भारतीय क्रिकेट इतिहास में बतौर रिकॉर्ड सबसे सफलतम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपनी फेवरेट टीम के साथ अपने ही घर ही में इतिहास बनाने से रह गई। धोनी एंड कंपनी का दूसरा टी-20 वर्ल्ड कप जीतने का ख्वाब विंडीज टीम ले उड़ी। पिछले संस्करण में आपने पढ़ा कि क्यों भारतीय टीम के लिए यह वर्ल्ड कप सुनहरी यादें दे गया
(यहां पढ़ें)।
वे कारण जिनकी वजह से भारतीय टीम को यह वर्ल्ड कप कड़वी याद की तरह भूल जाना चाहिए, एक नजर:
पहला कारण: धोनी ब्रिगेड के लिए सबसे पहली कड़वी याद न्यूजीलैंड के खिलाफ हार रही। अपने ही घर में फिरकी पिच पर कीवी स्पिन लड़ाकों से हारना भारत के लिए सबसे बुरा रहा। दक्षिण एशियाई पिचें अन्य महाद्वीपों की तुलना में ज्यादा धीमी मानी जाती है। खासकर भारतीय क्रिकेट का इतिहास रहा है कि वे स्पिन सबसे बढ़िया खेलते हैं। लेकिन जब ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर हराकर और एशिया कप विजेता बनकर भारत का अपनी ही पिच में वर्ल्ड कप का पहला मुकाबला हुआ तो वे ढेर हो गए।
युवी का चोटिल होना: बांग्लादेश के खिलाफ रोमांचक जीत के बाद भारत सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ था। विराट कोहली की लाजवाब पारी ने भारत को जीत भी दिला दी, लेकिन इस मैच में युवराज का चोटिल होना टूर्नामेंट में आगे भारत को भारी पड़ गया। क्रिकेट विशेषज्ञों के अनुसार, अगर युवराज टीम में होते तो सेमीफाइनल मैच में विंडीज के खिलाफ गेंदबाजी में युवी को उतारा जा सकता था जो कामयाब भी होते।
भारत की कड़वी यादों में तीसरा सबसे बड़ा कारण भारत के सबसे सफल स्पिनर आर अश्विन का सेमीफाइनल में खराब प्रदर्शन रहा। अश्विन की नोबॉल जिस पर विंडीज बल्लेबाज लिंडल सिमंस आउट होकर भी नॉटआउट हुए। सिमंस को इस मुकाबले में एक नहीं दो बार जीवनदान मिला। सिमंस ने ही भारत को हराने में अहम भूमिका निभाई थी। वह मैन आफ द मैच भी चुने गए।
चौथा कारण: ऑस्ट्रेलिया जैसी दिग्गज टीम को हराने के बाद भारत सेमीफाइनल की बाधा पार करने को तैयार था। सामने थी विंडीज, वहीं टीम जो अपना पिछला मैच अफगानिस्तान जैसी कमजोर टीम के खिलाफ हार चुकी थी। भारतीय टीम ने विंडीज को हल्के में लिया और नतीजा भुगतना पड़ा। टीम इंडिया सेमीफाइनल में बड़े उलटफेर का शिकार हुई।
पांचवां कारण: वर्ल्ड कप से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि वर्ल्ड कप 2016 टीम इंडिया के सिर ही चढ़ेगा। भारतीय टीम शानदार प्रदर्शन करते हुए आगे भी बढ़ रही थी कि लेकिन वेस्टइंडीज के हाथों अप्रत्याशित हार के बाद टूर्नामेंट से बाहर हो गई। टीम इंडिया का टी-20 वर्ल्ड कप जीतने का दूसरा ख्वाब अधूरा रह गया।
भारतीय क्रिकेट इतिहास में बतौर रिकॉर्ड सबसे सफलतम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपनी फेवरेट टीम के साथ अपने ही घर ही में इतिहास बनाने से रह गई। धोनी एंड कंपनी का दूसरा टी-20 वर्ल्ड कप जीतने का ख्वाब विंडीज टीम ले उड़ी। पिछले संस्करण में आपने पढ़ा कि क्यों भारतीय टीम के लिए यह वर्ल्ड कप सुनहरी यादें दे गया (यहां पढ़ें)।
वे कारण जिनकी वजह से भारतीय टीम को यह वर्ल्ड कप कड़वी याद की तरह भूल जाना चाहिए, एक नजर:
पहला कारण: धोनी ब्रिगेड के लिए सबसे पहली कड़वी याद न्यूजीलैंड के खिलाफ हार रही। अपने ही घर में फिरकी पिच पर कीवी स्पिन लड़ाकों से हारना भारत के लिए सबसे बुरा रहा। दक्षिण एशियाई पिचें अन्य महाद्वीपों की तुलना में ज्यादा धीमी मानी जाती है। खासकर भारतीय क्रिकेट का इतिहास रहा है कि वे स्पिन सबसे बढ़िया खेलते हैं। लेकिन जब ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर हराकर और एशिया कप विजेता बनकर भारत का अपनी ही पिच में वर्ल्ड कप का पहला मुकाबला हुआ तो वे ढेर हो गए।
युवी का चोटिल होना: बांग्लादेश के खिलाफ रोमांचक जीत के बाद भारत सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ था। विराट कोहली की लाजवाब पारी ने भारत को जीत भी दिला दी, लेकिन इस मैच में युवराज का चोटिल होना टूर्नामेंट में आगे भारत को भारी पड़ गया। क्रिकेट विशेषज्ञों के अनुसार, अगर युवराज टीम में होते तो सेमीफाइनल मैच में विंडीज के खिलाफ गेंदबाजी में युवी को उतारा जा सकता था जो कामयाब भी होते।