे के मध्य मृत्युंजय-नौरा ग्रुप को कॉल की थी कि वह वेब संवाद में हिस्सा लें और शिक्षकों के मुद्दों पर बात करें।
खादिल-सिद्धू ग्रुप बोला- लेखा-जोखा व कार्यों का जवाब देने के डर से नहीं आए
खालिद-सिद्धू ग्रुप का कहना है कि उन्होंने निर्धारित समय तक मृत्युंजय ग्रुप का इंतजार किया, लेकिन वह नहीं पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि वह शिक्षकों के मुद्दे पर खुलकर बात नहीं करना चाहते, क्योंकि यदि सामने आएंगे तो पूर्व के कार्यकालों का लेखा-जोखा व कार्यों के बारे में पूछा जाएगा और वह इसका जवाब नहीं दे पाएंगे।
आरोपों पर मृत्युंजय-नौरा ग्रुप ने ऐसे दिया जवाब
इस आरोप का जवाब देते हुए मृत्युंजय-नौरा ग्रुप ने कहा है कि वेब संवाद का समय हमारे से पूछकर तय नहीं किया गया। जब मन चाहे कुछ भी निर्णय ले लेते हैं, हमारे पास इसके लिए समय नहीं है। 3 से 4 बजे के मध्य महत्वपूर्ण कार्य में व्यस्त थे। घोषणा पत्र बनाकर प्रेसवार्ता करेंगे और शिक्षकों को अवगत कराएंगे।
मृत्युंजय-नौरा ग्रुप ने प्रेसनोट जारी करते हुए कहा है कि व्यक्तिगत आरोपों के जरिए खेल करने वाले अब पुटा का चुनाव रद्द करवाने पर तुले हुए हैं। हमें आशंका है कि पुटा की सक्रियता को खत्म करने के लिए यह खेल किया जा रहा है। पहले चुनाव अधिकारी के नाम को लेकर आरोप लगा रहे थे और अब उनकी मेहनत को खराब करना चाहते हैं। ऑडिटोरियम बुकिंग से लेकर अन्य तरीकों से व्यवधान उत्पन्न किए गए।
कहा कि पुटा के सदस्य ऐसे लोगों से सचेत रहें। कहा कि पुटा के चुनाव स्थगित करवाने की पीछे का खेल यही है कि शिक्षकों की आवाज को दबा दिया जाएगा। पुटा की आज शिक्षकों को जरूरत है। पुटा के जरिये ही शिक्षक व प्रशासन के मध्य एक पुल बना है। उन्होंने शिक्षकों से कहा है कि पुटा चुनाव स्थगित करवाने वाले लोगों को अच्छा जवाब दें ताकि शिक्षकों की उम्मीदों पर कोई दोबारा पानी न फेर सके।
डॉ. प्रियतोष शर्मा बोले- शिक्षकों की जान चुनाव से अधिक महत्वपूर्ण
डॉ. प्रियतोष शर्मा ने कहा है कि पुटा का उद्देश्य सबसे पहले शिक्षकों की सुरक्षा के लिए होना चाहिए। चुनाव तो बाद में हो जाएंगे। लोकतंत्र का मतलब है कि सभी शिक्षक उसमें हिस्सेदारी निभाएं लेकिन कोरोना के कारण कुछ ही लोग हिस्सा ले पाएंगे। शिक्षकों की जान चुनाव से अधिक महत्वपूर्ण है।
निडर का नारा देने वाले उम्मीदवार सामने क्यों नहीं आए : खालिद-सिद्दू ग्रुप
खालिद-सिद्दू ग्रुप ने कहा कि निडर व साहसी होने का नारा देने वाले उम्मीदवार वेब संवाद से बच रहे हैं। शिक्षकों के मुद्दे पर हम बात करना चाहते हैं लेकिन वह सामने नहीं आना चाहते। इससे जाहिर है कि वह पिछले कार्यकालों की तरह ही आगे भी काम करेंगे। खालिद ग्रुप ने आरोप लगाया कि शिक्षकों की पास्ट सर्विस काउंट के लिए दस फरवरी 2019 व 14 फरवरी 2020 को वीसी को पत्र लिखा गया। चेतावनी दी थी कि इस पर काम नहीं हुआ तो वह धरना देंगे लेकिन केवल कागजी कार्रवाई तक ही यह ग्रुप सीमित रहा।
पुटा चुनाव में दोनों ग्रुपों में खींचतान चरम पर है। वेब संवाद के लिए खालिद-सिद्धू ग्रुप ने मृत्युंजय-नौरा ग्रुप का एक घंटे तक इंतजार किया, लेकिन ग्रुप ने समय नहीं कहकर इसे नकार दिया। साथ ही कहा कि प्रेसवार्ता कर अपनी बात रखेंगे। खालिद-सिद्धू ग्रुप ने रविवार को अपराह्न तीन से चार बजे के मध्य मृत्युंजय-नौरा ग्रुप को कॉल की थी कि वह वेब संवाद में हिस्सा लें और शिक्षकों के मुद्दों पर बात करें।
खादिल-सिद्धू ग्रुप बोला- लेखा-जोखा व कार्यों का जवाब देने के डर से नहीं आए
खालिद-सिद्धू ग्रुप का कहना है कि उन्होंने निर्धारित समय तक मृत्युंजय ग्रुप का इंतजार किया, लेकिन वह नहीं पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि वह शिक्षकों के मुद्दे पर खुलकर बात नहीं करना चाहते, क्योंकि यदि सामने आएंगे तो पूर्व के कार्यकालों का लेखा-जोखा व कार्यों के बारे में पूछा जाएगा और वह इसका जवाब नहीं दे पाएंगे।
आरोपों पर मृत्युंजय-नौरा ग्रुप ने ऐसे दिया जवाब
इस आरोप का जवाब देते हुए मृत्युंजय-नौरा ग्रुप ने कहा है कि वेब संवाद का समय हमारे से पूछकर तय नहीं किया गया। जब मन चाहे कुछ भी निर्णय ले लेते हैं, हमारे पास इसके लिए समय नहीं है। 3 से 4 बजे के मध्य महत्वपूर्ण कार्य में व्यस्त थे। घोषणा पत्र बनाकर प्रेसवार्ता करेंगे और शिक्षकों को अवगत कराएंगे।