भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के युद्ध में मिली जीत में उत्तराखंड के जांबाज सैनिकों ने अपना दम दिखाया था।
युद्ध में पाक सेना के 90 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने हथियारों सहित आत्मसमर्पण किया था। सेना की इस ऐतिहासिक जीत में उत्तराखंड के 255 वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।
16 दिसंबर को सैनिक कल्याण विभाग गांधी पार्क में श्रद्धांजलि समारोह आयोजित करेगा, जिसमें शहीद सैनिकों को मुख्यमंत्री हरीश रावत श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे।
प्रदेश सरकार 16 दिसंबर को विजय दिवस के तौर पर मनाती है। यह दिन 1971 में हमारे वीर सैनिकों के शौर्य, साहस और वीरता की याद दिलाता है। तीन दिसंबर 1971 को पाकिस्तान से शुरू हुआ युद्ध 14 दिन तक चला।
16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के साथ लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सम्मुख आत्मसमर्पण किया। इस युद्ध का नतीजा यह रहा कि अलग देश के रूप में बांग्लादेश का उदय हुआ।
निदेशक सैनिक कल्याण अमिताभ नेगी ने बताया कि 1971 में भारत की ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष्य में गांधी पार्क में विजय दिवस पर श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इसमें मुख्य अथिति सीएम हरीश रावत रहेंगे। इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री हरक सिंह रावत और विधायक राजकुमार भी मौजूद रहेंगे।
प्रदेश के 74 सैनिक हुए थे अलंकृत
इस युद्ध में उत्तराखंड राज्य के 255 सैनिक शहीद और 78 सैनिक घायल हुए थे। प्रदेश के 74 सैनिकों को वीरता पदक से सम्मानित किया गया। इसमें अकेले देहरादून जिले के 42 जांबाज शहीद और 36 वीरता पदक विजेता हैं।
उत्तराखंड का है समृद्ध सैन्य इतिहास
- उत्तराखंड के नायक दरबान सिंह नेगी पहले विक्टोरिया क्रास
- पहला परमवीर चक्र 4 कुमाऊं रेजिमेंट के मेजर सोमनाथ शर्मा को मिला
- भारत-चीन युद्ध में लेफ्टिनेंट कर्नल डीएस थापा को परमवीर चक्र मिला
- देश की आंतरिक सुरक्षा में लगे प्रदेश के 5 वीर सपूतों को मिला है अशोक चक्र
- प्रदेश में अब तक 1144 सैनिकों को वीरता पदक से किया जा चुका है सम्मानित
- अब तक प्रदेश के 1478 सैनिक विभिन्न युद्ध और ऑपरेशनों में हुए शहीद
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के युद्ध में मिली जीत में उत्तराखंड के जांबाज सैनिकों ने अपना दम दिखाया था।
युद्ध में पाक सेना के 90 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने हथियारों सहित आत्मसमर्पण किया था। सेना की इस ऐतिहासिक जीत में उत्तराखंड के 255 वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।
16 दिसंबर को सैनिक कल्याण विभाग गांधी पार्क में श्रद्धांजलि समारोह आयोजित करेगा, जिसमें शहीद सैनिकों को मुख्यमंत्री हरीश रावत श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे।
प्रदेश सरकार 16 दिसंबर को विजय दिवस के तौर पर मनाती है। यह दिन 1971 में हमारे वीर सैनिकों के शौर्य, साहस और वीरता की याद दिलाता है। तीन दिसंबर 1971 को पाकिस्तान से शुरू हुआ युद्ध 14 दिन तक चला।
16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के साथ लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सम्मुख आत्मसमर्पण किया। इस युद्ध का नतीजा यह रहा कि अलग देश के रूप में बांग्लादेश का उदय हुआ।
निदेशक सैनिक कल्याण अमिताभ नेगी ने बताया कि 1971 में भारत की ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष्य में गांधी पार्क में विजय दिवस पर श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इसमें मुख्य अथिति सीएम हरीश रावत रहेंगे। इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री हरक सिंह रावत और विधायक राजकुमार भी मौजूद रहेंगे।
प्रदेश के 74 सैनिक हुए थे अलंकृत
इस युद्ध में उत्तराखंड राज्य के 255 सैनिक शहीद और 78 सैनिक घायल हुए थे। प्रदेश के 74 सैनिकों को वीरता पदक से सम्मानित किया गया। इसमें अकेले देहरादून जिले के 42 जांबाज शहीद और 36 वीरता पदक विजेता हैं।
उत्तराखंड का है समृद्ध सैन्य इतिहास
- उत्तराखंड के नायक दरबान सिंह नेगी पहले विक्टोरिया क्रास
- पहला परमवीर चक्र 4 कुमाऊं रेजिमेंट के मेजर सोमनाथ शर्मा को मिला
- भारत-चीन युद्ध में लेफ्टिनेंट कर्नल डीएस थापा को परमवीर चक्र मिला
- देश की आंतरिक सुरक्षा में लगे प्रदेश के 5 वीर सपूतों को मिला है अशोक चक्र
- प्रदेश में अब तक 1144 सैनिकों को वीरता पदक से किया जा चुका है सम्मानित
- अब तक प्रदेश के 1478 सैनिक विभिन्न युद्ध और ऑपरेशनों में हुए शहीद