पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बार एसोसिएशन के चुुनाव कोरोना के चलते स्थगित कर दिए, लेकिन पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (पुटा) के चुनाव कराने पर चुनाव अधिकारी समेत कई लोग तुले हुए हैं। दो दिन में 629 शिक्षक वोट डालेंगे। किस प्रक्रिया के तहत यह होगा अभी कुछ भी साफ नहीं है। शिक्षकों का दो टूक कहना है कि पूरे देश में कोरोना फैला हुआ है और पीयू में राजनीति के लिए जिंदगी दांव पर लगाई जा रही हैं। पुटा का चुनाव सर्वसम्मति से ही होना चाहिए।
शिक्षकों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि पुटा चुनाव के लिए उन्हें पूरी प्रक्रिया बताई जाए और उसके बाद अगला कदम उठाया जाए। हैरानी की बात यह है कि पीयू कैंपस में इतना बड़ा चुनाव करवाया जा रहा है और पीयू प्रशासन कुंभकर्णी नींद में है। वहीं यूटी प्रशासन भी पीयू के नक्शे कदम पर चल रहा है।
शिक्षकों ने दागे ये सवाल..
पीयू के शिक्षकों का कहना है कि उनके घरों में छोटे बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग भी हैं। ऐसे में वह चुनाव में वोट डालने गए और कोरोना घर पहुंच गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। क्या किसी की जान से बढ़कर यह वोटिंग है। क्या पुटा का चुनाव नहीं होगा तो पीयू नहीं चलेगी। पुटा एक शिक्षकों का मंच है जहां वह अपनी बात रख सकते हैं। इसके लिए कुछ जिम्मेदार लोगों को तैनात किया जा सकता है या फिर सर्वसम्मति से पदाधिकारियों का चयन हो सकता है।
सीनेट का चुनाव जब आता है तो पुटा के चुनाव सर्वसम्मति से हुए हैं लेकिन इस बार ऐसा नहीं, क्योंकि इस बार सीनेट का चुनाव स्थगित हो गया है। शिक्षकों ने कहा है कि पीयू प्रशासन इस प्रकरण को गंभीरता से क्यों नहीं ले रहा। यूटी प्रशासन ने भी लॉकडाउन में पीयू कैंपस के राउंड लगाए, लेकिन अब क्या हो रहा है। उसकी खबर तक नहीं ले रहा।
कुछ शिक्षकों का कहना है कि पुटा चुनाव का मकसद है कि शिक्षक अपने मत का अधिक से अधिक प्रयोग करें, लेकिन यदि 30 से 40 फीसदी ही वोट पड़ेंगे तो एक तो कोरोना का खतरा होगा और दूसरा नियमों की धज्जियां उड़ेंगी।
घरों और विभागों में चल रहा प्रचार
पुटा चुनाव को लेकर एक ग्रुप शिक्षकों के घरों पर जाकर प्रचार कर रहा है। शिक्षकों से वोट मांग रहे हैं। इस ग्रुप में एक साथ 10 से 15 लोग जा रहे हैं। वह घरों के बाहर की घंटी बजा रहे हैं। इसके अलावा विभागों में शिक्षकों के पास समूहों में ग्रुप जा रहे हैं। इससे शिक्षकों में भी आक्रोश है। उनका कहना है कि पीयू प्रशासन इस पर बैन लगाए अन्यथा यहां कोरोना कभी भी फैल सकता है।
राजनीति के लिए जिंदगी दांव पर लगा रहे
पूरे देश में कोरोना फैला हुआ है और पीयू में राजनीति के लिए जिंदगी दांव पर लगाई जा रही हैं। पुटा का चुनाव नहीं होना चाहिए। शिक्षक खुद ही वोट डालने नहीं जाएंगे। पुटा के चुनाव को लेकर पीयू प्रशासन गंभीरता दिखाए। पहले व्यक्ति का जीवन है और बाद में अन्य कार्य। कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए चुनाव कराने पर तुले हुए हैं।
- डॉ. अजय रंगा, यूआईएलएस विभाग, पीयू
सर्वसम्मति से चुनें जाएं शिक्षक नेता
बेहतर तो यही था कि इस साल पुटा का गठन सर्वसम्मति से किया जाता। पहले भी ऐसा हो चुका है। यह समय चुनाव और प्रचार का तो बिल्कुल नहीं है। जितनी कम आवाजाही हो, उतना बेहतर है। अब भी वक्त है, हमारे शिक्षक नेताओं को परिपक्वता और संजीदगी दिखानी चाहिए और मिल बैठकर बात करनी चाहिए।
- डॉ. गुरमीत सिंह, हिंदी विभाग अध्यक्ष, पीयू
पुटा का चुनाव किस प्रक्रिया के तहत होगा। इसकी जानकारी अब तक नहीं दी गई है। पुटा संविधान का पालन नहीं किया गया। तमाम शिक्षकों को पता ही नहीं कि चुनाव हो रहा है या नहीं। कुछ चुनाव लड़ने वाले थे उनके पास मेल आदि पहुंची ही नहीं। यदि पुटा का चुनाव हो तो सेफ तरीके से हो। शिक्षकों को सुरक्षित रखा जाए।
- डॉ. प्रियतोष शर्मा, इतिहास विभाग, पीयू
शिक्षकों को अंधेरे में रखकर हो रहा चुनाव
पुटा का चुनाव ऑनलाइन होगा या ऑफलाइन यह अधिकारिक रूप से अभी तक नहीं बताया गया है। तमाम शिक्षक इस प्रक्रिया से ही वोट नहीं डाल पाएंगे जबकि चुनाव का मतलब होता है सभी की उसमें हिस्सेदारी हो। कोरोना से शिक्षकों को कैसे बचाया जाएगा। क्या शिक्षकों की मेडिकल रिपोर्ट देखी जाएगी। अभी तक सभी को अंधेेरे में रखा गया है।
- डॉ. आशीष कुमार, इतिहास विभाग, पीयू
कोरोना के कारण वोट डालने नहीं जाएंगे शिक्षक
पुटा के संविधान को ध्यान में रखकर चुनाव करवाया जाना चाहिए था। शिक्षकों को पहले विश्वास में लिया जाता और उनके सामने चुनाव कराने का तरीका रखा जाए। लोगों की राय ली जाती, उसके बाद अगला कदम उठाया जाना चाहिए था लेकिन अब तक कुछ पता नहीं है। तमाम शिक्षक इस चुनाव में वोट कोरोना के कारण नहीं डाल पाएंगे।
- डॉ. अरुण सिंह ठाकुर, यूआईएचटीएम विभाग, पीयू
एक बार में 12 शिक्षकों को बुलाया जाएगा वोट देने
पुटा का चुनाव ऑफलाइन होगा। शिक्षकों को समय के मुताबिक वोट देने के लिए बुलाया जाएगा। सभी सुरक्षित रहेंगे। पुटा के चुनाव के लिए अनुमति की तब जरूरत पड़ती जब हम नियमों का उल्लंघन करते। हम सैनिटाइजेशन, मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे। दो दिन में चुनाव होगा। एक बार में 12 शिक्षकों को वोट देने के लिए बुलाया जाएगा।
- प्रो. विजय नागपाल, चुनाव अधिकारी, पुटा
पुटा के चुनाव में पीयू प्रशासन का दखल नहीं होता है। चुनाव को लेकर मेरे पास कोई फाइल भी नहीं पहुंची है। पहले अनुमति ली गई हो तो उसके बारे में पता करेंगे।
--- विक्रम नैयर, रजिस्ट्रार, पीयू
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बार एसोसिएशन के चुुनाव कोरोना के चलते स्थगित कर दिए, लेकिन पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (पुटा) के चुनाव कराने पर चुनाव अधिकारी समेत कई लोग तुले हुए हैं। दो दिन में 629 शिक्षक वोट डालेंगे। किस प्रक्रिया के तहत यह होगा अभी कुछ भी साफ नहीं है। शिक्षकों का दो टूक कहना है कि पूरे देश में कोरोना फैला हुआ है और पीयू में राजनीति के लिए जिंदगी दांव पर लगाई जा रही हैं। पुटा का चुनाव सर्वसम्मति से ही होना चाहिए।
शिक्षकों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि पुटा चुनाव के लिए उन्हें पूरी प्रक्रिया बताई जाए और उसके बाद अगला कदम उठाया जाए। हैरानी की बात यह है कि पीयू कैंपस में इतना बड़ा चुनाव करवाया जा रहा है और पीयू प्रशासन कुंभकर्णी नींद में है। वहीं यूटी प्रशासन भी पीयू के नक्शे कदम पर चल रहा है।
शिक्षकों ने दागे ये सवाल..
पीयू के शिक्षकों का कहना है कि उनके घरों में छोटे बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग भी हैं। ऐसे में वह चुनाव में वोट डालने गए और कोरोना घर पहुंच गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। क्या किसी की जान से बढ़कर यह वोटिंग है। क्या पुटा का चुनाव नहीं होगा तो पीयू नहीं चलेगी। पुटा एक शिक्षकों का मंच है जहां वह अपनी बात रख सकते हैं। इसके लिए कुछ जिम्मेदार लोगों को तैनात किया जा सकता है या फिर सर्वसम्मति से पदाधिकारियों का चयन हो सकता है।
सीनेट का चुनाव जब आता है तो पुटा के चुनाव सर्वसम्मति से हुए हैं लेकिन इस बार ऐसा नहीं, क्योंकि इस बार सीनेट का चुनाव स्थगित हो गया है। शिक्षकों ने कहा है कि पीयू प्रशासन इस प्रकरण को गंभीरता से क्यों नहीं ले रहा। यूटी प्रशासन ने भी लॉकडाउन में पीयू कैंपस के राउंड लगाए, लेकिन अब क्या हो रहा है। उसकी खबर तक नहीं ले रहा।